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बाहर से हंसता-खेलता इंसान, अंदर से उदासी और निराशा का शिकार; जानें क्या है हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन?

What is High Functioning Depression: "तुम इतना क्यों मुस्कुरा रहे हो, क्या गम है जिसे छुपा रहे हो?" यह बॉलीवुड गाना तो आपने जरूर सुना होगा. कुछ ऐसा ही हाल होता है हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन नाम के इस मानसिक बीमारी में, जहां मरीज बाहर से लोग बिल्कुल नॉर्मल लगता है, लेकिन अंदर मेंटल हेल्थ से जूझ रहा होता है.   

बाहर से हंसता-खेलता इंसान, अंदर से उदासी और निराशा का शिकार; जानें क्या है हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन?
Reetika Singh|Updated: Apr 30, 2025, 12:03 PM IST
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Mental Health Tips: उदास चेहरा, अकेलापन, रोना या बिस्तर से न उठना ही हम अक्सर डिप्रेशन का मतलब समझते हैं. लेकिन आजकल की लाइफस्टाइल में डिप्रेशन का एक नया चेहरा नजर आ रहा है. यहां ऊपर से व्यक्ति बिल्कुल नॉर्मल रहता है, लेकिन अंदर ही अंदर शख्स मेंटल हेल्थ से जूझ रहा होता है. इसे ही हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन कहा जाता है. आमतौर पर ऐसे लोगों को देख कर आप कह नहीं पाएंगे कि इन्हें कोई भी परेशान है. वे अपनी डेली रूटीन फोलो करते हैं, ऑफिस जाते हैं, दोस्तों से मिलते हैं, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं, लेकिन अंदर से टूटते रहते हैं. इस डिप्रेशन को समझना काफी मुश्किल होता है. इस खबर में हम आपको इस डिप्रेशन के बारे में डीटेल में बताएंगे. 

 

क्या होता है हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन?
हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन को मेडिकल भाषा में Persistent Depressive Disorder (PDD) या Dysthymia कहते हैं. इससे पीड़ित व्यक्ति लंबे समय तक हल्के लेकिन लगातार डिप्रेशन से जूझ रहा होता है. कई बार उसे खुद इस चीज का अंदाजा नहीं होता और वह बाहर से नॉर्मल जिंदगी जीता है, लेकिन अंदर ही अंदर दुख, थकावट और निराशा से घिरा रहता है. इसकी सबसे खतरनाक बात यही होती है कि वह खुद नहीं समझ पाता कि वह इतनी गंभीर बीमारी का शिकार हो रहा है और धीरे-धीरे यह बीमारी उसे खोखली बना रही होती है. 

 

हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन के सिम्टम्स
-लगातार उदासी या खालीपन- ऐसी स्थिति में व्यक्ति खुश दिखता है, लेकिन अंदर से खालीपुन, मायूसी, उदासी से फीलिंग्स से घिरा होता है.
-काम में मन न लगना- ऐसी स्थिति में व्यक्ति काम तो करता है, लेकिन उसे पहले की तरह काम करने में मन नहीं लगता. 
-नींद की समस्याएं- ऐसी स्थिति में नींद की समस्या होने लगती है. या तो व्यक्ति ज्यादा सोता है या फिर बिल्कुल सो नहीं पाता है.
-एनर्जी की कमी- ऐसी स्थिति में व्यक्ति शरीर और दिमाग दोनों ही तरह से थक जाता है, भले ही दिनभर कोई भारी काम न हो, लेकिन उसे एनर्जी नहीं मिलती है. 
-मुस्कुराहट के पीछे दर्द छिपाते हैं- ऐसे स्थिति में अक्सर लोग खुद के अंदर के दर्द को छिपाने के लिए खुश दिखने की कोशिश करते हैं, ताकि कोई उसकी तकलीफ न समझ पाए.

 

कैसे करें बचाव
अगर आपको भी ऐसे सिम्टम्स खुद में दिखाई देते हैं तो आपको उसे ट्रीट करने की जरूरत है. इसके लिए आप थैरेपी ले सकते हैं. टॉक थैरेपी जैसे CBT, हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन के इलाज में काफी मददगार साबित हो सकता है. इससे व्यक्ति अपनी फीलिंग्स को बेहतर तरीके से समझ पाता है. अगर समस्या ज्यादा गहरी हो जाए, तो आप डॉक्टर को दिखाकर दवा ले सकते हैं. इसके अलावा खुद से लिए समय निकालें, मेडिटेशन, योग या वॉक करें. इससे भी आपको फायदा हो सकता है.

 

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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