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'मोहन भागवत को अरेस्ट करने के ऑर्डर...' मालेगांव ब्लास्ट के दौरान ATS अधिकारी रहे मुजावर का बड़ा खुलासा

Malegaon Blast: कोर्ट के फैसले के एक दिन बाद अब इस केस में एक बड़ा खुलासा सामने आया है. मामले की शुरुआती जांच में शामिल रहे रिटायर्ड एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर ने दावा किया है कि उन पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का दबाव था.

File Photos
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Gaurav Pandey|Updated: Aug 01, 2025, 11:36 AM IST
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Mohan Bhagwat arrest order: एक दिन पहले ही 2008 के मालेगांव बम धमाके मामले में एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने 17 साल बाद फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है. इनमें बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय सहित अन्य आरोपी शामिल थे. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ठोस सबूत और विश्वसनीय गवाह पेश नहीं कर सका, इसलिए सिर्फ नैरेटिव के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता. इसी बीच मामले में एक बड़ा ट्विस्ट सामने आया है. 

इस केस में एक बड़ा खुलासा..
हुआ यह कि कोर्ट के फैसले के एक दिन बाद अब इस केस में एक बड़ा खुलासा सामने आया है. मामले की शुरुआती जांच में शामिल रहे रिटायर्ड एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर ने दावा किया है कि उन पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का दबाव था. उन्होंने बताया कि उन्हें यह आदेश तत्कालीन जांच अधिकारी परमवीर सिंह ने दिया था लेकिन उन्होंने इसका विरोध किया क्योंकि वे किसी झूठे केस में शामिल नहीं होना चाहते थे.

'भगवा आतंकवाद की थ्योरी को सिद्ध करने के लिए'
मुजावर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उस समय भगवा आतंकवाद की थ्योरी को सिद्ध करने के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि जब उन्होंने झूठी चार्जशीट बनाने और मृतकों को जिंदा दिखाने से इनकार किया तो उनके खिलाफ फर्जी केस दर्ज कर दिए गए. हालांकि वे बाद में कोर्ट से इन सभी आरोपों से बरी हो गए.

उन्होंने यह भी बताया कि इस केस में सिर्फ एक विशेष नैरेटिव बनाने की कोशिश की गई थी जो पूरी तरह से झूठा था. मुजावर ने कोर्ट के फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि न्याय की जीत हुई है और अब सच सामने आ गया है. उन्होंने यह भी कहा कि जिन अधिकारियों ने उन पर दबाव बनाया उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए.

इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई थी जब 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव के भीकू चौक पर धमाका हुआ था. एक दोपहिया वाहन में रखे गए बम से हुए विस्फोट में 6 लोगों की मौत और 101 लोग घायल हुए थे. मृतकों में फरहीन उर्फ शगुफ्ता शेख लियाकत, शेख मुश्ताक यूसुफ, शेख रफीक मुस्तफा, इरफान जियाउल्लाह खान, सैयद अजहर सैयद निसार और हारून शाह मोहम्मद शाह शामिल थे.

FAQ:
Q1: मालेगांव ब्लास्ट केस में कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
Ans: कोर्ट ने सभी सातों आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.

Q2: एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर ने क्या दावा किया?
Ans: उन्होंने कहा कि उन पर मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का दबाव डाला गया था.

Q3: भगवा आतंकवाद को लेकर क्या आरोप लगाए गए?
Ans: मुजावर ने कहा कि भगवा आतंकवाद की थ्योरी को सिद्ध करने के लिए झूठे केस बनवाने की कोशिश हुई.

Q4: मालेगांव ब्लास्ट में कितनी मौतें हुई थीं?
Ans: 29 सितंबर 2008 को हुए धमाके में 6 लोगों की मौत और 101 घायल हुए थे.

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