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भारत के इस राज्य में अफ्रीकी स्वाइन फीवर का कहर, जानिए इंसानों के लिए कितना खतरनाक

अफ्रीकन स्वाइन फीवर के कारण मिजोरम में हजारों सुअरों की मौत की खबर आई है, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि इंसानों के लिए ये बीमारी कितनी खतरनाक है. 

भारत के इस राज्य में अफ्रीकी स्वाइन फीवर का कहर, जानिए इंसानों के लिए कितना खतरनाक
Shariqul Hoda|Updated: Apr 05, 2025, 07:32 AM IST
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African Swine Fever: मार्च महीने मिजोरम में दोबारा सामने आए अफ्रीकी स्वाइन फीवर (AFS) से अब तक 1,050 से अधिक सूअरों की मौत हो चुकी है. राज्य के पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग (AHVD) के एक अधिकारी ने बीते शुक्रवार को कहा कि विभाग ने अब तक तीन जिलों - लॉन्गतलाई (Lawngtlai), ममित (Mamit) और सियाहा (Siaha) के 34 इलाकों को एएसएफ-इंफेक्टेड जोन घोषित किया है.

इंटरनेशनल और स्टेट बॉर्डर के सटे इलाके
मिजोरम का लॉन्गतलाई म्यांमार (Myanmar) और बांग्लादेश (Bangladesh) के साथ बॉर्डर शेयर करता है, ममित त्रिपुरा (Tripura) और बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करता है, और सियाहा की सरहद म्यांमार से लगी हुई है.

कितने सुअरों को मारा गया?
एएचवीडी की कई टीमों ने अब तक तीनों जिलों में 400 से अधिक सूअरों और सुअर के बच्चों को मार डाला है. एएसएफ के नए आउटब्रेक की पुष्टि 20 मार्च को गुवाहाटी (Guwahati) में नॉर्थईस्ट रिजनल डिजीज डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी ((NERDDL) में टेस्ट के जरिए हुई थी.

मार्च में हुआ था आउटब्रेक
एएचवीडी के अधिकारियों के अनुसार, पिछले महीने की शुरुआत में, लॉन्गतलाई जिले में एएसएफ का एक नया आउटब्रेक हुआ था. राज्य सरकार स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है, क्योंकि अप्रभावित क्षेत्रों में इस घातक बीमारी के प्रसार को रोकने की कोशिशें की जा रही हैं.

भारी आर्थिक नुकसान
पिछले साल, मिजोरम को एएसएफ के प्रकोप के कारण 336.49 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जिसमें 15,000 सूअरों की मौत हो गई थी, जबकि बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए तकरीबन 24,200 सूअरों को मार डाला गया था. इस संक्रामक बीमारी का प्रकोप मार्च 2021 के मिड में शुरू हुआ था, और तब से, एएसएफ ने किसानों और सरकारी फार्मों को भारी नुकसान पहुंचाया है.

साल 2021 के आंकड़े
2021 में, तकरीबन 33,417 सूअरों और सुअर के बच्चों की मौत हो गई थी, और संक्रामक बीमारी के कारण 12,568 को मार डाला गया था, जबकि 2022 में, कम से कम 12,795 सूअरों और सुअर के बच्चों की मौत हो गई थी और 11,686 को मार डाला गया था, और 2023 में, 1,139 सूअरों और सुअर के बच्चों की मौत हो गई थी और 980 को मार डाला गया था.

साल 2024 के आंकड़े
2024 में, पहला एएसएफ मामला 9 फरवरी को चम्फाई जिले (Leithum village) के लेइथम गांव (Leithum village) में सामने आया था, जो म्यांमार के साथ खुली सीमा साझा करता है. पूर्वोत्तर राज्य, जो म्यांमार और बांग्लादेश के साथ ओपन बॉर्डर शेयर करता है, को 2021 से इस बीमारी के कारण 896.69 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ है.

सरकार ने दिया मुआवजा
एएचवीडी के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "एएसएफ के आउटब्रेक के कारण सूअरों और सुअर के बच्चों की मौत और उन्हें मारे जाने के मद्देनजर, मिजोरम को 2021 में 334.14 करोड़ रुपये, 2022 में 210.32 करोड़ रुपये और 2023 में 15.77 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ."  उन्होंने कहा कि सरकार ने इस हाइली कम्युनिकेबल डिजीज के कारण सूअरों के नुकसान के लिए सैकड़ों परिवारों को मुआवजा दिया है.

इंसानों के लिए कितना खतरनाक?
अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF) इंसानों के लिए सीधे तौर पर खतरनाक नहीं है, क्योंकि ये ह्यूमन को इंफेक्ट नहीं करता. ये सूअरों और जंगली सूअरों में फैलने वाली एक घातक वायरल बीमारी है, जो उनके लिए जानलेवा हो सकती है. हालांकि, ये इंसानों के लिए इनडायरेक्ट तकीके से अफेक्ट सकता है, जैसे सूअर पालन उद्योग को नुकसान, मांस की कमी और आर्थिक नुकसान. इंसानों को इससे बचने के लिए संक्रमित जानवरों के संपर्क से दूर रहना चाहिए.

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 

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