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मिल गया मोटापे का असली मुजरिम! बढ़ती उम्र के साथ हमारी कमर क्यों चौड़ी हो जाती है?

उम्र बढ़ने के साथ कमर का चौड़ा होना एक नॉर्मल प्रॉसेस है, लेकिन इस पर काबू नहीं पाया गया तो ये आपको मोटापे की तरफ ले जाता है, और कई परेशानियां पैदा करता है.

मिल गया मोटापे का असली मुजरिम! बढ़ती उम्र के साथ हमारी कमर क्यों चौड़ी हो जाती है?
Shariqul Hoda|Updated: Apr 27, 2025, 01:00 PM IST
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Age-related abdominal fat: अमेरिका के रिसर्चर्स की एक टीम ने उम्र से जुड़ी पेट की चर्बी के पीछे के सेलुलर कारण का पता लगाया है, जिससे ये समझने में नया इनसाइट मिला है कि हमारी कमर मिडिल एज में क्यों चौड़ी हो जाती है. जर्नल साइंस (Science) में छपी फाइंडिंग्स, पेट की चर्बी को रोकने और हमारे हेल्दी लाइफस्पान को बढ़ाने के लिए भविष्य के इलाजों के लिए एक नया टारगेट सुझाते हैं. 

रिसर्च में सामने आई बड़ी बात
अमेरिका में सबसे बड़े और सबसे एडवांस्ड कैंसर रिसर्च और ट्रीटमेंट संगठनों में से एक, सिटी ऑफ होप (City of Hope) द्वारा किए गए प्रि-क्लिनिकल रिसर्च ने ये अध्ययन किया है. सिटी ऑफ होप के आर्थर रिग्स डायबिटीज एंड मेटाबॉलिज्म रिसर्च इंस्टीट्यूट (Arthur Riggs Diabetes and Metabolism Research Institute) में मॉलिक्यूलर और सेलुलर एंडोक्रिनोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर किओंग (एनाबेल) वांग (Qiong (Annabel) Wang) ने कहा, "लोग अक्सर उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों को खो देते हैं और शरीर की चर्बी बढ़ जाती है, भले ही उनके शरीर का वजन एक जैसा रहे."

वांग ने कहा, "हमने पाया कि उम्र बढ़ना एक नए तरह की एडल्ट स्टेम सेल के आगमन को ट्रिगर करता है और शरीर में नए फैट सेल्स के बड़े पैमाने पर उत्पादन को बढ़ाता है, खासकर पेट के आसपास."

फैटी टिशू से बढ़ता है वजन
यूसीएलए लैब के को-कॉरेस्पॉन्डिंग ऑथर जिया यांग (Xia Yang) की मदद से, साइंटिस्ट ने चूहों पर एक्सपेरिमेंट की एक सीरीज आयोजित की, जिसे बाद में मानव कोशिकाओं पर मान्य किया गया. वांग और उनके सहयोगियों ने व्हाइट एडिपोज टिशू (WAT) पर फोकस किया, जो उम्र से जुड़े वजन बढ़ने के लिए जिम्मेदार फैटी टिशू है.

हालांकि ये जाहिर सी बात है कि उम्र के साथ फैट सेल्स बड़े होते जाते हैं, लेकिन साइंटिस्ट को ये शक था कि डब्ल्यूएटी नए फैट सेल्स का उत्पादन करके भी फैलता है, जिसका मतलब है कि इसमें बढ़ने की असीमित क्षमता हो सकती है. अपने हाइपोथेसिस का टेस्ट करने के लिए, रिसर्चर्स ने एडिपोसाइट प्रोजेनिटर सेल्स (APCs) पर फोकस किया, जो डब्ल्यूएटी में स्टेम सेल्स का एक ग्रुप है जो फैट सेल्स में विकसित होता है.

 

चूहों पर कैसे की गई रिसर्च?
टीम ने पहले युवा और बूढ़े चूहों से एपीसी को युवा चूहों के दूसरे ग्रुप में ट्रांसप्लांट किया. बूढ़े जानवरों से हासिल एपीसी ने तेजी से भारी मात्रा में फैट सेल्स का प्रोडक्शन किया. हालांकि, जब टीम ने युवा चूहों से एपीसी को बूढ़े चूहों में ट्रांसप्लान किया, तो स्टेम सेल्स ने कई नई फैट का निर्माण नहीं किया. रिजल्ट ने कंफर्म किय कि बूढ़े एपीसी अपने मेजबान की उम्र की परवाह किए बिना, आजाद तरीके से नए फैट सेल्स बनाने के लिए तैयार हैं.

सिंगल सेल आरएनए सीक्वेंसिंग का इस्तेमाल करते हुए, साइंटिस्ट्स ने अगली बार युवा और बूढ़े चूहों में एपीसी जीन एक्टिविटी की तुलना की. युवा चूहों में मुश्किल से एक्टिव होने के बावजूद, मिडिल एज के चूहों में एपीसी पूरी ताकत से जाग गए और नए फैट सेल्स को बाहर पंप करना शुरू कर दिया. ल्यूकेमिया इंहिबिटरी फैक्टर रिसेप्टर (LIFR) नामक एक सिग्नलिंग पाथवे इन सीपी-ए सेल्स को मल्टीप्लाई करने और फैट सेल्स में विकसित होने को बढ़ावा देने के लिए अहम साबित हुआ.

वांग ने समझाया, "हमने पाया कि शरीर के फैट बनाने का प्रॉसेस एलआईएफआर द्वारा संचालित होती है. जबकि युवा चूहों को वसा बनाने के लिए इस संकेत की जरूरत नहीं होती है, बूढ़े चूहों को होती है. हमारे रिसर्च से इशारा मिलता है कि एलआईएफआर बूढ़े चूहों में नए फैट सेल्स को बनाने और पेट की चर्बी को बढ़ाने के लिए सीपी-ए को ट्रिगर करने में अहम रोल अदा करा है." वांग ने कहा, "हमारी फाइंडिंग्स उम्र से जुड़े मोटापे को दूर करने के लिए नए फैट सेल्स के फॉर्मेशन को कंट्रोल करने की अहमियत पर फोकस करते हैं."

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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