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मां बनना क्यों है कुदरत की नेमत? जबकि बच्चे पालने में में नींद तक हो जाती है कुर्बान

मां के पैरों में जन्नत यूं ही नहीं कहा जाता, वो अपने बच्चों के लिए रात की नींद और दिन का चैन कुर्बान कर देती हैं, लेकिन फिर कुदरत की तरफ से उनको तोहफा भी मिलता है.

मां बनना क्यों है कुदरत की नेमत? जबकि बच्चे पालने में में नींद तक हो जाती है कुर्बान
Shariqul Hoda|Updated: May 09, 2025, 03:04 PM IST
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Mothers Day 2025: मां बनना कुदरत की तरफ से एक औरत को दिया हुआ सबसे बड़ा तोहफा है. इस गिफ्ट के साथ कई बदलाव भी शरीर में आते हैं. स्किन पर भी असर पड़ता है. मां बनते ही जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है, रूटीन, प्रायोरिटीज और सबसे ज्यादा आपका नींद से रिश्ता कच्चा सा हो जाता है. ऐसी स्थिति में आखिर करें तो करें क्या? दादी मां के नुस्खे तो कारगर हैं ही, लेकिन इसके साथ ही मॉडर्न पैथी में भी इससे डील किया जाता है.

पोस्टपार्टम डिप्रेशन से परेशानी
पोस्टपार्टम डिप्रेशन में चिड़चिड़ापन, थकावट की स्थिति बनी रहती है. इसका एक कारण नींद की कुर्बानी होती है. रातें बच्चों को संभालते निकल जाती हैं, उन्हें उठाना, दूध पिलाना, डाइपर बदलना और कई बार बस मोबाइल पर स्क्रॉल करते हुए ये जानने की कोशिश करना कि कहीं कुछ गलत तो नहीं कर रही- में वक्त निकल जाता है.

7 में से 1 मां अफेक्टेड
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपे आर्टिकल के मुताबिक पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक पॉपुलर और संभावित रूप से गंभीर मूड डिसऑर्डर है जो प्रेग्नेंसी के दौरान या बच्चे के जन्म के बाद पहले साल के दौरान तकरीबन 7 में से 1 महिला को अफेक्ट करता है. प्रसवकालीन अवसाद हार्मोनल चेंजेज, जेनेटिक प्रीडिस्पोजीशन और एनवायरनमेंटल फैटर्स  के मेल से पैदा होता है.

मां बनना वरदान क्यों?
वहीं आयुर्वेद डिलिवरी के बाद का ड्यूरेशन, या पोस्टपार्टम पीरियड को नई मां के लिए एक अहम स्टेज मानता है. आयुर्वेद के अनुसार, प्रसव के बाद के पहले 42 दिन एक महिला के लंबे समय तक सेहतमंद रहने के लिए  जरूरी होते हैं. इस अवधि में मां को प्रसव से उबरने, ताकत हासिल करने और हार्मोनल बैलेंस को फिर से हासिल करने में मदद करने के लिए खास देखभाल की जरूरत होती है. ठीक वैसा ही जैसी हमारी दादी-नानी करती भी आई हैं.

देखभाल भी जरूरी
आयुर्वेद के मुताबिक डिलिवरी के बाद में देखभाल जरूरी होती है क्योंकि प्रेग्नेंसी और डिलिवरी के कारण वात में काफी वृद्धि होती है, जिससे थकान, पाचन संबंधी समस्याएं, शरीर में दर्द और इमोशनल इम्बैलेंस होता है. अगर उचित देखभाल नहीं की जाती है, तो बहुत दिक्कत हो सकती है. इस दौरान नींद अहम होती है.

वहीं, मॉडर्न पैथी भी कुछ ऐसा ही कहती है.  दिल्ली स्थित एक फेमस अस्पताल में ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी की लीड कंसल्टेंट डॉ. मंजूषा गोयल भी कुछ ऐसा ही सोचती हैं. बताती हैं कि नींद की कमी के पीछे कई वजहें होती हैं. बात सिर्फ थकान की नहीं है. जब नींद पूरी नहीं होती, तो उसका असर पूरे शरीर और दिमाग पर होता है. 

चिड़चिड़ापन बढ़ता है, मन अशांत रहता है, छोटी-छोटी बातों में उलझन होती है. धीरे-धीरे ये थकावट आपकी इम्युनिटी, मूड और सोचने-समझने की क्षमता पर असर डालती है. यहां तक कि हार्ट हेल्थ और मेटाबॉलिज्म भी अफेक्ट हो सकता है. इसलिए, न्यू मॉम्स के लिए ये जरूरी है कि जब भी मौका मिले, थोड़ा आराम कर लें.

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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