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चीनी जैसी दिखती है, लेकिन तासीर बिल्कुल अलग, खांसी-जुकाम को कर देती है साफ

आयुर्वेद के नजरिए से देखा जाए, तो सेहत से जुड़ी आम समस्याओं का इलाज कुदरत में ही छिपा हुआ होता है. ऐसा ही एक औषधीय गुणों से भरी चीज है, जिसे तबाशीर के नाम से जाना जाता है. 

चीनी जैसी दिखती है, लेकिन तासीर बिल्कुल अलग, खांसी-जुकाम को कर देती है साफ
Shariqul Hoda|Updated: Aug 02, 2025, 11:42 AM IST
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Tabasheer Ke Fayde: वंशलोचन, जिसे कई लोग तबाशीर भी कहते हैं, एक कुदरती उपाय है जो बांस के तने के अंदर से निकलता है. ये सफेद रंग का होता है और आमतौर पर पाउडर या छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में मिलता है. इसे 'बैंबू मैनना' (Bamboo Manna) या 'बैंबू सिलाइसेस' के नाम से भी जाना जाता है.

कहां होती है इसकी पैदावार?
इसका साइंटिफिक नेम 'बैम्बुसा अरुंडिनेशिया' (Bambusa arundinacea) है. ये आमतौर पर भारत, फिलीपींस, चीन जैसे एशियाई देशों में व्यापक रूप से उगाया जाता है. खास तौर से इसका इस्तेमाल औषधीय गुणों के लिए किया जाता है. इसमें सिलिका की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जो इसे कई स्वास्थ्य लाभों के लिए उपयोगी बनाती है. चरक संहिता और भैषज्य रत्नावली जैसे ग्रंथों में वंशलोचन को अनेक योगों में स्थान दिया गया है, जैसे सितोपलादि चूर्ण, तालिसादि चूर्ण, वंशलोचनादि चूर्ण वगैरह.

इन परेशानियों में राहत का सबब
भैषज्य रत्नावली में वंशलोचन को वात और कफ शामक, पित्त वर्धक और बल्य (शक्तिवर्धक) माना गया है. इसका इस्तेमाल खांसी, जुकाम, बुखार, पाचन संबंधी समस्याओं, हड्डियों और दांतों की कमजोरी जैसे अलग-अलग कंडीशन के ट्रीटमेंट में किया जाता है. इसमें मौजूद सिलिका हड्डियों को मजबूत बनाने और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करता है.

जलन शांत करता है
इसकी तासीर ठंडी होती है, इसलिए जिन लोगों के हाथ-पैर में जलन और हाथ में पसीना आता है, उनके लिए वंशलोचन काफी फायदेमंद है. ये पित्त को शांत करता है और शरीर के बाकी दोष जैसे कि वात, पित्त और कफ में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है.

सर्दी-जुकाम में आराम
चरक संहिता में इसे तबाशीर या तुगक्षीरी भी कहा गया है. इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है, जैसे कि खांसी, जुकाम, बुखार, पाचन से जुड़ी परेशानियां, हड्डियों की कमजोरी, और स्किन डिजीज. सिलिका की ज्यादा मात्रा होने के कारण ये बालों को मजबूत बनाने में मदद करता है.

मुंह के छाले करे दूर
अगर किसी को मुंह में छाले हैं, तो वो वंशलोचन को शहद में मिलाकर इस्तेमाल कर सकता है. दरअसल, मुंह में छाले अक्सर पेट की गर्मी बढ़ने के कारण होते हैं. वंशलोचन की तासीर ठंडी होती है, जो पेट की गर्मी को शांत करने में मदद करती है. वहीं, शहद में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण मुंह के संक्रमण (इंफेक्शन) को कम करके छालों को जल्दी ठीक करते हैं. लेकिन इसके सेवन से पहले किसी भी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है.

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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