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यहां की 50 साल से कम उम्र की आबादी पर कैंसर का खतरा बढ़ा, स्टडी के रिजल्ट से बढ़ जाएगा खौफ

कैंसर का कहर अमेरिका जैसे सुपरपावर देश में भी देखने को मिल रहा है, जहां मेडिकल साइंस काफी एडवांस है. कुछ खास तरह के कैंसर ज्यादा परेशान कर रहे हैं. 

यहां की 50 साल से कम उम्र की आबादी पर कैंसर का खतरा बढ़ा, स्टडी के रिजल्ट से बढ़ जाएगा खौफ
Shariqul Hoda|Updated: May 09, 2025, 02:01 PM IST
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Cancer in USA: अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के रिसर्चर्स द्वारा की गई एन नई स्टडी में 2010 और 2019 के बीच देश में 50 साल से कम उम्र के लोगों में कई तरह के कैंसर की बीमारियों में चिंताजनक इजाफा देखा गया है. शिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने रिपोर्ट किया कि जर्नल कैंसर डिस्कवरी (Cancer Discovery) में छपी फाइंडिंग्स के मुताबिक, "एनालाइज किए गए 33 तरह के कैंसर में से 14 की घटनाओं में कम से कम एक यंग एज ग्रुप में इजाफा हुआ." 

इन कैंसर का खतरा ज्यादा
खास तौर से, फीमेल ब्रेस्ट, कोलोरेक्टल, किडनी और यूटेराइन कैंसर जैसे कॉमन कैंसर में काफी इजाफा देखा गया, इनमें से कुछ ओल्डर एडल्ट्स में भी बढ़ रहे हैं.
एनआईएच के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की लीड इंवेस्टिगेटर मेरेडिथ शील्ड्स ने कहा, "ये स्टडी ये समझने के लिए एक स्टार्टिंग प्वॉइंट देता है कि 50 साल से कम उम्र के लोगों में कौन से कैंसर बढ़ रहे हैं.

क्यों बढ़ रहा कैंसर के मामले?
उन्होंने कहा, "इन इजाफे का कारण कैंसर-स्पेसिफिक होने की संभावना है, जिसमें कम उम्र में कैंसर के बढ़ते रिस्क फैक्टर, कैंसर की स्क्रीनिंग या डिटेक्श में बदलाव और क्लीनिकल डायग्नोसि या कोडिंग में अपडेट शामिल हैं." यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) और नेशनल मॉरटेलिटी रिकॉर्ड के आंकड़ों का यूज करते हुए, रिसर्चर्स ने 6 एज ग्रुप्स में 2010 से 2019 तक कैंसर की घटनाओं और 2022 तक मृत्यु दर के रुझानों की जांच की.

कौन से कैंसर का रेट कम हुआ
स्टडी में कहा गया है कि अगर शुरुआती एज ग्रुप में 14 कैंसर बढ़े, लेकिन फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर जैसे 19 दूसरे तरह के कैंसर में गिरावट आई, जिसके कारण ओवरऑल कैंसर के केस और मृत्यु दर स्थिर रही.  युवा आबादी में बढ़ते कैंसर में, वूमेन ब्रेस्ट कैंसर में सबसे ज्यादा इजाफा देखा गया, 2010 की दरों के आधार पर 2019 में तकरीबन 4,800 ज्यादा मामले डायग्नोज किए गए.

मोटापा भी है वजह
स्टडी से पता चलता है कि कोलोरेक्टल, किडनी, यूटेराइन और पैंक्रियाटिक कैंसर ने भी अहम योगदान दिया, सामूहिक रूप से 2019 में एडिशनल अर्ली ऑनसेट केस के 80 फीसदी से ज्यादा मामलों के लिए जिम्मेदार है. रिसर्चर्स ने अंदाजा लगाया कि मोटापा बढ़ने जैसे रिस्क फैक्टर्स ने हाल के सालों में अर्ली ऑनसेट कैंसर की घटनाओं में कुछ इजाफे में योगदान दिया होगा.

कैसे कम हो सकते हैं मामले?
टीम ने कहा कि कैंसर स्क्रीनिंग गाइडलाइंस में बदलाव, इमेजिंग तकनीकों में प्रोग्रेस और हाई रिस्क वाले लोगों की बढ़ी हुई निगरानी से भी पहले कैंसर का डायग्नोसिस हो सकता है, संभावित रूप से यंग एज ग्रुप में बढ़ती हुई दरों में योगदान हो सकता है.

(इनपुट-आईएएनएस)

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