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RSV-ARI: सांस से जुड़े इस इंफेक्शन से युवाओं में मौत का रिस्क 3 गुणा बढ़ा, स्टडी में चौंकाने वाले आंकड़े

जिस इंसान को सांस से जुड़ी तकलीफ हो जाए, उनकी लिए जिंदगी मुश्किल हो जाती है. आपने रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस-एसोसिएटेड एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के बारे में शायद ही सुना होगा जो कई सांस से संबंधित समस्याएं पैदा करता है. 

RSV-ARI: सांस से जुड़े इस इंफेक्शन से युवाओं में मौत का रिस्क 3 गुणा बढ़ा, स्टडी में चौंकाने वाले आंकड़े
Shariqul Hoda|Updated: Apr 12, 2025, 02:43 PM IST
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Common Respiratory Condition: एक स्टडी में चेतावनी दी गई है कि रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस-एसोसिएटेड एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (RSV-ARI) वाले एडल्ट्स में एक साल के अंदर मौत का खतरा 2.7 गुना ज्यादा होने की संभावना है. आरएसवी-एआरआई रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस (आरएसवी) के कारण होने वाली बीमारियों के एक ग्रुप को रेफर करता है. एक कॉमन और कॉन्टेजियस वायरस जो खास तौर से रेस्पिरेटरी को अफेक्ट करता है.

कैसे की गई रिसर्च?
ऑस्ट्रिया (Austria) में यूरोपियन सोसाइटी ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज (ईएससीएमआईडी ग्लोबल 2025) के कांग्रेस में पेश यह स्टडी डेनमार्क में 2011 और 2022 के बीच आरएसवी-एआरआई से डायग्नोज किए गए 5,289 एडल्ट्स (18 साल से ज्यादा) के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है. उनकी तुलना सामान्य आबादी के 15,867 मिलान किए गए कंट्रोल्स से की गई और आरएसवी-एआरआई की शुरुआत के बाद एक साल तक उनका फॉलो-अप किया गया.

मरीजों की हालत गंभीर दिखी
स्टडी के लीड ऑथर, रिसर्चर मारिया जोआओ फोंसेका (Maria Joao Fonseca) ने कहा, "इस स्टडी के सबसे सिग्निफिकेंट इम्पैक्ट में से एक आरएसवी-एआरआई का लॉन्ग टर्म और अहम असर था. " उन्होंने कहा, "एक्यूट फेज के बाद भी, मरीजों ने सामान्य आबादी की तुलना में खराब आउटकम का एहसास करना जारी रखा. ये इस बात पर जोर देता है कि आरएसवी-एआरआई के असर कितने गंभीर और स्थायी हो सकते हैं."

इन बीमारियों की बन सकती है वजह
जबकि बच्चों और छोटे बच्चों पर आरएसवी के असर अच्छी तरह से डॉक्यूमेंटेड हैं, ये एडल्ट्स में निमोनिया और क्रोनिक रिस्पिरेटरी डिजीज सहित गंभीर जटिलताओं का कारण भी बन सकता है. ये फाइंडिंग्स एडल्ट्स में आरएसवी-एआरआई के अहम, फिर भी अक्सर कम पहचाने जाने वाले, लॉन्ग टर्म हेल्थ और आर्थिक बोझ को उजागर करते हैं, खास तौर से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और अस्थमा जैसी अंडरलाइंग कंडीशन वाले लोगों में.

अस्थमा का भी खतरा
मौत के बढ़ते जोखिम के अलावा, स्टडी में ये भी दिखाया गया कि आरएसवी वाले एडल्ट्स में सीओपीडी और अस्थमा का बढ़ना भी एक्पीरिएंस होता है, जिसमें अस्पताल में भर्ती होने और आईसीयू में इजाफा होता है. फोंसेका ने कहा, "सीओपीडी और अस्थमा का बढ़ना सबसे कॉमन एडवर्स क्लीनिकल आउटकम था. ये पहले से मौजूद कंडीशंस अपने आप में चैलेंजिंग हैं, और आरएसवी-एआरआई उनकी गंभीरता को और बढ़ा देता है," उन्होंने कहा कि इस स्थिति से हेल्थकेयर कॉस्ट भी बढ़ जाती है. उन्होंने हेल्थकेयर से गुजारिश की है कि "आगे, संभावित रूप से जानलेवा कॉम्पलिकेशंस को रोकने के लिए इन अंडरलाइंग कंडीशन वाले मरीजों पर ज्यादा ध्यान दें."

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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