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Cancer: लक्षणों से 3 साल पहले पकड़ा जाएगा कैंसर, खून का एक कतरा बचाएगा आपकी जान

कैंसर दुनियाभर में मौत की सबसे बड़ी वजहों में से एक बन चुका है. कई बार इसका पता तब चलता है, जब बीमारी शरीर में काफी फैल चुकी होती है और इलाज की संभावना बहुत कम रह जाती है.

Cancer: लक्षणों से 3 साल पहले पकड़ा जाएगा कैंसर, खून का एक कतरा बचाएगा आपकी जान
Shivendra Singh|Updated: Jun 21, 2025, 12:23 PM IST
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सोचिए अगर किसी को कैंसर होने से 3 साल पहले ही यह पता चल जाए कि शरीर में यह जानलेवा बीमारी पनप रही है! हां, अब यह मुमकिन हो सकता है. वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ब्लड टेस्ट विकसित किया है, जो कैंसर को उसके लक्षण दिखने से करीब 3 साल पहले ही पकड़ सकता है. यह शोध अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में किया गया है और इसे 'कैंसर डिस्कवरी' नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इस खोज को कैंसर की समय पर पहचान और इलाज के क्षेत्र में क्रांति माना जा रहा है.

कैंसर दुनियाभर में मौत की सबसे बड़ी वजहों में से एक बन चुका है. कई बार इसका पता तब चलता है, जब बीमारी शरीर में काफी फैल चुकी होती है और इलाज की संभावना बहुत कम रह जाती है. लेकिन अब MCED (Multi-Cancer Early Detection) टेस्ट की मदद से ट्यूमर को शुरुआती स्टेज में ही पकड़ा जा सकता है.

कैसे काम करता है यह टेस्ट?
दरअसल, जब कैंसर शरीर में पनपता है तो उसके ट्यूमर से कुछ जेनेटिक मटीरियल, जिसे सर्कुलेटिंग ट्यूमर DNA (ctDNA) कहा जाता है, खून में मिल जाता है. हालांकि यह बहुत ही कम मात्रा में होता है, लेकिन खास एल्गोरिदम और टेस्टिंग तकनीक से इसे पकड़ा जा सकता है.

52 लोगों पर हुआ शोध
इस शोध में 52 लोगों के खून के सैंपल लिए गए, जिनमें से 26 लोगों को छह महीने के अंदर कैंसर हो गया और बाकी 26 को नहीं. MCED टेस्ट ने इनमें से 8 लोगों में कैंसर के संकेत पहले ही पकड़ लिए – यानी करीब 31% मामलों में बीमारी लक्षणों के बिना ही पकड़ में आ गई. सबसे खास बात यह रही कि इनमें से 6 लोगों के पुराने सैंपल की जांच की गई, जो कैंसर की पुष्टि से 3 साल पहले के थे और उनमें से 4 लोगों के सैंपल में कैंसर का DNA पहले ही मौजूद था.

चुनौतियां अभी बाकी हैं
हालांकि यह तकनीक उम्मीद जरूर जगाती है, लेकिन अभी इसे आम जनता तक पहुंचने में वक्त लगेगा. डॉक्टरों का कहना है कि टेस्ट की सेंसिटिविटी और बेहतर करनी होगी ताकि बेहद कम मात्रा में भी ctDNA को पहचाना जा सके. जॉन्स हॉपकिन्स के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. बर्ट वोगलस्टीन कहते हैं कि यह टेस्ट भविष्य की दिशा दिखाता है, लेकिन अभी हमें और सेंसिटिविटी तकनीक विकसित करनी होगी. साथ ही, पॉजिटिव टेस्ट आने के बाद अगला कदम क्या होगा, यह भी तय करना जरूरी होगा.

क्या हो सकता है फायदा?
अगर यह तकनीक पूरी तरह सफल हो जाती है तो यह कैंसर की समय पर पहचान और इलाज में क्रांति ला सकती है. खासतौर पर ऐसे मामलों में जहां बीमारी बेहद खतरनाक होती है लेकिन लक्षण बहुत देर से दिखते हैं. खून की एक नॉर्मल टेस्ट से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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