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क्या इस 'कोलेस्ट्रॉल टैबलेट' को खाकर दूर होगा हार्ट अटैक का खौफ? जानिए क्या कहती है स्टडी

कोलेस्ट्रॉल पर लगाम न लगाई जाए तो हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है, जिससे जान का जोखिम भी हो सकता है, लेकिन इसके लिए जो दवा बताई जा रही है, वो कितनी असरदार है?

क्या इस 'कोलेस्ट्रॉल टैबलेट' को खाकर दूर होगा हार्ट अटैक का खौफ? जानिए क्या कहती है स्टडी
Shariqul Hoda|Updated: May 10, 2025, 02:10 PM IST
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Cholesterol Pill: रिसर्चर्स की एक इंटरनेशनल टीम ने पाया कि कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली एक दवा हार्ट अटैक और स्ट्रोक के हाई रिस्क वाले लोगों की सेफ्टी के लिए एक ज्यादा असरदार और सुविधाजनक तरीका प्रोवाइड करती है. ऑस्ट्रेलिया (Australia) में मोनाश यूनिवर्सिटी (Monash University) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में की स्टडी में ओबिसैट्रेपिब (Obicetrapib) नामक रोजाना एक बार खाई जाने वाली ओरल दवा का टेस्ट किया गया और पाया गया कि इसने एलडीएल या बैड कोलेस्ट्रॉल और लिपोप्रोटीन(ए) [एलपी(ए)] दोनों को काफी कम कर दिया, जो हार्ट डिजीज के दो अहम कॉन्ट्रिब्यूटर हैं.

कैसे की गई रिसर्च?
स्टडी के लीड प्रोफेसर स्टीफन निकोल्स (Stephen Nicholls), डायरेक्टर, मोनाश यूनिवर्सिटी के विक्टोरियन हार्ट इंस्टीट्यूट (Victorian Heart Institute) ने कहा कि फाइंडिंग्स उन मरीजों के लिए एक अहम कदम आगे बढ़ाते हैं जिन्होंने मौजूदा ट्रीटमेंट के साथ अपने कोलेस्ट्रॉल टारगेट तक पहुंचने के लिए स्ट्रगल किया है. निकोल्स ने कहा, "हम जानते हैं कि हार्ट अटैक या स्ट्रोक के हाई रिस्क वाले कई लोगों का कोलेस्ट्रॉल लेवल सबसे अच्छे ट्रीटमेंट पर भी पर्याप्त रूप से कम नहीं होता है."

दवा का असर कितना?
उन्होंने कहा, "ओबिसैट्रेपिब एक नया प्रॉमिसिंग ऑप्शन देता है, न सिर्फ इसने एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को 30 फीसदी से ज्यादा कम किया, बल्कि हमने एलपी(ए) में भी कमी देखी, जिसका इलाज करना बहुत मुश्किल है और ये हार्ट डिजीज के बढ़ते रिस्क से जुड़ा हुआ है." एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, जिसे अक्सर "बैड कोलेस्ट्रॉल" कहा जाता है, ब्लड वेसेल्स में जमा हो जाता है और हार्ट अटैक और स्ट्रोक के रिस्क को बढ़ाता है.

लिपोप्रोटीन(ए), या एलपी(ए), एक कम फेमस लेकिन इनहैरिटेड रिस्क फैक्टर है जो आर्टरी डैमेज को भी तेज कर सकता है और एलडीएल के उलट, इसे कम करने के लिए मौजूदा वक्त में कोई वाइडली अप्रूव्ड ट्रीटमेंट नहीं हैं. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (New England Journal of Medicin) में छपे ट्रायल में एस्टेब्लिश्ड हार्ट डिजीज या जेनेटिक हाई कोलेस्ट्रॉल वाले 2,500 से ज्यादा पार्टिसिपेंट्स शामिल थे, जिन्हें उनकी रेगुलर कोलेस्ट्रॉल मेडिकेशन के अलावा ओबिसैट्रेपिब या एक प्लेसबो दिया गया था.

 

12 हफ्ते के बाद, ओबिसैट्रेपिब लेने वालों में औसतन एलडीएल कोलेस्ट्रॉल में 32.6 फीसदी और एलपी(ए) में 33.5 फीसदी की कमी आई - कई ने पहली बार गाइडलाइंस-रेगुलेटेड टारगेट्स को हासिल किया. ओबिसैट्रेपिब को अच्छी तरह से सहन भी किया गया, जिसका सेफ्टी प्रोफाइल पहले के टारगेट्स के जैसा था. प्रोफेसर निकोल्स ने कहा, "ये हार्ट डिजीज के खिलाफ लड़ाई में एक इफेक्टिव टूल्स हो सकता है." "ये सुविधाजनक है, ये असरदार है, और ये उन मरीजों के लिए अंतर को पाटने में मदद कर सकता है जिनके पास विकल्पों की कमी हो गई है."

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है.  Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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