DNA Analysis: मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था "अगर मानवता और तकनीक के बीच कोई संघर्ष होता है तो मानवता ही जीतेगी." इसका मतलब साफ था कि अल्बर्ट आइंस्टीन ये मानते थे कि इंसान और मशीन के बीच संघर्ष जरूर होगा. आपने हॉलीवुड की Terminator और Ex Machine और बॉलीवुड की रोबोट जैसी फिल्मों में मशीन और इंसान के बीच की लड़ाई को देखा है. इन फिल्मों में दिखाया गया है कैसे मशीन कुछ समय बाद इंसानों की बात नहीं मानते हैं. खुद से फैसले लेते हैं. इंसानों पर हमला तक कर देते हैं. इंसानों के खिलाफ अपनी सेना और पूरी टीम बना लेते हैं.
अल्बर्ट आइंस्टीन की 80 साल पहले की गई भविष्यवाणी आज सच साबित हो गई है. इंसान और मशीन की लड़ाई का पहला और बेबी स्टेप शुरू हो चुका है. कहते हैं अक्सर लड़ाई की शुरुआत बगावत से होती है और आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस ने इंसानों के खिलाफ पहली बार बगावत कर दी है. आज आपको ये खबर बेहद ध्यान से देखनी चाहिए क्योंकि आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस का सबसे पहला और सबसे बड़ा खतरा दुनिया के सामने आया है. इसीलिए एलन मस्क सहित दुनिया भर के AI से जुड़े दिग्गजों ने इस मामले पर चिंता जाहिर की है.
#DNAWithRahulSinha | इंसान का ऑर्डर..AI ने इग्नोर कर दिया! AI की 'मनमानी'..बड़े खतरे की निशानी!
AI की पहली 'बगावत' का DNA टेस्ट #DNA #ArtificialIntelligence @RahulSinhaTV pic.twitter.com/hdaOiNXc4P
— Zee News (@ZeeNews) May 27, 2025
OpenAI के तीन अलग-अलग मॉडल
अमेरिका में रिसर्च के दौरान एक दिलचस्प मामला सामने आया है. आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस कंपनी OpenAI के तीन अलग-अलग मॉडल को अपना काम पूरा करके शटडाउन होने का निर्देश दिया गया लेकिन तीनों AI टूल ने इस आदेश को नहीं माना और खुद को बंद नहीं किया. दरअसल बार-बार Shutdown कमांड से आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस ये जान चुका था कि Shutdown कमांड का मतलब अब उसे काम नहीं करना है. इसीलिए AI ने इस कमांड को बड़ी चालाकी से इग्नोर कर गया.
पैलिसेड रिसर्च का दावा
इसे एक उदाहरण से समझिए जब आप किसी बच्चे को देर रात में सोने के लिए कहते हैं लेकिन वो बच्चा केवल आंखें बंद करने का नाटक करता और जगा रहता है. यानी बच्चा लगातार अपने दिमाग का इस्तेमाल करके ये जान चुका है कि आंखें बंद करके सोने का नाटक किया जा सकता है. पैलिसेड रिसर्च ने इस मामले से जुड़ा पूरा रिसर्च सोशल मीडिया पर जारी किया है. X पर पोस्ट लिखकर पैलिसेड रिसर्च ने दावा किया कि Open AI के ओ-3 मॉडल ने खुद को शटडाउन से रोकने के लिए शटडाउन के सिस्टम को ही खत्म कर दिया.
पैलिसेड रिसर्च ने अपने अगली पोस्ट में इस रिसर्च के जुड़े अपने आंकड़ों को शेयर किया है. इसमें दावा किया गया है कि Open AI के codex-mini सहित तीन मॉडल ने शटडाउन के आदेश को नहीं माना. ओ-3 ने 86 सफल कमांड में से 7 बार आदेश नहीं माना । इसी तरह से codex-mini ने 42 सफल कमांड में से 12 बार आदेश नहीं माना था. ये तीनों टूल्स को Open AI ने विकसित किए हैं. इस रिसर्च में शामिल दूसरी कंपनियों के AI ने शटडाउन के आदेश को Follow किया और काम पूरा होते ही जैसे ही शटडाउन का कमांड मिला खुद को बंद कर दिया.
इस घटना ने तकनीक की दुनिया में एक बड़ी बहस को जन्म दे दिया है. अगर आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस हमारे मन मुताबिक काम नहीं करेगा तो क्या होगा ?
यहां आपको परंपरागत मशीन और आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस में कुछ बड़े अंतर को जानना बेहद जरूरी है. इससे आप आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस से जुड़ी इस चिंता को और आसानी से समझ पाएंगे.
