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खराब हवा में सांस लेने से डिप्रेशन का रिस्क, जानिए हमारे मूड को कैसे बदल सकता है एयर पॉल्यूशन?

इस बात का अंदाजा हर समझदार इंसान को होता है कि एयर पॉल्यूशन हमारे लंग्स को कितना नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन एक नई स्टडी के मुताबिक ये हमारे मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है. 

खराब हवा में सांस लेने से डिप्रेशन का रिस्क, जानिए हमारे मूड को कैसे बदल सकता है एयर पॉल्यूशन?
Shariqul Hoda|Updated: Apr 08, 2025, 07:38 AM IST
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Air Pollution May Lead To Depression: भारत समेत दुनिया के कई बड़े और छोटे शहरों में एयर पॉल्यूशन आफत बन चुका है. हर दिन खराब हवा में सांस लेना शायद आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने से कहीं ज्यादा बुरा कर रहा है. ये आपके मूड पर भी बुरा असर डाल सकता है. एनवायरनमेंटल साइंस एंड इकोटेक्नोलॉजी (Environmental Science and Ecotechnology) में छपी एक नई स्टडी से पता चलता है कि लंबे वक्त तक एयर पॉल्यूशन के कॉन्टेक्ट में रहने और डिप्रेशन के हाई रिस्क के बीच एक मजबूत रिश्ता है.

कैसे की गई रिसर्च?
हारबिन मेडिकल यूनिवर्सिटी (Harbin Medical University) और क्रैनफील्ड यूनिवर्सिटी (Cranfield University) द्वारा किए गए इस रिसर्च में चीन में 45 साल से ज्यादा उम्र के एडल्ट्स पर 7 सालों तक नजर रखी गई, जिसमें इस बात पर फोकस किया गया कि 6 कॉमन एयर पॉल्यूटेंट्स मेंटल हेल्थ पर कैसे असर डाल सकते हैं.

 

एयर पॉल्यूशन और मेंटल हेल्थ रिस्क
स्टडी के मुताबिक, सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) डिप्रेशन के बढ़ते रिस्क से सबसे मजबूती से जुड़ा टॉप पॉल्यूटेंट के तौर पर उभरा. कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और फाइन पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) ने भी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स के डेवलप होने की आशंका को बढ़ाने में अहम रोल अदा किया. ये रिसर्च आगे बताता है कि इन पॉल्यूटेंट के मिश्रण के कॉन्टेक्ट में आने से डिप्रेशन का खतरा काफी बढ़ सकता है.

रिसर्चर्स ने बताया कि एयर पॉल्यूटेंट्स ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन को ट्रिगर करके सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं. ये असर अलग-अलग रास्तों से हो सकते हैं, जिनमें ब्लडस्ट्रीम, ट्राइजेमिनल नर्व या यहां तक कि ऑलफैक्ट्री रिसेप्टर न्यूरॉन्स भी शामिल हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि एयर पॉल्यूशन मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स में कैसे योगदान देता है, इसे पूरी तरह से समझने के लिए और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है.

डिप्रेशन क्या है?
मेयो क्लिनिक के मुताबिक, डिप्रेशन एक मूड डिसऑर्डर है जिसकी पहचान लगातार उदासी की भावना और रोजमर्रा के कामों में दिलचस्पी की कमी से होती है. अक्सर इसे क्लीनिकल डिप्रेशन (Clinical Depression) के तौर पर जाना जाता है, ये एंग्जाइटी, थकान, चिड़चिड़ापन, नींद की कमी और कभी पसंद की जाने वाली चीजों में लुत्फ की कमी जैसे लक्षण पैदा कर सकता है. अगर कोई इन लक्षणों को एक्सपीरिएंस कर रहा है, तो ऐसे में मेडिकल हेल्प लेना जरूरी है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 

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