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डोनाल्ड ट्रंप के जीतते ही भारतीयों की IT सेक्टर में क्यों हो गई बल्ले-बल्ले, जानें ये 4 बड़ी वजह

4 Big reasons Indian IT sector is happy with Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के जीतने के बाद भारतीयों की तो लॉटरी निकल गई है. सबसे अधिक आईटी सेक्टर में खुशी है. जानें वह चार वजह जब एच-1बी वीजा और आव्रजन कानून सख्त हो सकते हैं, फिर भी भारतीयों की हो गई बल्ले-बल्ले.  

डोनाल्ड ट्रंप के जीतते ही भारतीयों की IT सेक्टर में क्यों हो गई बल्ले-बल्ले, जानें ये 4 बड़ी वजह
krishna pandey |Updated: Nov 09, 2024, 09:15 AM IST
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Indian IT sector is happy with Donald Trump: अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद भारतीयों में खुशी का माहौल है. भारत का सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओवल ऑफिस में वापसी को लेकर उत्साहित है. एक तरफ अमेरिकी आव्रजन कानूनों में संभावित बदलावों को लेकर चिंताओं के बावजूद उत्साह का माहौल बना हुआ है. आव्रजन विशेषज्ञों और विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान एच-1बी और अन्य आव्रजन कानूनों पर सख्त रुख अपना सकते हैं.  डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल में एच1बी कर्मचारियों के वेतन के साथ-साथ वीजा शुल्क में भी वृद्धि देखी गई थी. इस कार्यकाल में, ट्रंप प्रशासन एच1बी कार्य वीजा के वार्षिक आवंटन पर पुनर्विचार कर सकता है, जिसकी वर्तमान में सीमा 85,000 है. एच1बी आवेदनों की कड़ी जांच हो सकती है, क्योंकि पिछले ट्रंप प्रशासन के तहत अस्वीकृति दर 24% के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई थी. इन चिंताओं के बावजूद, भारत की आईटी कंपनियों ने रिपब्लिकन की जीत का जश्न मनाया, क्योंकि भारत के बेंचमार्क स्टॉक इंडेक्स पर टेक स्टॉक में उछाल दिखा. आईटी स्टॉक में तेजी से वृद्धि हुई है. तो आइए जानते हैं वह 4 वजह, जिसकी वजह से भारतीय आईटी कंपनियों में है खुशी का माहौल. 

  1. मजबूत डॉलर: आईटी कंपनियों को ब्याज दरों, मुद्रास्फीति आदि के बारे में आसान वित्त नीतियों की उम्मीद है, जो अमेरिकी कंपनियों के आईटी बजट को कम करने में मदद कर सकती हैं. एक मजबूत डॉलर भारतीय आउटसोर्सिंग उद्योग को लाभ पहुंचाता है, क्योंकि अधिकांश आईटी सेवा कंपनियां अमेरिका को एक प्रमुख व्यावसायिक बाजार के रूप में सेवा प्रदान करती हैं. इस प्रकार, उद्योग अपने राजस्व का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी मुद्रा में प्राप्त करता है, हालांकि उनकी परिचालन लागत भारतीय रुपये में होती है.
  2. नीति निर्माण में स्थिरता: सरकार, सीनेट और कांग्रेस को नियंत्रित करने वाले रिपब्लिकन के साथ नीति निर्माण में स्थिरता होने की संभावना है.
  3. निगमों के लिए बेहतर कर नीतियां: डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कॉर्पोरेट कर की दर को 21% से घटाकर 15% करने के प्रस्ताव से बजटीय दबाव कम होने और अमेरिकी कंपनियों द्वारा विवेकाधीन तकनीकी खर्च (विवेकाधीन आय वह धन है जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने करों का भुगतान करने और आवास और भोजन जैसी आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के लिए भुगतान करने के बाद बचता है ) का विस्तार होने की संभावना है. और इस प्रकार अमेरिका में पंजीकृत भारतीय स्टार्टअप के साथ-साथ प्रौद्योगिकी कंपनियों को भी लाभ होगा.
  4. चीन का विकल्प: चीन के प्रति डोनाल्ड ट्रंप का सख्त रुख का मतलब है भारत में अमेरिकी फंड का प्रवाह बढ़ना. यानि अमेरिका का निवेश बढ़ना. ट्रंप से चीन के साथ कठोर व्यवहार करने की उम्मीद है, जैसा कि उनके पिछले कार्यकाल के दौरान देखा गया था. इससे भारतीय आईटी कंपनियों को अधिक फंड मिल सकता है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और सेमीकंडक्टर जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों में अमेरिकी निवेश अधिक हो सकता है. 
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