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पिता को है डायबिटीज, तो क्या बेटी भी हो जाएगी शुगर की मरीज? जानिए असली सच्चाई

डायबिटीज (मधुमेह) एक गंभीर बीमारी है. जब घर में किसी को डायबिटीज हो, खासकर माता-पिता में से किसी को, तो बच्चों को यह चिंता सताने लगती है कि कहीं उन्हें भी यह बीमारी न हो जाए.

पिता को है डायबिटीज, तो क्या बेटी भी हो जाएगी शुगर की मरीज? जानिए असली सच्चाई
Shivendra Singh|Updated: Mar 30, 2025, 10:07 PM IST
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डायबिटीज (मधुमेह) एक गंभीर बीमारी है, जो अक्सर परिवार में चलती हुई नजर आती है. जब घर में किसी को डायबिटीज हो, खासकर माता-पिता में से किसी को, तो बच्चों को यह चिंता सताने लगती है कि कहीं उन्हें भी यह बीमारी न हो जाए. खासतौर पर जब पिता को डायबिटीज हो, तो सवाल उठता है कि क्या बेटी को भी शुगर हो सकती है? क्या यह बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती है? इस सवाल पर विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही जेनेटिक्स का इसमें योगदान हो, लेकिन लाइफस्टाइल का प्रभाव कहीं ज्यादा होता है.

एक्सपर्ट के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के परिवार में डायबिटीज का इतिहास है, तो उसके शुगर का शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है. हालांकि, यह पूरी तरह निश्चित नहीं है कि पिता को होने वाली डायबिटीज बेटी में भी विकसित होगी. अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के मुताबिक, टाइप-2 डायबिटीज का खतरा परिवार में होने से जरूर बढ़ता है, लेकिन बैलेंस डाइट, नियमित व्यायाम और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इसे रोका जा सकता है.

लाइफस्टाइल मुख्य कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि डायबिटीज केवल आनुवांशिकता की वजह से नहीं होती. यदि परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो अगली पीढ़ी को खतरा जरूर होता है, लेकिन उसका मुख्य कारण अनियमित दिनचर्या, मोटापा और गलत खान-पान होता है. मेडलाइन प्लस के अनुसार, टाइप-2 डायबिटीज में अनुवांशिक पैटर्न स्पष्ट नहीं है, हालांकि जिन लोगों के माता-पिता या भाई-बहन को यह बीमारी है, उनमें खतरा बढ़ जाता है.

कैसे बच सकते हैं आप?
यदि आपके परिवार में डायबिटीज का इतिहास है, तो सतर्क रहने की जरूरत है. विशेषज्ञ कहते हैं कि आप अपनी लाइफस्टाइल को हेल्दी रखकर डायबिटीज को रोक सकते हैं. इसके लिए हेल्दी डाइट लें, जिसमें फाइबर रिच सब्जियां, साबुत अनाज, कम फैट वाले प्रोटीन और हेल्दी फैट का सेवन करें. शुगर, प्रोसेस्ड फूड और कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करें.

व्यायाम को बनाएं आदत
डायबिटीज से बचाव के लिए नियमित व्यायाम बेहद जरूरी है. सप्ताह में कम से कम 150 मिनट तक मध्यम गति का व्यायाम (जैसे तेज चलना, साइकिल चलाना या तैराकी) करें. इससे वजन कंट्रोल में रहता है और इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार होता है.

लक्षणों को पहचानें
डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, ज्यादा प्यास लगना, थकान, धुंधला दिखना और वजन कम होना शामिल हैं. अगर आपके परिवार में डायबिटीज का इतिहास है और आपको ये लक्षण महसूस हों, तो तुरंत ब्लड शुगर जांच करवाएं.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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