US Attack on Iran: जब आप रात में सो रहे थे, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम में बैठकर ईरान की तबाही का इतिहास लिख रहे थे. ईरान-इजरायल जंग में अमेरिकी की एंट्री ने विश्विक चिंता बढ़ा दी है. अमेरिका ने ईरान में 3 परमाणु ठिकानों पर हमला कर मिडिल ईस्ट की टेंशन को ग्लोबल बना दिया है. मिडिल ईस्ट वो जगह है, जहां से दुनिया का 26% तेल निकलता है. दुनिया की गाड़ी इस जगह से चलती है. सऊदी अरब, इराक, ईरान, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) दुनिया के टॉप 10 तेल उत्पादक देशों में शामिल हैं. लेकिन इजराइल-ईरान युद्ध में अमेरिकी की एंट्री के बाद स्थिति नाजुक दौर में पहुंच गई है. मिडिल ईस्ट का तनाव चरम पर पहुंच गया. अब सवाल ये कि क्या आखिर सिर्फ ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकने और दुनिया में परमाणु खतरे से बचाने के मकसद से ट्रंप ने ईरान पर हमला किया है? या फिर ट्रंप की नजर ईरान के उस खजाने पर है, जिसकी कीमत अगर आंकी जाए तो छोटा सा देश ईरान इजराइल ही नहीं एक साथ अमेरिका, चीन, रूस सब के आगे निकल सकता है.
ईरान का छिपा खजाना
ईरान के पास कच्चे तेल का विशाल भंडार है. ईरान के चेल भंडार का वॉल्यूम 157.8 बिलियन बैरल है. यूएस एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिस्ट्रेशन ( EIA) के मुताबिक साल 2023 में ईरान के पास दुनिया के कुल तेल भंडार का 12 फीसदी हिस्सा था. वेनेजुएला और सऊदी अरब के बाद ईरान के पास कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा हिस्सा है. वहीं नेचुरल गैस के मामले में भी ईरान आगे हैं. रूस के बाद ईरान के पास दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा नेचुरल गैस का भंडार है.
ईरान की सबसे बड़ी ताकत
ईरान के पास कच्चे तेल का विशाल भंडार है. उनके क्रूड ऑयल रिजर्व का वॉल्यूम 157.8 बिलियन बैरल है. अगर इसकी मार्केट वैल्यू की बात करें तो ये करीब 12 ट्रिलियन डॉलर है. यानी एक ही झटके में ईरान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा. ईरान का क्रूड ऑयल रिजर्व उसकी सबसे बड़ी ताकत है. यानी उससे ऊपर सिर्फ अमेरिका और चीन होंगे, लेकिन तेल भंडारण के मामले में ये दोनों देश ईरान के सामने कहीं नहीं टिकते है. यानी ईरान अपने ऑयल के कारण दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है. वहीं दुनिया के बड़े देशों में शुमार रूस का ऑयल रिजर्व 107.8 बिलियन बैरल है. वहीं अमेरिका का ऑयल रिजर्व सिर्फ 68.8 बिलियन बैरल है.
अमेरिका का मकसद
कच्चे तेल के भंडार में ईरान से ऊपर सऊदी अरब, वेनेजुएला और कनाडा है. जिनके पास 170 बिलियन बैरल से 300 बिलियन बैरल तक क्रूड ऑयल है. ईरान कच्चे तेल से अपनी इकोनॉमी को चलाता है. हरदिन ये देश करीब 3.3 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता है, यह हर दिन लगभग 2 मिलियन बैरल कच्चे तेल और रिफाइंड फ्यूल का निर्यात करता है. ईरान के परमाणु के बहाने डोनाल्ड ट्रंप की नजर ईरान के इस खजाने पर हो सकती है. ईरान पर वर्चस्व दिखाकर अमेरिका ईरान की तेल और नेचुरल गैस के भंडार पर अमेरिका का दबदबा चाहते हैं.
हालांकि इसने कुछ नया नहीं है. गाजा पर कब्जे की रणनीति भी यही रही थी. उस वक्त ट्रंप ने अब खुलकर कह दिया था कि अमेरिका गाजा पर कब्जा करने के लिए तैयार है. ये वही ट्रंप हैं जिन्होंने ग्रीनलैंड खरीदने की मंशा जाहिर की थी, पनामा और कनाडा को अमेरिका का हिस्सा बनाने की बातें कही थीं. उन्होंने गाजा पर भी अमेरिकी सैन्य मौजूदगी की बात कही, जो उनके विस्तारवादी नीतियों का प्रतीक रहा है. वो ईरान के साथ भी ऐसी रणनीति चल सकते हैं. मिडिल ईस्ट को एनर्जी का सेंटर हैं, वहां अमेरिका अपनी पकड़ को मजबूत करना चाहता है. ईरान के विशाल तेल और गैस भंडार अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में होंगे. इतना ही नहीं मिडिल ईस्ट पर अपनी पकड़ को मजबूत कर अमेरिका चीन और रूस को कमजोर करने का रणनीति रखता है.