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खतरे से खाली नहीं है बचपन का मोटापा, जवानी में लंग डिजीज के हो सकते हैं शिकार: स्टडी

उम्र चाहे कोई भी हो मोटापा किसी बद्दुआ से कम नहीं होता, एक नई स्टडी में ये बताया गया है कि बचपन में वजन ज्यादा नहीं होना चाहिए वरना बाद में नुकसान उठाना पड़ सकता है.

खतरे से खाली नहीं है बचपन का मोटापा, जवानी में लंग डिजीज के हो सकते हैं शिकार: स्टडी
Shariqul Hoda|Updated: Mar 22, 2025, 01:26 PM IST
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Childhood Obesity: हमेशा से ज्यादा वजन बीमारियों का घर समझा जाता रहा है, बच्चों के लिए तो ये और भी खतरनाक है, एक स्टडी के मुताबिक, मोटापे से पीड़ित बच्चे जब जवान होंगे तो उनमें क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) का रिस्क बढ़ सकता है. सीओपीडी एक प्रोग्रेसिव लंग डिजीज है जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है और वक्त के साथ ये बिगड़ती जाती है.

COPD के रिस्क फैक्टर्स
जबकि स्मोकिंग सीओपीडी के लिए एक अहम रिस्क फैक्टर है, लेकिन दूसरे जोखिम कारक जैसे एनवायरनमेंट, ऑक्यूपेशन और यहां तक ​​कि शुरुआती जिंदगी के फैक्टर्स भी तेजी से पहचाने जा रहे हैं. डेनमार्क (Denmark) में कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी (Copenhagen University) के रिसर्चर्स की लीडरशिप में ये स्टडी बचपन में हाई बॉडी मास इंडेक्स (BMI और सीओपीडी के बीच रिश्ते की जांच पर फोकस्ड है.

बच्चों को कितना खतरा?
टीम ने पाया कि एवरेज चाल्डहुड बीएमआई वाली महिलाओं की तुलना में, पुरानी सीओपीडी का खतरा उन लोगों के लिए 10 फीसदी ज्यादा था जिनका बीएमआई ट्रैजेक्टरी औसत से ऊपर था. ओवरवेच वाले ट्रैजेक्टरी वाली महिलाओं के लिए, रिस्क 26 फीसदी ज्यादा था और मोटापे के बीएमआई ट्रैजेक्टरी वाली महिलाओं के लिए जोखिम 65 प्रतिशत अधिक था.

ट्रैजेक्टरी पर नजर
इसी तरह एवरेज चाल्डहुड बीएमआई वाले पुरुषों की तुलना में, सीओपीडी का खतरा उन लोगों के लिए 7 फीसदी ज्यादा था जिनका ट्रैजेक्टरी औसत से ऊपर था. अधिक वजन वाले ट्रैजेक्टरी वाले पुरुषों के लिए, जोखिम 16 फीसदी अधिक था और मोटापे के ट्रैजेक्टरी वाले पुरुषों के लिए जोखिम 40 फीसदी अधिक था.

किसको कम रिस्क
इसके उलट, फ्यूचर में सीओपीडी का लो रिस्क सिर्फ उन महिलाओं के लिए देखा गया जिनका बचपन का बीएमआई ट्रैजेक्टरी एवरेज से नीचे था, औसत बचपन के बीएमआई ट्रैजेक्टरी वाली महिलाओं की तुलना में 9 फीसदी कम.

वजन ज्यादा न हो
यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर क्लिनिकल रिसर्च एंड प्रिवेंशन (Center for Clinical Research and Prevention) की फ्रीडा रिक्टर (Frida Richter) ने कहा, "बचपन में औसत से ऊपर बीएमआई ट्रैजेक्टरी होने से बाद में सीओपीडी का खतरा बढ़ सकता है. इस तरह, हमारे रिजल्ट्स बताते हैं कि जिंदगी के इस शुरुआती दौर में ज्यादा वजन होना सीओपीडी के विकास के लिए रिस्क का एक इंडिकेटर है."

कितने बच्चों पर हुई रिसर्च?
स्टडी में 1930-1982 के बीच पैदा हुए 276,747 डेनिश बच्चों (137,493 लड़कियों) का डेटा शामिल था, जिनके 6-15 साल की उम्र के बीच 2 से 12 वेट और हाइट मापे गए थे. फिर 40 साल की उम्र से आगे सीओपीडी के डायग्नोसिस के लिए उनकी जांच की गई.

ये रिसर्च इस साल के यूरोपियन कांग्रेस ऑन ओबेसिटी (Congress on Obesity) यानी ईसीओ 2025 (ECO 2025) में पेश किया जाएगा, जो मई में स्पेन (Spain) के मलागा (Malaga) में आयोजित किया जाएगा.

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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