Pregnancy Risk After 40: आजकल करियर, लाइफस्टाइल और निजी कारणों के चलते कई महिलाएं 40 की उम्र के बाद मां बनने का फैसला लेती हैं. हालांकि, मेडिकल साइंस ने प्रेग्नेंसी को पहले से ज्यादा सेफ बना दिया है, लेकिन 40 की उम्र के बाद कंसीव करना अभी भी कई जोखिमों से जुड़ा होता है, जो मां और बच्चे दोनों की सेहत पर असर डाल सकता है.
1. फर्टिलिटी में गिरावट
महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ ओव्यूलेशन यानी एग बनने का प्रॉसेस स्लो हो जाता है. 35 के बाद फर्टिलिटी तेजी से घटती है और 40 के बाद तो अच्छे और हेल्दी अंडों की संख्या काफी कम रह जाती है. इससे प्रेग्नेंसी में मुश्किलें आ सकती हैं.
2. मिसकैरेज और बर्थ डिफेक्ट का खतरा
40 के बाद प्रेग्नेंसी में मिसकैरेज यानी गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही, बच्चे में जेनेटिक बीमारियों जैसे डाउन सिंड्रोम का रिस्क भी ज्यादा होता है. इसकी वजह उम्रदराज अंडाणुओं में गुणसूत्रों की गड़बड़ी होना हो सकता है.
3. हाई रिस्क प्रेग्नेंसी
इस उम्र में महिलाओं को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, थायरॉइड जैसी समस्याएं पहले से हो सकती हैं, जो प्रेग्नेंसी के दौरान और बढ़ सकती हैं. इससे समय से पहले डिलीवरी, प्री-एक्लेम्पसिया या सी-सेक्शन का खतरा रहता है.
4. मां के शरीर पर असर
40 के बाद शरीर की रिकवरी पावर और स्टेमिना पहले जितनी नहीं होती. प्रेग्नेंसी के बाद शरीर को सामान्य स्थिति में लाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. मसल्स वीकनेस, बोन लॉस और थकान जैसी परेशानियां हो सकती हैं.
5. बच्चे पर असर
अक्सर 40+ उम्र की मांओं को प्रीमैच्योर डिलीवरी या कम वजन वाले बच्चे होने का खतरा होता है. बच्चे को शुरुआत में खास देखभाल की जरूरत पड़ सकती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.