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बिना किसी चेतावनी फट सकते हैं फेफड़े! वैज्ञानिकों ने बताया हर 3000 में 1 व्यक्ति के शरीर में छुपा होता है 'जानलेवा जीन'

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने पाया है कि हर 3,000 में से एक व्यक्ति के शरीर में एक खराब जीन होता है, जिससे उनके फेफड़े फटने (पंक्चर होने) का खतरा बहुत बढ़ जाता है.

बिना किसी चेतावनी फट सकते हैं फेफड़े! वैज्ञानिकों ने बताया हर 3000 में 1 व्यक्ति के शरीर में छुपा होता है 'जानलेवा जीन'
Shivendra Singh|Updated: Apr 08, 2025, 05:49 PM IST
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जरा सोचिए, आप पूरी तरह से हेल्दी हैं, न सिगरेट पीते हैं, न सांस की कोई बीमारी है- लेकिन एक दिन अचानक आपकी छाती में तेज दर्द होता है और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. आपको लगता है कि हार्ट अटैक हो गया है, लेकिन असल में आपकी फेफड़े की हवा लीक हो रही होती है, यानी फेफड़ा पंक्चर हो चुका होता है. यह डरावनी स्थिति न्यूमोथोरैक्स कहलाती है और अब वैज्ञानिकों ने इसके पीछे एक छुपे हुए ‘जानलेवा जीन’ की पहचान की है.

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया कि हर 2,700 से 4,100 लोगों में से एक के शरीर में एक खराब जीन होता है, जिसे एफएलसीएन (FLCN) जीन कहते हैं. यह जीन बर्ट-हॉग-डुबे सिंड्रोम नाम की दुर्लभ जेनेटिक बीमारी से जुड़ा है, जिसमें फेफड़े पंक्चर होने की संभावना, त्वचा पर गांठें बनने और किडनी कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.

5.5 लाख से ज्यादा लोगों पर हुआ अध्ययन
इस शोध में 5.5 लाख से ज्यादा लोगों का डेटा खंगाला गया और पाया गया कि हर 200 लंबे और दुबले-पतले किशोर या युवा पुरुषों में से एक को फेफड़ा पंक्चर होने की परेशानी हो सकती है. अधिकतर मामलों में यह तकलीफ अपने आप ठीक हो जाती है या फिर डॉक्टर फेफड़ों से हवा या तरल निकालकर इलाज करते हैं. अगर किसी व्यक्ति का फेफड़ा पंक्चर हो जाए और वह आमतौर पर इस बीमारी वाले लक्षणों में फिट न बैठता हो (जैसे अगर वह 40 वर्ष का है), तो डॉक्टर उसके फेफड़ों की एमआरआई करके जांच करते हैं. अगर एमआरआई में निचले फेफड़ों में सिस्ट (गांठें) दिखती हैं, तो संभावना होती है कि उस व्यक्ति को बर्ट-हॉग-डुबे सिंड्रोम है.

एक्सपर्ट का क्या कहना?
प्रोफेसर मार्सिनियाक कहते हैं कि अगर किसी को बर्ट-हॉग-डुबे सिंड्रोम है, तो यह जानना जरूरी है, क्योंकि उसके परिवार के अन्य लोगों को भी किडनी कैंसर का खतरा हो सकता है. अच्छी बात यह है कि फेफड़ा पंक्चर की समस्या अक्सर किडनी कैंसर के लक्षण दिखने से 10-20 साल पहले होती है.। इसका मतलब है कि अगर समय रहते बीमारी की पहचान हो जाए, तो नियमित जांच और मॉनिटरिंग से किडनी कैंसर को समय पर पकड़ा और ठीक किया जा सकता है.

(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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