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तीन फुट के डॉक्टर साब, जब करने पहुंचे इलाज तो चकरा गया मरीजों का दिमाग

Trending News: सिर्फ 3 फीट की ऊंचाई के साथ वह संभवत: दुनिया के सबसे छोटे डॉक्टर हैं. उनका जीवन संघर्ष उनके जन्म से ही शुरू हो गया था. हालांकि, उन्होंने तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए अच्छी तरह से पढ़ाई की और एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा पास कर ली.

 
तीन फुट के डॉक्टर साब, जब करने पहुंचे इलाज तो चकरा गया मरीजों का दिमाग
Alkesh Kushwaha|Updated: Mar 07, 2024, 09:54 AM IST
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Viral Video News: कहते हैं ना कि हौसला हो तो रास्ते निकल आते हैं- यह कहावत गुजरात के 3 फीट के डॉक्टर गणेश बारैया पर बिल्कुल सही बैठती है. अपनी कम ऊंचाई के बावजूद उन्होंने डॉक्टर बनने और अपने मरीजों की सेवा करने के लिए हर मुश्किल को पार किया. उनका जीवन संघर्ष और दृढ़-निश्चय की जीत का एक उदाहरण है. सिर्फ 3 फीट की ऊंचाई के साथ वह संभवत: दुनिया के सबसे छोटे डॉक्टर हैं. उनका जीवन संघर्ष उनके जन्म से ही शुरू हो गया था. हालांकि, उन्होंने तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए अच्छी तरह से पढ़ाई की और एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा पास कर ली.

भावनगर के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर बने गणेश

प्रवेश परीक्षा में अच्छे अंक लाने के बावजूद उनकी ऊंचाई के कारण उन्हें एमबीबीएस में दाखिला नहीं दिया गया. गणेश ने हार नहीं मानी और सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए, और उन्हें न्याय मिला. आज वह गुजरात के भावनगर अस्पताल में एक इंटर्न हैं. उन्हें अपने ऊपर गर्व है और उन्होंने अपना जीवन अपने मरीजों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है. 

डॉ. गणेश ने मीडिया से क्या कहा

डॉक्टर गणेश ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, "मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की कमेटी के द्वारा मुझे सूचित किया गया कि आपकी 3 फीट की हाइट है, इसलिए आप इमरजेंसी केस हैंडल नहीं कर सकते. उन्होंने मुझे रिजेक्ट कर दिया, लेकिन रिजेक्शन के बाद भावनगर कलेक्टर के निर्देश पर मैं गुजरात हाईकोर्ट गया. वहां दो महीने के बाद हम केस हार गए. उसके बाद हम सुप्रीम कोर्ट गए और 2018 में, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया कि मैं 2019 में एमबीबीएस में प्रवेश ले सकता हूं."

 

 

किसान के बेटे हैं गणेश

गणेश एक किसान के बेटे हैं. डॉक्टर बनने का उनका दृढ़ संकल्प और तमाम चुनौतियों का सामना करने की उनकी लगन मुश्किलों के सामने हार न मानने और दृढ़ता का एक शानदार उदाहरण है. एक इंटर्न डॉक्टर के रूप में काम करते हुए वह मेडिकल के क्षेत्र में अपनी अटूट प्रतिबद्धता के साथ दूसरों को प्रेरित करना जारी रखते हैं. डॉ. गणेश की कहानी दृढ़ता की शक्ति और मानवीय हौसले की जीत का प्रमाण है.

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