Makhana: मखाने को फॉक्स नट्स इसलिए कहते हैं क्योंकि इसका आकार फॉक्स यानि लोमड़ी की तरह होता है. सफेद चेहरे पर एक बिंदु ऐसा जो हूबहू चालाक लोमड़ी की याद दिलाता है. इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च के अनुसार, मखाने का मुख्य रूप से प्रोडक्शन बिहार, असम, वेस्ट बंगाल, त्रिपुरा और ओडिशा में उगाया जाता है. अकेले बिहार में, यह लगभग 15,000 हेक्टेयर वाटर बॉडी में उगाया जाता है. लगभग 5 लाख परिवार सीधे मखाना की खेती - कटाई, पॉपिंग, बिक्री और प्रोडक्शन - में शामिल हैं. बिहार से हर साल लगभग 7,500 से 10,000 टन पॉप्ड मखाना बेचा जाता है.
मखाना बनाने का प्रोसेस तीन स्टेज में होता है
मखाना की पॉपिंग (बीज को छिलके से पॉप करने की प्रक्रिया) मखाने को तैयार करने की प्रोसेस तीन स्टेज में शामिल है. बीज को पारंपरिक मिट्टी के बर्तन में या कच्चे लोहे के पैन में 250° सेल्सियस से 320° सेल्सियस तक हाई टेम्परेचर पर भुना जाता है, 2 से 3 दिनों के लिए तड़के, फिर से भुनकर कर एक मैलेट (लकड़ी का हथौड़ा या मुंगरी) का इस्तेमाल करके हाथ से मखाने को छिलके से अलग किया जाता है. भुनने के बाद हटाने के लिए हाइली स्किल्ड वर्कर की जरूरत होती है क्योंकि हटाने में कुछ सेकंड की देरी से खराब गुणवत्ता वाला पॉप्ड मखाना बन जाएगा.
मखाने के फायदे
रिसर्च बताते हैं कि मखाने में मैग्नीशियम और पोटेशियम पाया जाता है, जो कि हार्ट हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद पाया जाता है. कम कैलोरी और ज्यादा फाइबर होने से यह भूख को कंट्रोल करता है. अगर आप वेट घटाने के बारे में सोच रहे हैं, तो इसका सेवन कर सकते हैं.
गुणों से भरपूर मखाना
मखाने में मौजूद मैग्नीशियम स्ट्रेस कम करके अच्छी नींद लाने में मदद करता है. कैल्शियम की मौजूदगी हड्डियों और दांतों के लिए फायदेमंद है. व्रत के दौरान अधिक मात्रा में इनका सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है, हालांकि बड़े बुजुर्ग निसंकोच सेवन की सलाह देते हैं. मखाना एक कम कैलोरी वाला स्नैक है. इसमें कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, फास्फोरस और पोटेशियम के साथ-साथ शरीर के लिए कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं. मखाना भूख को कंट्रोल करने में मदद करता है. साथ ही इससे पेट भी भरा-भरा लगता है.
--आईएएनएस
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यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.