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जब प्रिवेंट हो सकता है सर्वाइकल कैंसर, फिर क्यों भारत क्यों बन रहा इस डिजीज का हब?

वैसे तो महिलाओं को कई तरह की बीमारियों का खतरा बना रहता है, लेकिन सर्वाइकल कैंसर एक ऐसी डिजीज है जिसे काफी हद तक प्रिवेंट करना मुमकिन है, ऐसे में लापरवाही को हर हाल में दूर करना होगा. 

जब प्रिवेंट हो सकता है सर्वाइकल कैंसर, फिर क्यों भारत क्यों बन रहा इस डिजीज का हब?
Shariqul Hoda|Updated: Aug 03, 2025, 08:26 AM IST
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Cervical Cancer in India: सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे कॉमन कैंसर है, खासकर भारत में. अच्छी बात ये है कि ये एक ऐसा कैंसर है जिसे वक्त रहते पहचान कर काफी हद तक रोका और ठीक किया जा सकता है. फिर भी बदकिस्मती से, भारत में इससे जुड़ी लापरवाही बेहद कॉमन है, जिसके कारण हर साल काफी महिलाओं की जान चली जाती है.

सर्वाइकल कैंसर क्या है?
ये कैंसर महिलाओं के गर्भाशय के मुंह (सर्विक्स) में होता है. इसका मेन फैक्टर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) इंफेक्शन है, जो फिजिकल रिलेशन के जरिए फैलता है. एचपीवी वैक्सीन, वक्त पर स्क्रीनिंग और अवेयरनेस के जरिए इस बीमारी को रोका जा सकता है.

फिर भी लापरवाही क्यों?

1. कम अवेयरनेस
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं को ये तक नहीं पता कि सर्वाइकल कैंसर क्या होता है, इसके लक्षण क्या हैं और इसकी जांच कैसे की जाती है.

2. HPV वैक्सीन को लेकर कंफ्यूजन
बहुत से माता-पिता अपनी बेटियों को ये वैक्सीन नहीं लगवाते क्योंकि उन्हें लगता है कि ये सेक्स से जुड़ा मामला है, और भारत जैसे समाज में ये अब भी एक टैबू बना हुआ है.

3. रेगुलर स्क्रीनिंग की कमी
विकसित देशों में 30 साल की उम्र के बाद महिलाओं का रेगुलर पैप स्मीयर टेस्ट (Pap Smear Test) होता है, जिससे शुरुआती स्टेज में ही परेशानी पकड़ में आ जाती है. भारत में ऐसे टेस्ट न के बराबर होते हैं, खासकर सरकारी स्तर पर.

4. महिलाओं की सेहत को नजरअंदाज करना
कई महिलाएं खुद को परिवार के बाद प्रायोरिटी देती हैं. शुरुआती लक्षण जैसे वजाइना से एब्नॉर्मल ब्लीडिंग या पेल्विक पेन को नजरअंदाज कर देती हैं.

5. हेल्थकेयर तक पहुंच की कमी
दूरदराज के इलाकों में वीमेन हेल्थकेयर अब भी सीमित हैं. जांच और वैक्सीनेशन की सुविधाएं हर जगह मिलती नहीं हैं.

 

समाधान क्या है?
1. HPV वैक्सीन को कंपलसरी बनाना, खासकर टीनएज गर्ल्स के लिए.
2. स्कूल और कम्यूनिटी लेवल पर अवेयरनेस कैंपेन चलाना.
3. सरकारी अस्पतालों में मुफ्त Pap Smear Test की सुविधा देना.
4. महिलाओं को उनके शरीर और सेहत के प्रति शिक्षित और सजग बनाना.

जब रोका जा सकता है, तो जरूर रोकें
जब सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है, तो इससे जान गंवाना एक सोशल और हेल्थकेयर सिस्टम की नाकामी है. भारत को इस लापरवाही से बाहर निकलकर प्रिवेंशन पर फोकस करना होगा, ताकि हर महिला को एक हेल्दी और सेफ लाइफ मिल सके.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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