अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर ख्वाजा के अनुयायियों के लिए सूचना जारी कर दी गई है कि अपनी जान की सुरक्षा खुद करें. यानी अगर जायरीनों की सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं ये समझने के लिए आपको ख्वाजा मोइनुद्दीन की दरगाह कमेटी का एक नोटिस के बारे में जानना चाहिए.
कमेटी की तरफ से जारी किए गए नोटिस में साफ लिखा है कि दरगाह के कुछ हिस्सों की हालत जर्जर है. अगर किसी प्रकार की दुर्घटना या अनहोनी होती तो उसके लिए व्यक्ति खुद पूरी तरह उत्तरदायी रहेगा और कार्यालय नाजिम, प्रशासन किसी भी प्रकार की कानूनी जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करेगा. आखिर दरगाह कमेटी ने एक नोटिस जारी करके अपना पल्ला क्यों झाड़ा. ये समझने के लिए आपको अजमेर की दरगाह की कुछ तस्वीरें जरूर देखनी चाहिए. इस ऐतिहासिक इमारत की दीवार का एक हिस्सा गिर चुका है. कुछ मजदूर उस हिस्से की मरम्मत करते हुए भी दिखते हैं. दरगाह में जाने वाले लोगों के मुताबिक. छत के एक हिस्से में भी दरार है. ऐसा ही एक छज्जा गिरने से एक जायरीन बुरी तरह घायल भी हो गया था. दावा यह भी है कि दरगाह के फर्श के कुछ हिस्से में टाइल्स टूट गई हैं, जिनकी वजह से ख्वाजा के दरबार में जाने वाले जायरीन गिरकर चोटिल भी हो चुके हैं.
#DNA | अजमेर दरगाह जाने वालों के लिए खतरे का अलार्म! अजमेर दरगाह में जाना क्यों जानलेवा हो सकता है?#Ajmer #AjmerDargah #Rajasthan @pratyushkkhare pic.twitter.com/R939UoU863
— Zee News (@ZeeNews) July 25, 2025
दरगाह की इसी खस्ता हालत की वजह से दरगाह के खादिम और इंतजाम करने वाली अंजुमन कमेटी आमने सामने आ गए हैं. कमेटी पर खादिम मरम्मत ना कराने का आरोप लगा रहे हैं तो कमेटी ने खादिमों को दरगाह में मिले अपने हिस्से को खाली करने के लिए कह दिया है. यानी इमारत की मरम्मत का एजेंडा पीछे चला गया है और आरोपों का पिटारा खोल दिया गया है. जो खादिम आज दरगाह की उपेक्षा और लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं, इनमें से कुछ खुद दरगाह का रख-रखाव करने वाली अंजुमन कमेटी के सदस्य रह चुके हैं. यानी जर्जर इमारतों से ये भी अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते. अब हम आपको अजमेर शरीफ दरगाह में दान के तौर पर आने वाले पैसे से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अजमेर शरीफ में उर्स के दौरान ही 50 करोड़ से ज्यादा का चढ़ावा आता है. इस चढ़ावे के साथ ही साथ ख्वाजा में आस्था रखने वाले श्रद्धालु सोने और चांदी की भी भेंट चढ़ाते हैं. अंजुमन कमेटी के जरिए भी लोग दरगाह के लिए दान देते हैं. करोड़ों का चढ़ावा, रखरखाव के लिए पूरी कमेटी, दरगाह में सेवा देने वाले कई खादिम, संसाधनों की बात की जाए तो इस ऐतिहासिक इमारत के पास कोई कमी नहीं. अगर वाकई कमी कही जा सकती है तो वो नीयत की लगती है. जिसकी वजह से आज मोइनुद्दीन चिश्ती की इस खूबसूरत दरगाह में दरारें और मलबा एक धब्बे जैसा लगता है.
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