Ahmedabad AI Plane Crash: इसे आप कुदरत का करिश्मा कहें, प्रेम या समर्पण भाव कहें, चमत्कार या कोई दूसरा नाम दें. प्लेन क्रैश में दिवंगत हुए पिता के शव का मिलान होने पर जब बेटे लंदन जाने की तैयारी कर रहे थे तो मां की आत्मा ने जैसे उन्हें आवाज दी कि वो अकेले नहीं जा सकते. यहां वो का भाव पति के लिए था. यह दिवंगत पत्नी की अपने दिवंगत पति के लिए पुकार थी. ऐसा अनुभव बेटों ने किया. यह कहानी आंखें नम कर देगी. पति-पत्नी दोनों अहमदाबाद में क्रैश प्लेन में साथ थे.
हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के लिए सम्मानजनक विदाई सुनिश्चित की गई. ऐसे ही एक गुजराती दंपति थे, जो ब्रिटेन में बस गए थे. अशोकभाई पटेल और शोभाबेन पटेल मूल रूप से गुजरात के रहने वाले थे और 1978 में यूके जाकर बस गए थे. उनके अवशेष को लंदन में मौजूद परिवार को सम्मानजनक तरीके से सुपुर्द करने के लिए गुजरात के अधिकारियों ने तेजी से काम किया. अस्पताल के नियंत्रण कक्ष ने कुछ ही घंटे में उनके बेटे मितेन पटेल को अहमदाबाद बुलाया. मितेन अपने भाई हेमन के साथ पहुंचे और पहचान प्रक्रिया के लिए डीएनए सैंपल दिए. आगे की प्रक्रिया जटिल थी और सैंपल के मिलान में करीब 72 घंटे लगे. इस दौरान अस्पताल की टीम ने पटेल परिवार को पूरा सहयोग किया और उनकी देखभाल की.
फादर्स डे पर पिता का डीएनए मैच
हां, यह काफी झकझोर देने वाला पल था. फादर्स डे पर जब लोग अपने पिता के साथ सेल्फी शेयर कर रहे थे, मितेन को अस्पताल से फोन आया. पता चला कि उनके पिता अशोकभाई पटेल के अवशेष से डीएनए मिलान हो गया. इसका मतलब था कि मितेन के पिता के शव की पहचान हो गई है. यह मितेन और हेमन के लिए बहुत ही भावनात्मक क्षण था. यह गहरी उदासी और शांति का अजीब सा मेल था. अब वे अपने पिता के शव को वापस घर ले जा सकते थे, जो प्लेन क्रैश में हमेशा के लिए उनसे दूर चले गए थे.
लंदन जाने को तैयार थे तभी फिर फोन आया
दोनों भाई लंदन जाने की तैयारी कर रहे थे तभी एक और फोन आया. अस्पताल ने उन्हें यह बताने के लिए फिर से कॉल किया था कि उनकी मां शोभाबेन पटेल का डीएनए भी मैच हो गया है. प्लेन क्रैश में मारे गए लोगों में यह 99वां मिलान था. जीवनभर साथ रहने वाले दंपति मृत्यु के बाद भी एक-दूसरे से जुड़े रहे.
मां की आत्मा ने पुकारा...
मितेन पटेल ने नम आंखों से कहा, 'हमारे माता-पिता जीवनभर हमेशा साथ रहे. मृत्यु उन्हें अलग नहीं कर सकी और न ही वैज्ञानिक डीएनए प्रक्रिया. जब हम अपने पिता के शव को वापस ले जाने की तैयारी कर रहे थे तो ऐसा लगा जैसे हमारी मां की आत्मा ने पुकारा, ‘अशोक, तुम्हें अकेले वापस नहीं जाना चाहिए. जीवित या मृत्यु के बाद मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी.'
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मितेन पटेल ने गुजरात सरकार, सिविल अस्पताल और फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा कि इन सब की मदद से हम अब अपने माता-पिता के पार्थिव शरीर को लंदन वापस ले जा पा रहे हैं. हम वास्तव में आभारी हैं. दोनों भाई अब अपने माता-पिता के अवशेषों के साथ लंदन लौटेंगे, जहां उनके परिवार और दोस्तों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार किया जाएगा.
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