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मलेरिया और डेंगू एक दूसरे से कितने जुदा? जानिए दोनों बीमारियों के बीच का असल फर्क

World Malaria Day: 25 अप्रैल को 'वर्ल्ड मलेरिया डे' मनाने का मकसद है कि हम इस बीमारी को लेकर अवेयर रहें. साथ ही हमें ये पता होना चाहिए कि ये डिजीज डेंगू फीवर से कितनी अलग है. 

मलेरिया और डेंगू एक दूसरे से कितने जुदा? जानिए दोनों बीमारियों के बीच का असल फर्क
Shariqul Hoda|Updated: Apr 25, 2025, 11:11 AM IST
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Differences Between Malaria and Dengue: मलेरिया और डेंगू वाले बुखार दोनों ही ऐसी बीमारियां हैं जिनके लिए मच्छर जिम्मेदार हैं. ये डिजीज ट्रॉपिकल और सबट्रॉपिकल एरियाज में कॉमन हैं. हालांकि इनमें बुखार और शरीर में दर्द जैसे कुछ लक्षण एक जैसे  हैं, लेकिन ये अलग-अलग जीवों के कारण होते हैं और इनकी कुछ खास पहचान होती हैं. दोनों के बीच बुनियादी फर्क को समझने से अर्ली डायग्नोसिस और असरदार इलाज में मदद मिल सकती है.

कैसे होती है दोनों बीमारियां?
मलेरिया बीमारी प्लास्मोडियम (Plasmodium) नामक पैरासाइट के कारण होती है, जो संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर (Female Anopheles Mosquito) के काटने से इंसानों में फैलती है. 

दूसरी तरफ, डेंगू वायरस के कारण होता है, जो एडीज एजिप्टी मच्छर (Aedes Aegypti Mosquito) के जरिए फैलता है, जो आमतौर पर दिन के वक्त एक्टिव रहता है.

इनके लक्षण

मलेरिया के लक्षणों में ठंड और पसीने के साथ बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, मतली और कभी-कभी उल्टी शामिल हैं. मलेरिया में बुखार अक्सर साइकल्स में आता है (हर 48 से 72 घंटे में).

डेंगू के लक्षणों में अचानक तेज बुखार, तेज सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द (अक्सर "हड्डी तोड़ बुखार" कहा जाता है), स्किन पर रैशेज, और गंभीर मामलों में, मसूड़ों या नाक से खून बहना शामिल है.

डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट
मलेरिया का डायग्नोसिस ब्लड टेस्ट के जरिए किया जाता है जो प्लास्मोडियम पैरासाइट का पता लगाता है. इसका इलाज क्लोरोक्वीन या आर्टेमिसिन-बेस्ड कॉम्बिनेशंस जैसी एंटी-मलेरिया दवाओं से किया जाता है.

डेंगू का डायग्नोसिस भी खून की जांच से ही किया जाता है जो वायरस या एंटीबॉडी का पता लगाते हैं. डेंगू के लिए कोई खास एंटीवायरल ट्रीटमेंट नहीं है. मरीजों का इलाज फ्लूइड, आराम और बुखार और दर्द को कम करने वाली दवाओं से किया जाता है.

 

प्रिवेंशन
डेंगू और मलेरिया दोनों तरह के बुखार को रोकने के लिए जरूरी है कि आप मच्छरों को पैदा न होने दें और अपने आपको इनको काटने से बचाएं. सबसे जरूरी है कि आप रात या दिन को सोते वक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करें. घरों में महीन जाली वाले खिड़की और दरवाजे लगाएं. ऐसे इलाकों में न जाएं, जहां मच्छरों का आतंक है, अगर मजबूरी में जाना पड़े तो फुल स्लीव कपड़े पहचनें. घर के आसपास, गमले, कूलर, पुराने टायर या नारियल के खोल में पानी जमा न होने दें. छत की टंकियों को ढककर रखें, ताकि मच्छरों को पनपने का मौका न मिल सके.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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