trendingNow12828261
Hindi News >>Health
Advertisement

डायबिटीज और किडनी डिजीज का डेडली कॉम्बिनेशन है ये एक बीमारी, धीरे-धीरे तोड़ देती है शरीर

What is DKD: किडनी की बीमारी और डायबिटीज दोनों ही शरीर के लिए खतरनाक है, लेकिन अगर आप इस डिजीज को लेकर अवेयर नहीं हैं तो परेशानी बढ़ सकती है. 

डायबिटीज और किडनी डिजीज का डेडली कॉम्बिनेशन है ये एक बीमारी, धीरे-धीरे तोड़ देती है शरीर
Shariqul Hoda|Updated: Jul 06, 2025, 10:45 AM IST
Share

Diabetic Kidney Disease डायबिटिक किडनी डिजीज एक गंभीर और धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी है, जो उन लोगों को होती है जो लंबे समय से डायबिटीज से पीड़ित हैं. ये बीमारी डायबिटीज के कारण गुर्दे काम करने की ताकत को अफेक्ट करती है और वक्त के साथ किडनी फेलियर की हालत तक पहुंचा सकती है. भारत में हर साल हजारों मरीज डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत तक पहुंच जाते हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह डायबिटिक किडनी डिजीज (DKD) होती है.

क्या होती है डायबिटिक किडनी डिजीज?
जब ब्लड शुगर लंबे वक्त तक काबू में नहीं रहता, तो वो किडनी की महीन फिल्टरिंग यूनिट्स को नुकसान पहुंचाने लगता है. ये नलिकाएं खून को छानने का काम करती हैं और एक्सट्रा फ्लूइड और टॉक्सिन्स को पेशाब के जरिए बाहर निकालती हैं. लेकिन डायबिटीज के असर से ये फिल्टर धीरे-धीरे खराब हो जाते हैं और किडनी से प्रोटीन लीक होने लगता है, जिसे प्रोटीन्यूरिया कहा जाता है. ये डायबिटिक किडनी डिजीज की शुरुआती पहचान होती है.

ये क्यों है खतरनाक?

धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी:
DKD का कोई साफ और तेज लक्षण नहीं होता. मरीज को तब तक पता नहीं चलता जब तक 50% से ज्यादा किडनी खराब न हो चुकी हो.

शरीर पर कई तरह का असर
किडनी ठीक से काम न करे तो शरीर में टॉक्सिंस जमा होने लगते हैं, जिससे थकान, सूजन, भूख की कमी, उल्टी और हाई ब्लड प्रेशर जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं.

हार्ट डिजीज का रिस्क
डायबिटिक किडनी डिजीज से पीड़ित मरीजों में दिल की बीमारी, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.

आखिरी स्टेज पर डायलिसिस या ट्रांसप्लांट
अगर रहते इलाज न किया जाए तो किडनी पूरी तरह फेल हो सकती है, जिसके बाद डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट ही आखिरी विकल्प बचता है.

डायबिटिक किडनी डिजीज एक 'साइलेंट किलर' है, जो न सिर्फ किडनी, बल्कि पूरे शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए डायबिटीज के मरीजों को नियमित रूप से यूएसीआर (UACR) और क्रिएटिनिन टेस्ट करवाकर किडनी की सेहत पर नजर रखनी चाहिए और शुगर कंट्रोल में रखना जरूरी है. वक्त पर पहचान और इलाज से इस बीमारी से बचा जा सकता है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

Read More
{}{}