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किडनी ट्रांसप्लांट बना जान का खतरा! डोनर के गुर्दे में मिला खतरनाक पैरासाइट, डॉक्टर हुए हैरान

एक आम किडनी ट्रांसप्लांट, जो एक 61 वर्षीय व्यक्ति के लिए नई जिंदगी की उम्मीद लेकर आया था, वह लगभग उसकी जान ले बैठा. अमेरिका के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में हुए इस मामले ने डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया.

किडनी ट्रांसप्लांट बना जान का खतरा! डोनर के गुर्दे में मिला खतरनाक पैरासाइट, डॉक्टर हुए हैरान
Shivendra Singh|Updated: Jun 22, 2025, 07:11 AM IST
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एक आम किडनी ट्रांसप्लांट, जो एक 61 वर्षीय व्यक्ति के लिए नई जिंदगी की उम्मीद लेकर आया था, वह लगभग उसकी जान ले बैठा. अमेरिका के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में हुए इस मामले ने डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया. ट्रांसप्लांट के दो महीने बाद अचानक मरीज की तबीयत बिगड़ने लगी. उसे उल्टियां हो रही थीं, शरीर में थकावट थी, ज्यादा प्यास लग रही थी और बार-बार पेशाब हो रहा था. कुछ ही दिनों में उसकी ऑक्सीजन लेवल गिरने लगी और फेफड़ों में फ्लूइड भरने लगा. स्थिति गंभीर होती देख उसे आईसीयू में भर्ती किया गया.

मरीज को ट्रांसप्लांट के बाद दी जा रही इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं उसकी इम्युनिटी को काफी कमजोर कर चुकी थीं, जिससे किसी भी संक्रमण का खतरा बढ़ गया था. शुरुआत में डॉक्टरों ने वायरस संक्रमण की संभावना जताई, लेकिन जब शरीर में ईोसिनोफिल नामक व्हाइट ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ी और पेट पर लाल-बैंगनी रंग के चकत्ते दिखे, तो डॉक्टरों का शक परजीवी संक्रमण की ओर गया.

एक्सपर्ट का क्या कहना?
मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में ट्रांसप्लांट इंफेक्शियस डिजीज की विशेषज्ञ डॉ. कैमी कोटन ने जांच के बाद पाया कि मरीज के शरीर में स्ट्रांगाइलोइड्स नामक खतरनाक राउंडवॉर्म (गोल कृमि) मौजूद है. यह परजीवी आमतौर पर आंतों में पाया जाता है और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में जानलेवा हो सकता है.

संक्रमण कहां से आया?
डोनर का इतिहास खंगालने पर पता चला कि वह कैरिबियन क्षेत्र का निवासी था, जहां स्ट्रांगाइलोइड्स संक्रमण आम है. ट्रांसप्लांट से पहले डोनर की इस परजीवी के लिए कोई जांच नहीं हुई थी, लेकिन बाद में रखे गए ब्लड सैंपल्स में इसके एंटीबॉडीज पाए गए. वहीं, मरीज के ट्रांसप्लांट से पहले के खून में यह संक्रमण नहीं था, जिससे स्पष्ट हो गया कि परजीवी डोनर से आया था.

दूसरा मरीज भी चपेट में
हैरत की बात यह थी कि डोनर की दूसरी किडनी जिसे दूसरे मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया था, वह मरीज भी उसी परजीवी की वजह से गंभीर रूप से बीमार हो गया. इलाज में FDA से विशेष अनुमति लेकर आइवरमेक्टिन दवा इंजेक्शन के रूप में दी गई और दोनों मरीज धीरे-धीरे ठीक होने लगे.

नतीजा और चेतावनी
इस मामले के बाद यूनाइटेड नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग (UNOS) ने अब उन क्षेत्रों के डोनर के लिए स्ट्रॉन्गीलॉयडीज की जरूरी टेस्टिंग की सिफारिश की है जहां यह संक्रमण आम है. यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि जीवन बचाने वाली सर्जरी भी कभी-कभी अनदेखे खतरा लेकर आ सकती है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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