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सुअर की किडनी लगने के 60 दिन बाद भी जिंदा, बना वर्ल्ड रिकॉर्ड; साइंस की नई सौगात

ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने से इंसानों को नई जिंदगी मिल जाती है, लेकिन किसी सुअर की किडनी लगाने के बाद हर किसी का लंबे वक्त तक सर्वाइव करना मुश्किल है, हालांकि अमेरिका की महिला ने 2 महीने से ज्यादा जिंदा रहकर दिखा दिया.

सुअर की किडनी लगने के 60 दिन बाद भी जिंदा, बना वर्ल्ड रिकॉर्ड; साइंस की नई सौगात
Shariqul Hoda|Updated: Jan 28, 2025, 10:30 AM IST
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Pig Kidney Transplant: अमेरिकी राज्य अलबामा की एक महिला, सूअर के ऑर्गन ट्रांसप्लांट के बाद सबसे ज्यादा दिनों तक जिंदा रहने वाली इंसान बन गई हैं. उन्होंने ये जबरदस्त अचीवमेंट 2 महीनों की लिमिट पार करने के हासिल किया. ये सचमुच में मेडिकल साइंस में एक बड़ी कामयाबी है, न सिर्फ महिला के लिए बल्कि सभी के लिए. जेनेटिकली मोडिफाइड पिग ऑर्गन के साथ जिंदा रहने वाली ये महिला हर किसी को हैरान कर ही है. वो खुद को 'सुपरवुमन' बताती है, इस तरह का ऑर्गन ट्रांस्पलांटेशन के फ्यूचर के लिए उम्मीदें जगाता हैं. उनका यूनिक केस लाइफ सेविंग इनोवेशन की संभावनाओं को नए पंख लगा रहा है.

 

2 दशक से डायलिसिस पर थी महिला
ये कहानी है टोवाना लूनी (Towana Looney) की जिन्होंने पिग किडनी ट्रांस्पलांट के बाद 28 जनवरी 2025 को 61 दिन पूरे कर लिए. ये महिला पिछले 2 दशकों से डायलिसिस पर थीं. उनकी जिंदगी में नया मोड़ तब आया जब वो लाइफ सेविंग ऑर्गन हासिल करने वाली अमेरिका की 5वीं शख्स बनीं.

महिला ने जगाई नई उम्मीद
एनवाईयू लैंगोन हेल्थ के डॉ. रॉबर्ट मोंटगोमरी (Dr. Robert Montgomery) ने कहा, जिन्होंने ऑर्गन ट्रांस्पलांट को लीड किया किया, उन्होंने कहा, "लूनी बताती हैं कि वो अपनी रिकवरी से काफी खुश हैं, उनकी किडनी का फंक्शन पूरी तरह से नॉर्मल है." डॉक्टर्स को उम्मीद है कि लूनी की नई किडनी सालों तक काम करेगी, जिससे अंग प्रत्यारोपण के लिए कतार में इंतजार कर रहे लोगों के लिए एक नई सांस की उम्मीद पैदा होगी.
 

पिग ऑर्गन क्यों ट्रांस्पलांट कर रहे हैं साइंटिस्ट्स?

वैज्ञानिक तेजी से जेनेटिकली मोडिफाइड पिग की ओर देख रहे हैं ताकि ट्रांसप्लांट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मानव अंगों की गंभीर कमी से निपटा जा सके. अमेरिका में पहले से ही 1 लाख से ज्यादा लोग मैचिंग ऑर्गन की वेटिंग लिस्ट में बने हुए हैं, और उनमें से ज्यादातर लोगों की मौत हो जाती है इससे पहले कि बहुत देर हो जाए. सूअरों को जेनेटिकली मोडिफाई किया जाता है ताकि उनके ऑर्गन ह्यूमन बायोलॉजी से बेहतर मेल खा सकें. इससे प्रत्यारोपण की उनकी संभावनाओं में सुधार होना चाहिए, जिससे ये ट्रांसप्लांट मेडिसिन में एक क्रांतिकारी खोज बन जाए क्योंकि इसे अंगों के लिए एक 'रीन्यूएबल सोर्स' माना जाएगा.

 

मेडिकल साइंस में नई उम्मीद

टोवाना लूनी की कामयाबी ने जेनोट्रांसप्लांटेशन के पूरे फील्ड को बढ़ावा दिया है, यानी एनिमल ऑर्गन का प्रत्यारोपण करके इंसानी जिंदगी बचाना. रिसर्चर्स फ्यूचर स्टडीज को डिजाइन करने में लूनी के केस से सीखते हैं, और लूनी की सफलता वैज्ञानिकों को सूअर के अंग प्रत्यारोपण के औपचारिक परीक्षणों के लिए तैयार होने दे रही है, जो जल्द ही शुरू हो जाना चाहिए.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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