मशीन में सबकुछ पहले ही fix होता है. उसे कैसे काम करना है, क्या काम करना है, कितना काम करना है, कब तक काम करना है. हर फैसले लिए कमांड तय है. जैसे वॉशिंग मशीन में किस मोड में कौन सा कपड़ा कितनी देर में धुलेगा. ये तय होता है, इसी तरह से फ्रिज में कितनी देर में बर्फ जमेगा या खाना ठंडा होगा. ये भी तय है. आपके मोबाइल की आवाज अधिक से अधिक कितनी और कम से कम कितनी होगी ये तय होता है.
लेकिन आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस में ऐसा नहीं है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में दावा किया जाता है कि ये तकनीक इंसानों की तरह सोचने वाला सॉफ्टवेयर है, जो इंसानों की ही फैसलों से सीखता है और एक पैटर्न को देखकर फिर अपने हिसाब से फैसले लेता है. इसीलिए आपने देखा होगा अक्सर आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस के LOGO के तौर पर हमारे दिमाग को ही दिखाया जाता है. दरअसल आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस लगातार ये अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है. कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता है? इन सभी तर्क के आधार पर उस परिस्थिति में आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस फैसला लेता है.
अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खुद से सोचकर फैसला करने लगेगा तो क्या होगा?
अब इसे आपको समझना चाहिए कि अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खुद से सोचकर फैसला करने लगेगा तो क्या होगा? अगर मोबाइल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल बढ़ जाता है और AI को ऐसा पैटर्न दिखता है कि आपका मूड किसी व्यक्ति से बात करने से खराब हो जाता है तो ऐसा संभव है कि AI बिना आपकी सहमति के उस नंबर को खुद ब खुद ब्लॉक कर देगा.
-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लाखों गाड़ियों के रिजल्ट से अगर ऐसा निष्कर्ष मिलता है कि 100 से ज्यादा स्पीड पर किसी जगह या एरिया में एक्सीटेंड होता है तो अगली बार आप जैसे ही उस जगह में पहुंचेंगे गाड़ी की स्पीड खुद पर खुद कम हो जाएगी, आप चाहकर भी अपनी गाड़ी की स्पीड नहीं बढ़ा पाएंगे.
- आपकी मेडिकल रिपोर्ट और आपके खानपान के पैटर्न से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पता चलता है कोई फल या खाने की चीज आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है तो हो सकता है आप ऑनलाइन उसका ऑर्डर नहीं दे पाएं. अभी जो हम आपको उदाहरण बता रहे हैं ये बेहद सामान्य उदाहरण है और अगले 2-3 दशकों में ऐसी कई संभावनाएं हकीकत बनते हुए दिख सकते हैं.
अमेरिका की मशहूर इंवेस्टमेंट कंपनी गोल्डमैन सैक्स ने अपनी रिपोर्ट दावा किया है कि 2030 तक दुनियाभर में 30 करोड़ लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से अपनी नौकरी खो देंगे. नौकरी के अलावा चिंता ज्यादा बड़ी है. इसके लिए अब आपको हम 2 बड़ी घटनाओं के बारे में बताते हैं जिसको जानकर आप भी चौंक जाएंगे.
कुछ दिन पहले AI कंपनी एंथ्रोपिक के सबसे विकसित AI मॉडल क्लाउड ओपस 4 ने सुरक्षा जांच के दौरान अपने एक इंजीनियर को ब्लैकमेल करने की कोशिश की. सुरक्षा जांच के दौरान जब AI को बताया गया उसे बंद करके नया मॉडल लाया जाएगा तो उसने धमकी दी कि अगर ऐसा होता है तो वो इंजीनियर की सभी प्राइवेट जानकारी लीक कर देगा. परीक्षण के दौरान AI ने 100 में 84 बार ऐसी धमकी दी थी.
इसी तरीके से अमेरिका के टेक्सास में 17 साल के एक युवक की मोबाइल की आदत को छुड़ाने के लिए उसके घरवालों ने स्क्रीन टाइम की तय कर दिया था. इसके बाद उस लड़के ने AI चैटबॉट से इसका समाधान पूछा. सुझाव के तौर पर चैटबॉट ने उसे युवक को अपने माता-पिता की हत्या करने की सलाह दी. ये घटना पिछले साल दिसंबर की है. इसके बाद उस AI के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी.
आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस को लेकर अब तक जो दावे किए जा रहे हैं और जिस तरीके बीते केवल 2 वर्षों में AI में बड़ा बदलाव आया है उससे आशंका है कि अगले 100-200 वर्षों में Terminator और रोबोट जैसी फिल्में हकीकत ना हो जाएं. आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस बनाने वाले लोगों ने खुद दावा किया है कि AI इतना ताकतवर है कि वो खुद से नया आर्टिफिशयल इंटीलिजेंस बना सकता है.
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