Healthy Habits: पहले के वक्त में सेहत पर सिर्फ इमरजेंसी सिचुएश में ध्यान दिया जाता था. यही वजह है उसकी तुलना फायर अलार्म से की जाती थी. लेकिन जैसे-जैसे भारत ओवरऑल वेलनेस की तरफ बढ़ रहा है, हेल्दी लाइफ के लिए कई तरह के रूटीन फॉलो किए हैं. काफी तादाद में इंडियंस डायबिटीज, हाई बीपी और हार्ट डिजीज जैसे लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स से परेशान हैं. हमें समझना होगा कि रोजमर्रा की जिंदगी में हेल्दी एक्टिविटीज के जरिए कैसे बेहतरीन जींदगी को जिया जा सकता है.
लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स का बढ़ता कहर
डॉ. सुजीत पॉल (Dr. Sujit Paul) ने बताया कि भारत के हेल्थ डेटा एक खतरनाक तस्वीर पेश करते हैं. इकॉनमिक सर्वे 2024-25 के मुताबिक, हेल्थकेयर पर सरकारी खर्च बढ़कर ₹6.1 लाख करोड़ हो गया है, फिर भी हेल्थ केयर के लिए जेब से किया गया खर्च कुल का 40% है (6 साल पहले 62% से कम). स्वास्थ्य क्षेत्र में लगातार बढ़ते निवेश के बावजूद, पुरानी बीमारियों के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिनमें 212 मिलियन डायबिटीज पेशेंट हैं, और तकरीबन उतनी ही तादाद हाई बीपी या हार्ट डिजीज को लेकर सेंसेटिव है.
सोच बदलने की जरूरत
हमारे लिए एक जरूरी माइंडसेट चेंज है, जहां हेल्थ मेंटनेंस कभी-कभी के बजाय अक्सर होना चाहिए. इस मानसिकता का बनना कुछ आदतों से शुरू होता है, जैसे रेगुलर एक्सरसाइट, कम नमक वाले भोजन, हेल्दी डाइट (भारत में औसत नमक का सेवन 12 ग्राम/दिन है, जबकि WHO 5 ग्राम/दिन से कम की सिफारिश करता है).
हेल्थ को प्रायोरिटी बनाएं
सेहतमंद रहना सिर्फ कुछ दिनों के लिए जरूरी नहीं है; ये एक लाइफलॉन्ग कमिटमेंट है. नमक का सेवन कम करना, चलना और एक्टिव रहना जैसी छोटी-छोटी आदतें. रेगुलर चेकअप और अर्ली मैनेजमेंट हेल्थ को बेहतर रखने में अहम रोल निभाते हैं. अवेयरनेस एक और अहम फैक्टर है जो लाइफस्टाइल च्वॉइसेस को अफेक्ट करता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.