trendingNow12291084
Hindi News >>देश
Advertisement

Agnipath Scheme: अग्निवीर योजना को रिव्यू करेगी सरकार, सेना ने भी कराया सर्वे... क्या-क्या बदल सकता है?

Agnipath Scheme News: भारत सरकार ने अग्निपथ योजना की समीक्षा के लिए 10 मंत्रालयों के सचिवों को लगाया है. सेना भी अग्निवीरों पर इंटरनल सर्वे करा चुकी है. जल्द ही आर्मी की ओर से सिफारिशें सरकार के सामने रखी जाएंगी.

Agnipath Scheme: अग्निवीर योजना को रिव्यू करेगी सरकार, सेना ने भी कराया सर्वे... क्या-क्या बदल सकता है?
Deepak Verma|Updated: Jun 13, 2024, 05:04 PM IST
Share

Agniveer Scheme Review: सेना भर्ती के लिए लॉन्च की गई अग्निपथ योजना में बदलाव की तैयारी है. नवनिर्वाचित NDA सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों को जिम्मा सौंपा है. अग्निपथ योजना के तहत चुने गए जवानों को अग्निवीर कहा जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के  मुताबिक, 10 प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों को अग्निपथ योजना की समीक्षा के लिए कहा गया है. उन्हें यह सुझाव भी देने होंगे कि कैसे अग्निपथ योजना को और आकर्षक बनाया जाए. तीनों सेनाओं ने भी आंतरिक सर्वे कराया है जिसमें योजना से जुड़े कुछ पहलुओं को चिन्हित किया गया है.

लोकसभा चुनाव 2024 में अग्निवीरों की भर्ती का मुद्दा खूब उठा था. सत्ताधारी गठबंधन के कुछ घटक दलों ने भी अग्निपथ योजना में बदलाव की वकालत की. इसी के बाद, पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने योजना की समीक्षा का फैसला लिया. नई सरकार के 100 दिनों के एजेंडे में योजना की समीक्षा भी शामिल थी. सचिवों का पैनल एक प्रजेंटेशन तैयार करेगा जो इटली से लौटने के बाद पीएम के सामने रखा जाएगा. पीएम तमाम हितधारकों से बातचीत के बाद फैसला लेंगे.

अग्निपथ स्कीम: अग्निवीरों के लिए क्या-क्या बदल सकता है?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकारी पैनल अग्निवीरों के लिए और वित्तीय फायदों की सिफारिश कर सकता है. सेना के भीतर जो सर्वे हुआ, उसमें अग्निवीरों को रिटेन करने का प्रतिशत बढ़ाने पर प्रमुखता से चर्चा हुई है. अभी 25 प्रतिशत अग्निवीरों को रेगुलराइज किया जाता है. सामान्य सैनिकों के लिए इसे बढ़ाकर 60-70 प्रतिशत और टेक्निकल व स्पेशलिस्ट सैनिकों के लिए 75% करने पर विचार हो रहा है.

आर्मी ने जो फीडबैक हासिल किया, उसके मुताबिक अग्निवीरों के बीच सामंजस्य और सौहार्द की कमी है. उनमें सहयोग न करके प्रतिस्पर्धा करने की प्रवृत्ति है, जिससे अग्निवीरों के बीच विश्वास की कमी हो रही है.

सेना के भीतर अग्निवीरों का ट्रेनिंग पीरियड बढ़ाने पर भी बात हो रही है. पहले सैनिकों की ट्रेनिंग 37 से 42 हफ्तों तक चलती थी. अग्निपथ योजना में ट्रेनिंग पीरियड को घटाकर 24 सप्ताह कर दिया गया. सेना को मिले फीडबैक के अनुसार, इससे अग्निवीरों की ओवरऑल ट्रेनिंग बुरी तरह प्रभावित हुई. सेना ट्रेनिंग पीरियड को पहले जैसा करने की सोच रही है.

पढ़ें: इस बार कश्मीर में शहबाज शरीफ के साथ शी जिनपिंग ने लगाया दिमाग, मिला चीन-पाकिस्तान की साजिश का जिंदा सबूत

अग्निवीरों के ओवरऑल सर्विस पीरियड को भी चार साल से बढ़ाकर सात साल किया जा सकता है. ताकि उन्हें ग्रेच्युटी और पूर्व सैनिक का दर्जा मिल सके. एक सुझाव यह भी है कि अग्निवीरों की केंद्रीय पुलिस बलों में भर्ती पर उनकी वरिष्ठता बरकरार रखी जाए.

पढ़ें: क्या जम्मू की ओर शिफ्ट हो रहा आतंक का दौर? रियासी-कठुआ के बाद डोडा में भी आतंकी हमला

अग्निपथ योजना: एक अग्निवीर पर कितना खर्च?

अग्निपथ योजना को जून 2022 में लॉन्च किया गया था. कोविड-19 की वजह से दो साल तक सेना भर्ती रुकी रही, जिसके बाद यह योजना शुरू हुई. इसके तहत, युवाओं को ट्रेनिंग के बाद चार साल तक के लिए सेना में शामिल किया जाता है. इस दौरान उन्हें 30,000 रुपये प्रतिमाह शुरुआती सैलरी मिलती है जो चौथे साल तक 40,000/माह हो जाती है. चार साल के बाद, अग्निवीरों को 12 लाख रुपये 'सेना निधि पैकेज' के रूप में मिलते हैं. अपनी जरूरत के हिसाब से सेनाएं 25% अग्निवीरों को रिटेन भी कर सकती हैं.

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) की एक स्टडी के मुताबिक, फुल-टाइम सैनिक के मुकाबले एक अग्निवीर पर सरकार को 1.75 लाख रुपये सालाना कर्म खर्च करना पड़ता है. 60 हजार अग्निवीरों के बैच पर कुल बचत 1,054 करोड़ रुपये बैठती है.

एक सामान्य सैनिक और अग्निवीर के बीच सबसे बड़ा फर्क यह है कि रेगुलर सैनिक को पेंशन मिलती है, लेकिन अग्निवीरों को चार साल के बाद कोई पेंशन नहीं मिलती. रक्षा बजट का करीब एक-चौथाई हिस्सा पेंशन में खर्च होता है. अग्निपथ स्कीम के जरिए ऐसे ही खर्च में कटौती की कोशिश हुई थी.

Read More
{}{}