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पित्त की नली में परेशानी, डॉक्टर ने किया मैग्नेटिक तकीनक का यूज, नहीं पड़ी लिवर सर्जरी की जरूरत

मैग्नेटिक कंप्रेशन थेरेपी का इस्तेमाल करके एक 45 साल के मरीज की जिंदगी नॉर्मल हो गई, डॉक्टर ने वो कर दिखाया जो काफी मुश्किल लग रहा था.

पित्त की नली में परेशानी, डॉक्टर ने किया मैग्नेटिक तकीनक का यूज, नहीं पड़ी लिवर सर्जरी की जरूरत
Shariqul Hoda|Updated: Jun 18, 2025, 12:55 PM IST
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Magnetic Technology For Bile Duct Complication: मैग्नेटिक टेक्निक कितनी कामयाब हो सकती है, इसकी मिसाल नई दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में देखने को मिली, जहां डॉक्टर्स ने एक नोवेल मैग्नेटिक एनास्टोमोसिस तकनीक का इस्तेमाल करके एक रेयर और कॉम्पलेक्स बाइल डक्ट के कॉम्पलिकेशंस का सक्सेसफुल ट्रीटमेंट किया, जिससे बड़ी लिवर सर्जरी की जरूरत टल गई. ये मिनमिली इनवेसिव तरीका गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल केयर में एक अहम इनोवेशन है, खासकर सर्जरी के बाद पित्त नली में सिकुड़न वाले मरीजों के लिए.

बाइल डक्ट में क्यों आती है परेशानी?
लीवर हर दिन तकरीबन एक लीटर बाइव का प्रोडक्शन करता है, जो डाइजेशन में मदद के लिए पित्त नली के जरिये बहता है. हालांकि, गॉल ब्लैडर हटाने की सर्जरी (Cholecystectomy) के दौरान पित्त नली में चोट जैसी जटिलताएं हो सकती हैं, जिससे पित्त का रिसाव, इंफेक्शन और लीवर में सूजन हो सकती है, जिसके लिए अक्सर सर्जिकल इंटरवेंशन की जरूरत होती है.

परेशान मरीज का सफल इलाज
इस केस में, 45 साल के शख्स की 2020 में गॉल ब्लैडर हटाने की सर्जरी हुई थी और उसे बाइल डक्ट में गंभीर सिकुड़न हो गई थी. अगले 2 सालों में, कई स्टैंडर्ड एंडोस्कोपिक प्रोसीजर्स (ERCPs) इस परेशानी को हल करने में नकाम रहे. आखिरकार उन्हें प्रोफेसर अनिल अरोड़ा और सर गंगा राम अस्पताल में उनकी टीम के पास भेजा गया.

मैग्नेटिक कंप्रेशन थेरेपी से जीती जंग
अहमदाबाद के डॉ. संजय राजपूत और डॉ. मिलन जोलापारा की मदद से, टीम ने मैग्नेटिक कंप्रेशन थेरेपी (Magnetic Compression Therapy) का इस्तेमाल किया. पित्त नली के 1.5 सेमी से अलग हुए दो सिरों को दो खास तौर से डिजाइन किए गए मैग्नेट लगाकर जोड़ा गया, एक परक्यूटेनियस रूट से और दूसरा एंडोस्कोपी के जरिए. मैग्नेटिक फोर्स ने अलग हुए नली खंडों को एक साथ खींचा, जिससे बाइल फ्लो के लिए एक नया रास्ता बन गया.

नॉर्मल लाइफ में लौटा मरीज
इस प्रोसीजर को इमेजिंग का इस्तेमाल करके देखा और कंफर्म किया गया, जिसमें सीमलेस बाइल पैसेज और फुल मैग्नेटिक अलाइनमेंट दिखाई दिया. पेशेंट पूरी तरह से ठीक हो गया और नॉर्मल लाइफ में लौट आया, और उसने मेडिकल टीम का शुक्रिया अदा किया.

क्रांतिकारी है मैग्नेटिक तकनीक
ये केस बताता है कि कैसे चुंबक की मदद से इस्तेमाल की गई तकनीकें बाइल डक्ट की सिकुड़न के इलाज में क्रांति ला सकती हैं, खासकर जब पारंपरिक तरीके नाकाम हो जाते हैं. ये सफलता दूसर ट्यूबलर ऑर्गन डिस्कनेक्शन के इलाज में मैग्नेटिक टेक्नोलॉजी की क्षमता पर जोर देती है जिनके लिए आमतौर पर ओपन सर्जरी की जरूरत होती है.

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