trendingNow12755699मां का दूध पीने वाले बच्चों को बड़े खतरे से बचाएगा ये स्मार्ट पैड, बेबीज में घटेगा लिवर डिजीज का रिस्क
अगर मां डिलिवरी के बाद हद से ज्यादा पेन किलर्स खाती हैं तो उसके दूध पीने वाले बच्चे पर भी इसका असर हो सकता है, ऐसे में स्मार्ट लैक्टेशन पैड राहत का सबब साबित हो सकता है.
Shariqul Hoda|Updated: May 13, 2025, 12:25 PM IST
- Smart Lactation Pad For Breastfeeding: अमेरिकी रिर्चर्स ने नवजात बच्चों को कॉमन पेन किलर एसिटामिनोफेन के हद से ज्यादा एक्सपोजर्स से बचाने के लिए एक पहनने लायक और 'स्मार्ट' लैक्टेशन सेंसर डेवलप किया है. एसिटामिनोफेन, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर डिलिवरी के बाद दर्द को मैनेज करने के लिए किया जाता है, साथ ही बेबीज को बुखार के इलाज के लिए भी अक्सर दिया जाता है, जिससे डायरेक्ट एडमिनिस्ट्रेशन और इंडायरेक्ट तरीके से ब्रेस्टफीडिंग के जरिे पोटेंशियनल डबल डोज हो सकता है. ये दवा बच्चों में एक्यूट लिवर फेल्योर का बड़ा कारण है और अमेरिका में लिवर ट्रांसप्लान का सबसे कॉमन रीजन है.
- कैसे काम करता है ये स्मार्ट पैड?
अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया (University of Southern California) के रिसर्चर्स द्वारा डेवलप किए गए एसिटामिनोफेन सेंसर एक साधारण नर्सिंग पैड में शामिल किया जाता है और ब्रेस्ट मिल्क में एसिटामिनोफेन का पता लगाता है. साइंटिफिक जर्नल डिवाइस (Device) में डिस्क्राइब किए गए पेपर में टीम ने कहा कि इम्मैच्योर लिवर मेटाबॉलिज्म वाले ब्रेस्टफीडिंग बेबीज के लिए, ब्रेस्ट मिल्क में एसिटामिनोफेन की मौजूदगी एक्सट्रा रिस्क पैदा करती है.
- क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
यूनिवर्सिटी में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की असिस्टेंट प्रोफेसर मारल मौसावी (Maral Mousavi) ने कहा, "स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण से जुड़ी कमियों, मास्टिटिस (ब्रेस्ट टिशू इंफेक्शन) डेवलप होने के रिस्क और अपने दूध के जरिये दवाओं और दूसरे पदार्थों के पोटेंशियल ट्रासफर सहित यूनिक हेल्थ चैलेंजेज का सामना करना पड़ता है."
- जबकि दूध में एसिटामिनोफेन या दूसरे इंग्रेडिएंट्स के लेवल को मापने के लिए मौजूदा वक्त में उपलब्ध तरीके महंगे, जटिल और घर पर रेगुलर यूज के लिए मिलते नहीं हैं, टीम ने लैक्टेशन पैड पर फोकस किया,जो रिसते हुए दूध को सोखने के लिए ब्रा के अंदर पहने जाते हैं.
- कैसे की गई रिसर्च?
रिसर्चर्स ने एक सिंपल लैक्टेशन पैड लिया और सेंसिंग एरिया में दूध को गाइड करने के लिए छोटे माइक्रोफ्लुइडिक चैनल बनाए. पैड दिन भर में लेट-डाउन रिफ्लेक्स के दौरान नेचुरली निकलने वाले दूध को इकट्ठा करते है. वहां, कम लागत वाले इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर काम करते हैं, दूध में अहम हेल्थ मार्कर्स का पता लगाते हैं और मापते हैं. फिर सेंसर एसिटामिनोफेन के लेवल को मापने के लिए इलेक्ट्रिक पल्स का इस्तेमाल करके, ग्लूकोमीटर के जैसे काम करने वाले एक कॉम्पैक्ट, पोर्टेबल डिटेक्टर के जरिए यूजर्स के स्मार्टफोन पर रियल टाइम में रीडिंग भेजता है.
- मां और बच्चों के लिए फायदे का सौदा
इस जानकारी के साथ, यूजर्स अब इंफॉर्म्ड डिसीजन ले सकते हैं - जैसे कि दवा से भरे दूध को पंप करके डिसकार्ड चुनना - जिससे उनके बच्चे के लिए सुरक्षित भोजन सुनिश्चित हो सके. रिसर्चर्स ने अलग-अलग लेवल के एसिटामिनोफेन ह्यूमन मिल्क सैंपल का यूज करके सेंसर की एक्यूरेसी का टेस्ट किया. उन्होंने ये भी वेरिफाई किया कि सेंसर एंटीबायोटिक दवाओं की मौजूदगी के साथ-साथ कोलोस्ट्रम से लेकर मैच्योर मिल्क तक, ब्रेस्ट मिल्क के बदलते स्ट्रक्चर के दौरान भी काम करता है.
(इनपुट-आईएएनएस)
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