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मुंह के अल्सर को हल्के में लिया, सिर और गले में फैली ये खतरनाक बीमारी, अब बची कुछ महीने की जिंदगी!

45 साल की महिला एमा बायरन की कहानी बताती है कि अगर छोटी सी परेशानी पर ध्यान न दिया जाए, तो ये एक बड़ी बीमारी का रूप ले सकती है. साथ ही इससे अर्ली डायग्नोसिस की अहमियत भी पता चलती है.

मुंह के अल्सर को हल्के में लिया, सिर और गले में फैली ये खतरनाक बीमारी, अब बची कुछ महीने की जिंदगी!
Shariqul Hoda|Updated: Aug 11, 2025, 07:03 AM IST
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Mouth Ulcer To Head And Neck Cancer: इंग्लैंड के रोचेस्टर, केंट में रहने वाली 45 साल की एमा बायरन (Emma Byron), पिछले 3 महीनों तक लगातार रहे मुंह के छाले से परेशान थीं, उनके डॉक्टर ने कहा कि ये इतना अर्जेंट नहीं है, जिसका खामियाजा एमा को भुगतना पड़ा. ये महिला अब लाइलाज स्टेज 4 हेड और नेक कैंसर का सामना कर रही हैं. अब शायद वो ज्यादा वक्त तक जिंदा न रह पाए, लेकिन बीमारी से जंग अब भी जारी है. 

शुरुआत और गलतफहमी
'द सन' की रिपोर्ट के मुताबिक मई 2023 में, एमा ने अपनी जीभ पर एक घाव महसूस किया. उन्हें लगा ये लाइकेन प्लेनस (Lichen planus) नाम की पुरानी बीमारी से जुड़ा है, लेकिन इस बार स्टेरॉयड स्प्रे असरदार नहीं रहा. जब एक महीने बाद भी घाव नहीं भरा, तो उन्होंने कई बार डॉक्टर से मिलने की कोशिश की. ऑनलाइन ट्रायएज सिस्टम ने बार-बार उनकी रिक्वेस्ट को गैर-जरूरी बताते हुए खारिज कर दिया, जबकि उनके लक्षण मुंह के कैंसर के क्लासिक संकेत थे, जैसे- न भरने वाला घाव, लाल और सफेद धब्बे, और बढ़ता दर्द.

जुलाई के आखिर तक, एमा बेहद परेशान थीं. आखिरकार, उनके डॉक्टर ने उन्हें हॉस्पिटल जाने की सलाह दी, लेकिन सबसे नजदीकी अपॉइंटमेंट सितंबर में मिला. अगस्त में उन्हें अपॉइंटमेंट मिला और सितंबर में बायोप्सी से पता चला कि उन्हें स्टेज 1 ओरल स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (OSCC) है. ईस्ट ग्रिनस्टेड (East Grinstead) के क्वीन विक्टोरिया अस्पताल (Queen Victoria Hospital) में उनकी जीभ का एक हिस्सा और 42 लिम्फ नोड्स निकाले गए. सर्जरी के बाद उन्हें जानलेवा "कायल लीक" (Chyle leak) हुआ, जिसके लिए लंदन (London) के गाइज अस्पताल (Guy’s Hospital) में फिर से ऑपरेशन करना पड़ा.

कैंसर की वापसी और बड़ा झटका
शुरुआत में कैंसर खत्म होने पर एमा फिर से पढ़ाने-लिखाने लगीं. लेकिन मई 2024 में उन्हें गर्दन में गांठ महसूस हुई. स्कैन में पता चला कि ये अग्रेसिव स्टेज 3 ओरल कैविटी सारकोमा (Oral cavity sarcoma) है, जिसके लिए जीभ का 40% हिस्सा, जबड़े का एक भाग (जिसे टाइटेनियम प्लेट से बदला गया), कई लिम्फ नोड्स और सांस लेने के लिए ट्रेकियोस्टॉमी करनी पड़ी. जीभ को रीकंस्ट्रक्ट करने के लिए उनके हाथ की त्वचा ली गई, जिससे बोलने, खाने और चेहरे की बनावट पर असर पड़ा.

कुछ समय बाद, उन्हें ये खौफना खबर मिली कि उनका कैंसर लाइलाज स्टेज 4 है और ये उनके फेफड़ों, लिम्फ नोड्स और पैर तक फैल चुका है. डॉक्टरों ने उनकी जीने की संभावना 12–18 महीने बताई, लेकिन एमा इसे मात देने के लिए डेडिकेटेड हैं. 

हेड और नेक कैंसर को समझें
90% से अधिक केस स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के होते हैं, जो मुंह, गले और साइनस को अफेक्ट करते हैं. मेन फैक्टर्स में तंबाकू, शराब, हाई-रिस्क एचपीवी (खासकर HPV-16), लंबे समय तक धूप में रहना और एप्सटीन-बार वायरस शामिल हैं. लक्षणों में 3 हफ्ते से न भरने वाला घाव, लाल/सफेद धब्बे, गर्दन में गांठ, गले में खराश, निगलने में कठिनाई, आवाज में बदलाव और बिना कारण वजन घटना शामिल हैं. वक्त पर पहचान बेहद जरूरी है. बचाव के लिए स्मोकिंग और शराब से बचें, एचपीवी वैक्सीन लेना और रेगुलर डेंटल चेकअप जरूरी हैं.

 

एमा का मैसेज
एमा बायरन कहती हैं कि अगर किसी को लंबे समय से मुंह का घाव, गले में खराश या गर्दन में गांठ हो, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं, क्योंकि समय रहते पहचान बेहद जरूरी है. वरना बीमारी हद से ज्यादा बढ़ सकती है.

 

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कैंसर के साथ जिंदगी
एमा पांच सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी से गुजर चुकी हैं, जिनके साइड इफेक्ट के कारण उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. उनकी आवाज बदल गई है, जिससे पढ़ाना मुश्किल हो गया है. वो अब ज्यादातर नर्म और सॉस वाले भोजन जैसे सूप, स्ट्यू और पास्ता खाती हैं. स्वाद में बदलाव के कारण तेज फ्लेवर जैसे मछली, करी और लहसुन उन्हें ज्यादा पसंद आते हैं. हेल्दी रहने के लिए वो पौष्टिक भोजन, फिटनेस और तनाव कम करने पर ध्यान देती हैं. वो जानती हैं कि ये इलाज नहीं है, लेकिन शरीर को कैंसर से लड़ने में मदद करता है.

जीवन को पूरी तरह जीने का संकल्प
एमा कैंसर यूनिट्स के लिए फंड जुटाती हैं. हाल ही में उन्होंने स्लोवेनिया के लेक ब्लेड पर 7 जिप-लाइन का चैलेंज पूरा किया, जबकि उनके पैर में ट्यूमर था. उन्होंने क्वीन विक्टोरिया हेड एंड नेक यूनिट और मेडस्टोन ऑन्कोलॉजी के लिए धन जुटाया और अस्पताल के सभी स्टाफ की दयालुता और देखभाल की तारीफ की.

वो हेड और नेक कैंसर पर ज्यादा रिसर्च की मांग करती हैं, बताते हुए कि 2013 से 2020 के बीच मामलों में 47% इजाफा हुआ है, जबकि दूसरे कैंसर्स में मृत्यु दर घट रही है, लेकिन इनमें बढ़ रही है. उन्हें अफसोस है कि हालिया मेडिकल डेवलपमेंट उनके लिए देर से आया.

(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)

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