Brahmos Missile: ऑपरेशन सिंदूर में भारत के लिए ब्रह्मास्त्र बनी ब्रह्मोस मिसाइल की चर्चा हर ओर है. सुपरसोनिक स्पीड वाली इस क्रूज मिसाइल ने कैसे पाकिस्तान के एयरडिफेंस सिस्टम को ध्वस्त करते हुए उसके एयरबेस को निशाना बनाया, वो दुनिया भर में सैन्य विशेषज्ञों के बीच बहस का मुद्दा बन गई है.
ब्रह्मोस मिसाइल को चलाने की जिम्मेदारी थलसेना में आर्टिलरी रेजिमेंट (तोपखाना टुकड़ी) की खास यूनिट के पास होती है. उस रेजीमेंट के कमांडिंग अफसर को टॉप लेवल से कमांड दी जाती है. फिर बैटरी कमांडर इसे लोकेशन के साथ दागने की जिम्मेदारी संभालते हैं. ये अफसर मिसाइल को अटैक के लिए रेडी करने, टारगेट पर इसे लांच करने का जिम्मा संभालते हैं. इसके लिए पूरी पेशेवर टेक्निकल टीम भी होती है. इसमें तकनीकी अफसर और क्रू सदस्य भी होते हैं.
आर्टिलरी रेजिमेंट में कुछ वक्त तक काम कर चुके और अनुभवी-तेजतर्रार अफसरों को ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट में शामिल किया जाता है. सेना भर्ती के बाद ट्रेनिंग के जरिये इस मिसाइल लांचिंग यूनिट को तैयार किया जाता है.टेक्निकल स्किल कोर्स के जरिये इन्हें मिसाइल लांचिंग में प्रशिक्षित किया जाता है.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की लंबाई 8.2 मीटर के करीब है. इसका वजन मारक क्षमता के हिसाब से 2200 से 3000 किलो तक होता है. इसका वॉरहेड 200 से 300 किलोतक होता है. ये 2.8 से 3.5 मैक (मैक यानी ध्वनि की गति) की स्पीड से दुश्मन के टारगेट पर हमला करती है. इसे समुद्र के अंदर पनडुब्बी और लड़ाकू विमानों से भी दागा जा सकता है. ये 15 किलोमीटर तक की ऊंचाई तक उड़ान भर सकती है. ये एक मीटर की सटीक लोकेशन में निशाना साध सकती है. इसकी रेंज से 290 से 1500 किलोमीटर तक बताई जाती है. हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-2 की रफ्तार तो मैक 8 तक है और रेंज 1500 किलोमीटर तक है.
सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल को रूस और भारत ने मिलकर तैयार किया है. दुनिया के कई देश इस खतरनाक मिसाइल को खरीदने की होड़ में लगे है.
Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.