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प्रेग्नेंसी के दौरान ये गलतियां आपके बच्चे के भविष्य को कर सकती हैं बर्बाद, तुरंत सुधारें आदतें!

प्रेग्नेंसी के 9 महीने का समय चुनौतियों और जिम्मेदारियों से भरा होता है. इस दौरान मां का हर कदम गर्भ में पल रहे शिशु के विकास और भविष्य को प्रभावित करता है.

प्रेग्नेंसी के दौरान ये गलतियां आपके बच्चे के भविष्य को कर सकती हैं बर्बाद, तुरंत सुधारें आदतें!
Shivendra Singh|Updated: Dec 07, 2024, 02:27 PM IST
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मां बनना हर महिला के जीवन का एक खास सपना होता है. लेकिन प्रेग्नेंसी के 9 महीने का समय चुनौतियों और जिम्मेदारियों से भरा होता है. इस दौरान मां का हर कदम गर्भ में पल रहे शिशु के विकास और भविष्य को प्रभावित करता है. अगर प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ गलत आदतें सुधार न की जाएं, तो यह बच्चे की सेहत और विकास पर गंभीर असर डाल सकती हैं.

हाल ही में एक स्टडी में यह सामने आया कि खाना पकाने और गर्म करने के लिए कोयला या लकड़ी जैसे ठोस ईंधन का उपयोग करने से प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज (GDM) का खतरा बढ़ सकता है. चीन में जुनी मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि ऐसे ईंधन का उपयोग करने वाली महिलाओं में डायबिटीज के मामले ज्यादा होते हैं, जो गर्भ में शिशु के विकास को रोक सकता है.

धूम्रपान और शराब का सेवन
धूम्रपान और शराब का सेवन गर्भ में शिशु के विकास को धीमा कर सकता है. इससे बच्चे के जन्म के बाद भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे लो बर्थ वेट, श्वसन संबंधी समस्याएं, और यहां तक कि मानसिक विकास में बाधा.

अनकंट्रोल डायबिटीज और हाई बीपी का प्रभाव
अनकंट्रोल डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर भी शिशु के सामान्य विकास में बड़ी रुकावट बन सकते हैं. हाई ब्लड प्रेशर प्लेसेंटा में रक्त प्रवाह को कम कर सकता है, जिससे भ्रूण को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिल पाता.

पोषण की कमी
गर्भवती महिला का आहार सीधे बच्चे के विकास को प्रभावित करता है. अगर मां बैलेंस डाइट नहीं लेती, तो गर्भ में शिशु को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते. यह शिशु की ग्रोथ को धीमा कर सकता है और भविष्य में उसे कमजोर बना सकता है.

तनाव का असर
गर्भवती महिला का तनाव भी शिशु को प्रभावित कर सकता है. अत्यधिक तनाव से गर्भ में शिशु के ब्लड फ्लो में कमी हो सकती है, जिससे उसके विकास पर असर पड़ता है.

क्या करें?
* बैलेंस डाइट लें जिसमें सभी जरूरी पोषक तत्व शामिल हों.
* धूम्रपान और शराब से पूरी तरह बचें.
* नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श लें और समय-समय पर सीरियल अल्ट्रासाउंड स्कैन कराएं.
* हल्का व्यायाम करें और तनाव को कम करने के लिए योग या ध्यान का सहारा लें.
* प्रदूषण और ठोस ईंधन से दूरी बनाएं.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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