आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार द्वारा नशे के खिलाफ की जा रही निर्णायक कार्रवाई की प्रशंसा की. उन्होंने विजिलेंस मामले में अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को कोर्ट द्वारा 7 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजे जाने पर खुशी जताई कहा कि इससे विजिलेंस की कार्रवाई सही साबित हुई है. अरोड़ा ने कहा कि पंजाब के तीन करोड़ लोगों खासकर उन परिवारों को आज से न्याय मिलना से शुरू हो गया है, जिन्होंने नशे के कारण अपने बच्चों खो दिया.
अमन अरोड़ा ने कहा कि विजिलेंस एफआईआर में मजीठिया से जुड़ी महत्वपूर्ण वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया गया है, जिससे उनकी कंपनियों में जमा किए गए 540 करोड़ रुपये के बेहिसाब पैसे का भी खुलासा हुआ है. इनमें 161 करोड़ रुपये तो बिना उचित दस्तावेज के खातों में जमा किए गए हैं, जबकि 141 करोड़ रुपये राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हुए फर्जी शेल कंपनियों के माध्यम से भेजे गए. जांच में यह भी पता चला कि इन अवैध पैसों कई सौ करोड़ रुपये की अन्य संपत्तियां अर्जित की गई, जिससे इसके स्रोत और गैरकानूनी गतिविधियों से जुड़े होने से संबंधित कई गंभीर सवाल उठते हैं. अरोड़ा ने कहा कि बेहिसाब धन को शेल कंपनियों के माध्यम से व्यवसायों में लगाया गया. इतने पैसे उनके पास कहां से आए? क्या मजीठिया के घर में पैसे छापने की कोई मशीन है? इसका उन्हें जवाब देना चाहिए.
एफआईआर में 2007 में शुरू हुए वित्तीय हेरफेर के एक चिंताजनक पैटर्न को भी उजागर किया गया है, जिसमें संदिग्ध परिस्थितियों में कई कंपनियों का गठन किया गया. उल्लेखनीय रूप से, एक ही दिन, 9 अप्रैल 2009 को चार कंपनियों का गठन हुआ. वहीं एक कंपनी 1 जनवरी 2009 में और दूसरी जुलाई 2009 में गठित की गई. इसके अतिरिक्त इन मुख्य कंपनियों के तहत छह सहायक कंपनियां बनाई गईं, जो संस्थाओं का एक जटिल जाल स्थापित करने के लिए जानबूझकर किए गए प्रयासों का संकेत देती हैं. यह व्यवसायों की वैधता और अवैध धन को वैध बनाने में उनकी संभावित भूमिका के बारे में गंभीर संदेह पैदा करती है.
अरोड़ा ने सवाल उठाया कि इतने कम समय में मजीठिया का कारोबार कैसे इतनी तेजी से बढ़ा. उन्होंने कहा कि यह किसी कारोबार के खिलाफ कार्रवाई नहीं हैं, बल्कि इसमें अर्थव्यवस्था में ड्रग मनी के इस्तेमाल का स्पष्ट संकेत है. अमन अरोड़ा ने बिक्रम सिंह मजीठिया का समर्थन करने के लिए विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना की और उन पर पंजाब के ड्रग तस्करों से मिलीभगत का आरोप लगाया.
उन्होंने 2021 में मजीठिया के खिलाफ पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी की एफआईआर पर भी सवाल उठाया और कहा कि वह सिर्फ चुनावी नौटंकी थी. अरोड़ा ने मजीठिया के खिलाफ 2014 की ईडी जांच में भाजपा के हस्तक्षेप पर भी प्रकाश डाला और कहा कि जांच का नेतृत्व कर रहे ईडी के तत्कालीन उप निदेशक निरंजन सिंह का अचानक तबादला कर दिया गया था, जिसने जांच की प्रगति को रोका और मजीठिया को दोषी सिद्ध होने से बचा लिया. उन्होंने अकाली दल पर सिख मूल्यों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया और कहा कि उनके कार्यकाल में पंजाब में नशे का व्यापक व्यापार हुआ, जिसने अनगिनत लोगों की जिंदगी तबाह कर दी.
अरोड़ा ने कहा कि विजिलेंस विभाग ने व्यापक वित्तीय साक्ष्यों के साथ अदालत में अपना मामला पेश किया और 7 दिन की रिमांड हासिल की. यह बेहद महत्वपूर्ण है. यह केवल मजीठिया के बारे में नहीं है बल्कि यह पंजाब के उन अनगिनत परिवारों को बर्बाद करने वाले पूरे गठजोड़ को खत्म करने के बारे में है. उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पंजाब सरकार नशे को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे अपराधी की राजनीतिक स्थिति या संबंध कुछ भी हो.
अरोड़ा ने कहा कि हम गारंटी देते हैं कि पंजाब में नशे की समस्या को बढ़ाने के लिए दोषी पाए जाने सभी व्यक्ति, चाहे वह बड़ा हो या छोटा, राजनीतिक हो या गैर-राजनीतिक, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. आप सरकार और पंजाब पुलिस ने नशे की महामारी से प्रभावित परिवारों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. हमारा मकसद पंजाब से पूरी तरह नशे का सफाया करना है.
उन्होंने विजिलेंस विभाग और पंजाब पुलिस की जांच की भी सराहना की और इस घटनाक्रम को पंजाब को नशा मुक्त बनाने के मिशन को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. अरोड़ा ने कहा कि चुनौतियों के बावजूद, पंजाब सरकार की दृढ़ता और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता सच्चाई को सामने ला रही है. यह कार्रवाई पंजाब के युवाओं को बर्बाद करने की कोशिश करने वाले सभी लोगों के लिए एक चेतावनी है.
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