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अस्थमा पेशेंट के लिए करेले के ऊपर नीम की तरह है खराब एयर क्वॉलिटी, कैसे बचेंगे आप?

दिल्ली की हवा कई बार इतनी ज्यादा खराब हो जाती है, जिसमें नॉर्मल लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है, ऐसे में जिनको अस्थमा है उनके लिए तो ये और ज्यादा परेशानी का सबब है.

अस्थमा पेशेंट के लिए करेले के ऊपर नीम की तरह है खराब एयर क्वॉलिटी, कैसे बचेंगे आप?
Shariqul Hoda|Updated: May 16, 2025, 12:05 PM IST
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How Air Quality Impacts Asthma Patient: दिल्ली में हवा एक बार फिर खराब हो गई है. बैड एयर क्वालिटी अस्थमा के लक्षणों, गंभीर दौरों और अचानक अस्पताल पहुंचने के रिस्क को काफी हद तक बढ़ा देती है. एयर पॉल्यूशन में हार्मफुल पार्टिकल्स का मिक्सचर होता है, जिनमें पीएम2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन और वोलेटाइल कार्बनिक कंपाउंड शामिल हैं. जब इन्हें सांस जरिए अंदर लिया जाता है, तो ये एयरवेज में सूजन पैदा करते हैं, ब्रोंकोस्पास्म (एयरवेज का सिकुड़ना) को ट्रिगर करते हैं, और अस्थमा से पीड़ित फेफड़ों में अंडरलाइंग इंफ्लेमेशन को बढ़ाते हैं जिससे खांसी, घरघराहट, सांस फूलना जैसे लक्षण बढ़ जाते हैं. पीएम2.5 कण खास तौर से खतरनाक होते हैं क्योंकि वो फेफड़ों में गहराई तक एंटर करते हैं और दिन और रात दोनों टाइम के अस्थमा के कंडीशन को और खराब कर सकते हैं.

अस्थमा में खराब हवा का असर
डॉ. विकास मित्तल, डायरेक्टर, पल्मोनोलॉजिस्ट, सीके बिरला हॉस्पिटल, दिल्ली, ने बताया कि पॉल्यूटेड एयर के लगातार कॉन्टेक्ट में रहने से अस्थमा के गंभीर होने की फ्रीक्वेंसी बढ़ सकती है, समय के साथ फेफड़ों के काम में कमी आ सकती है, और मरीज सांस द्वारा ली जाने वाली दवाओं को लेकर कम रिस्पॉन्सिव हो सकते हैं. ये पहले से हेल्दी लोगों, खास तौर से बच्चों में अस्थमा के विकास में भी योगदान दे सकता है.

 

घर या दफ्तर के अंदर की हवा भी हमेशा सेफ नहीं होती
कई लोग मानते हैं कि घर या ऑफिस के अंदर रहने से वो खराब हवा के खतरे से बच जाएंगे, लेकिन खाना पकाने, धूपबत्ती, मच्छरदानी और खराब वेंटिलेशन से निकलने वाले धुएं के कारण अंदर की हवा भी उतनी ही हार्मफुल हो सकती है. धूल के कण और फफूंदी इस परेशानी को और बढ़ा देते हैं.

अस्थमा पेशेंट क्या कर सकते हैं?

1. एयर क्वालिटी इंडेक्स को मॉनिटर करें
रियल टाइम के एयर पॉल्यूशन के लेवल को ट्रैक करने के लिए ऐप्स या वेबसाइटों (जैसे SAFAR या AQI India) का इस्तेमाल करें.

2. पीक ऑयर पॉल्यूशन के दौरान बिल्डिंग के अंदर रहें
खास तौर से अर्ली मॉर्निंग और लेट इवनिंग में घर के बाहर घूमने से बचें क्योंकि इस दौरान हवा सबसे ज्यादा खराब रहती है.

3. घर पर एयर प्यूरीफायर का यूज करें
खासकर बेडरूम और लिविंग एरिया में एयर प्यूरीफायर जरूर लगाएं और साफ हवा में सांस लें.

4. बाहर N95 मास्क पहनें
खास तौर से हाई AQI वाले दिनों या हेवी कंस्ट्रक्शन जोन में N95 मास्क का इस्तेमाल करें.

5. इनहेलर का यूज करें
डॉक्टर ने आपको जो इनहेलर प्रिस्क्राइब की है उसका इस्तेमाल रेगुलरली करें क्योंकि लंग के लिए कंट्रोलर मेडिकेशन बेहद जरूरी है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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