Why Monsoon came to Mumbai early: पूरे देश में इस बार मॉनसून ने सभी को चौंका दिया है. देश के कई हिस्सों में प्री-मॉनसून और मॉनसून की बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और राजस्थान समेत कई राज्यों में भारी बारिश और तूफान ने तबाही मचाई है. जिससे जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कई राज्यों में रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी कर रखा है. लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात मुंबई में रही, जहां पर 75 सालों का रिकॉर्ड टूट गया.
मुंबई में मॉनसून ने तोड़े 75 साल पुराने रिकॉर्ड
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई में इस बार मॉनसून ने सबको चौंका दिया है. आमतौर पर 11 जून को आने वाला मॉनसून इस साल 26 मई को ही पहुंच गया है. यानी पूरे दो हफ्ते पहले. समय से पहले पहुंचे मॉनसून से शहर में भारी बारिश, पानी भराव, ट्रैफिक जाम और लोकल ट्रेनों की रफ्तार धीमी हो गई है. यह मॉनसून न सिर्फ जल्दी आया है, बल्कि इसने तो 75 साल पुराने रिकॉर्ड भी तोड़ दिए हैं. भारतीय मौसम विभाग (IMD) के रिकॉर्ड के मुताबिक, 1950 के बाद पहली बार मुंबई में मॉनसून इतना जल्दी आया है. इससे पहले 1956, 1962 और 1971 में मॉनसून 29 मई को आया था. अब जानते हैं इतना जल्दी मॉनसून आने की क्या वजह हो सकती है.
मुंबई में मॉनसून इतनी जल्दी क्यों आया?
मुंबई में मॉनसून आमतौर पर केरल में बारिश शुरू होने के 10 दिन बाद पहुंचता है. केरल में मॉनसून की सामान्य तारीख 1 जून है, जिसके बाद यह 6 जून तक महाराष्ट्र और 11 जून तक मुंबई पहुंचता है. लेकिन इस साल, IMD ने 24 मई को केरल में मॉनसून की शुरुआत की घोषणा की. जो 2009 के बाद सबसे जल्दी मॉनसून आने का समय है. हैरानी की बात यह है कि मॉनसून ने केरल से महाराष्ट्र और मुंबई तक का सफर सिर्फ 24 घंटे में पूरा कर लिया.
बारिश के लिए मौसम अनुकूल
IMD मुंबई की निदेशक शुभांगी भुते के मुताबिक, मॉनसून के जल्दी आने के पीछे अनुकूल मौसमी परिस्थितियां थीं. वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिकों ने मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) को एक बड़ा कारण बताया. MJO एक जटिल मौसमी प्रणाली है, जो हवाओं, बादलों और दबाव का मिश्रण है. यह हिंद महासागर से शुरू होकर पूर्व की ओर 4-8 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से बढ़ता है और 30-60 दिनों में दुनिया भर में मौसम को प्रभावित करता है. इस बार MJO का फेज 4 और इसकी तीव्रता 1 से ज्यादा थी, जो भारी बारिश और तूफान का संकेत देता है.
अरब सागर की वजह से जल्दी आया मॉनसून
इसके अलावा दूसरी वजह अरब सागर में एक कम दबाव का क्षेत्र और चक्रवाती हलचल ने भी मॉनसून की तेजी को बढ़ावा दिया. यही कम दबाव पिछले कुछ हफ्तों से मुंबई में प्री-मॉनसून बारिश का कारण बना था. साथ ही उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बीच नमी और गर्मी लाने वाली क्रॉस-इक्वेटोरियल हवाएं भी इस बार बहुत मजबूत थीं, जिसने मॉनसून को और तेज कर दिया.
मई 2025 में बारिश ने तोड़ा 107 साल का रिकॉर्ड
इस साल मई महीना मुंबई वालों के लिए हमेशा याद रहेगा. IMD के कोलाबा वेधशाला ने इस महीने 295 मिलीमीटर बारिश दर्ज की, जो पिछले 107 सालों में मई की सबसे ज्यादा बारिश है. इससे पहले मई 1918 में 279.4 मिलीमीटर बारिश हुई थी. वहीं, सांताक्रूज में 197 मिलीमीटर बारिश हुई, जो 2021 के बाद मई में सबसे ज्यादा है. इस भारी बारिश की वजह से मई में आमतौर पर होने वाली गर्मी और लू से मुंबई को राहत मिली. 8 मई को तो कोलाबा में न्यूनतम तापमान 22.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ, जो 1951 के बाद मई का सबसे ठंडा दिन था. मुंबई ही नहीं, पूरे महाराष्ट्र में मई असामान्य रहा. बुलढाणा जिले में सामान्य से 4,000% ज्यादा बारिश हुई, जबकि सिंधुदुर्ग और रायगढ़ में क्रमशः 2,600% और 2,000% ज्यादा बारिश दर्ज की गई.