Maharashtra Politics: आगामी मुंबई निकाय चुनावों के मद्देनजर बीजेपी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) नेता राज ठाकरे से गठबंधन की इच्छुक दिखती है. बीएमसी पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना का वर्षों से कब्जा है. उसकी काट बीजेपी राज ठाकरे के रूप में देख रही है. मुंबई के कई क्षेत्रों में राज ठाकरे का अच्छा प्रभाव भी माना जाता है. इन कयासों के बीच हिंदी को पांचवीं क्लास तक तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने के फैसले के खिलाफ राज ठाकरे सरकार से भिड़ने के मूड में हैं.
बीएमसी चुनावों से ऐन पहले मराठी भाषा और अस्मिता के नाम पर ये मुद्दा बड़ा हो सकता है. महाराष्ट्र चुनावों में करारी हार के बाद राज ठाकरे इस मुद्दे को अब छोड़ना नहीं चाहते. यदि वो इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतर गए तो बीजेपी को उनके साथ बीएमसी चुनावों में डील में दिक्कत हो सकती है क्योंकि सहयोगी शिवसेना और एनसीपी भी तैयारियों में हैं और कोई भी दल किसी अन्य को इस मुद्दे पर माइलेज नहीं देना चाहेगा. ऐसे में अपने सहयोगियों को नाराज करके राज ठाकरे से डील करना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा.
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राज ठाकरे ने क्या कहा?
दरअसल राज ठाकरे ने राज्य सरकार के इस निर्णय की निंदा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस फैसले का पुरजोर विरोध करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि इसे लागू न किया जाए. ठाकरे ने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मनसे इस निर्णय को बर्दाश्त नहीं करेगी. हम केंद्र सरकार के हर चीज को हिंदीकृत करने के प्रयासों को इस राज्य में सफल नहीं होने देंगे. विपक्षी कांग्रेस ने भी राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसका यह निर्णय हिंदी थोपने जैसा है.
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अजित पवार का पलटवार
उनकी इस टिप्पणी के बाद बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी की सत्तारूढ़ महायुति की तरफ से पलटवार किया गया है. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार ने राज्य भर के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पहली और पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का विरोध करने पर राजनीतिक दलों की आलोचना की है. पवार ने कहा कि जो लोग इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, वे वास्तविक मुद्दे न होने के कारण अनावश्यक विवाद खड़ा कर रहे हैं. पवार ने शुक्रवार को पिंपरी चिंचवड में चापेकर बंधुओं को समर्पित एक राष्ट्रीय स्मारक के उद्घाटन के मौके पर कहा कि मराठी हमारी मातृभाषा है और राज्य में हमेशा इसे पहली प्राथमिकता दी जाएगी.
उन्होंने आलोचकों पर निशाना साधते हुए कहा, 'कुछ लोग हिंदी भाषा को लेकर विवाद इसलिए पैदा कर रहे हैं क्योंकि उनके पास और कुछ करने को नहीं है. पूरे देश में अंग्रेजी का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है और इसी तरह कई राज्यों में हिंदी बोली जाती है. हालांकि इस बात पर विवाद है कि हिंदी राष्ट्रभाषा है या नहीं, मैं उसमें नहीं पड़ना चाहता.'
पवार ने जोर देकर कहा कि मराठी, हिंदी और अंग्रेजी तीनों भाषाएं महत्वपूर्ण हैं लेकिन मराठी राज्य में हमेशा प्रमुख रखेगी. पवार ने मराठी भाषा को बढ़ावा देने में केंद्र की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया. यह निर्णय वर्षों से लंबित था. एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार ने इसे लागू करने का साहस दिखाया.'
उन्होंने कहा कि भाषा को और बढ़ावा देने के लिए मुंबई में मराठी भाषा भवन स्थापित करने की योजना पर काम जारी है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत नए पाठ्यक्रम के कार्यान्वयन में पहली से पांचवीं कक्षा के लिए त्रि-भाषा फॉर्मूले को लागू किया गया है. राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूली शिक्षा के लिए एनईपी 2020 की सिफारिशों के अनुसार तैयार किए गए नए पाठ्यक्रम के चरणबद्ध कार्यान्वयन की योजना की घोषणा की है.
(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)
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