Mumbai Local Train: बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए मुंबई की लोकल ट्रेन में 14 वर्ष पहले घटी एक घटना के बदला में 4 लाख रुपये का मुआवजा देने की बात कही है. हाई कोर्ट ने रेलवे दावा न्यायाधिकरण का फैसला पलटते हुए यह आदेश जारी किया है. यह मुआवजा 8 मई 2010 को भीड़भाड़ वाली मुंबई लोकल ट्रेन से गिरकर मरने वाले यात्री के माता-पिता दिया जाएगा.
वडाला से चिंचपोकली तक मंथली पास रखने वाले यात्री नासिर अहमद खान काम पर जा रहे थे, जब वे भीड़भाड़ की वजह से ट्रेन से गिर गए. उन्हें बेहोशी की हालत में जेजे अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें इमरजेंसी वॉर्ड में भर्ती कराया गया था. खान की उसी दिन दोपहर करीब 3.30 बजे मौत हो गई थी.
रेलवे दावा न्यायाधिकरण ने पहले खान के माता-पिता के दावे को खारिज कर दिया था, जिसमें उनके वास्तविक यात्री होने की स्थिति पर सवाल उठाया गया था और यह भी पूछा गया था कि क्या यह घटना रेलवे अधिनियम 1989 के तहत 'अप्रिय घटना' के रूप में मानी जाए. न्यायाधिकरण ने रेलवे अधिकारियों को फौरन जानकारी न देने और बरामद ट्रेन टिकट की अनुपस्थिति पर संदेह जताया था.
हालांकि मेडिकल और पुलिस रिपोर्ट समेत सभी सबूतों साक्ष्यों की जांच करने के बाद जस्टिस फिरदौस पूनीवाला ने फैसला सुनाया कि खान वास्तव में ट्रेन से गिर गया था. अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में जिन चोटों का जिक्र किया है वे चलती ट्रेन से गिरने के अनुरूप थीं. अधिकारियों को तत्काल सूचना न दिए जाने के बारे में न्यायाधिकरण के संदेह को खारिज कर दिया गया.
सैंडहर्स्ट रोड स्टेशन पर तैनात एक पुलिस कांस्टेबल ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की कि सुबह करीब 9.45 बजे खान जख्मी हालत में अस्पताल ले गए, जहां उसे भर्ती कराया गया. रिपोर्ट में खान की चोटों की जानकारी दी गई और उसकी पहचान की पुष्टि की गई. अदालत ने खान के पिता के हलफनामे को कबूल कर लिया, जिसमें पुष्टि की गई कि खान के पास वैलिड मंथली पास था. अदालत ने यह पुष्टि करते हुए कि माता-पिता दोनों मृतक पर आश्रित थे इसलिए उन्हें 4 लाख रुपये का भुगतान किया जाए. साथ ही भुगतान में आठ सप्ताह से ज्यादा की देरी होने पर 7% अतिरिक्त ब्याज भी देना होगा.
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