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पहलगाम के गुनहगारों को छोड़ना नहीं चाहिए, सीजफायर के बाद ओवैसी की हुंकार, जानें क्या कहा?

Asaduddin Owaisi: भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सीजफायर को बाद असदुद्दीन ओवैसी ने फिर से हुंकार भरी है. उन्होंने कहा है कि सीजफायर हो या ना हो लेकिन पहलगाम के गुनहगारों को नहीं छोड़ना चाहिए. 

पहलगाम के गुनहगारों को  छोड़ना नहीं चाहिए, सीजफायर के बाद ओवैसी की हुंकार, जानें क्या कहा?
Tahir Kamran|Updated: May 11, 2025, 01:23 AM IST
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22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारत ने 7 मई की सुबह पाकिस्तान के अंदर घुसकर 9 आतंकी कैंपों पर हमले किए और सैकड़ों आतंकियों को मौत की नींद सुला दिया है. जिसके बाद पाकिस्तान ने कई बार भारत के सरहदी इलाकों में ड्रोंस अटैक किए, जिन्हें भारत ने नाकाम बना दिया. इसके बाद शनिवार की शाम दोनों देशों के बीच युद्ध विराम का ऐलान हो गया. हालांकि इस युद्धविराम पर AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तीखे सवाल पूछे हैं.

ओवैसी ने X हेंलडल पर एक लंबी पोस्ट लिखा,'जब तक पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल करता रहेगा, तब तक स्थायी शांति संभव नहीं है. सीज़फायर हो या न हो, हमें पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों का पीछा नहीं छोड़ना चाहिए. जब-जब बाहरी आक्रमण हुआ है, मैं सरकार और सशस्त्र बलों के साथ खड़ा रहा हूं. यह समर्थन हमेशा रहेगा.'

ओवैसी ने आगे लिखा,'मैं हमारी सशस्त्र सेनाओं की बहादुरी और उनकी प्रशंसनीय कुशलता के लिए आभार प्रकट करता हूं. मैं सेना के जवान एम. मुरली नायक, एडीडीसी राज कुमार थापा को ख़िराज-ए-अक़ीदत (श्रद्धांजलि) पेश करता हूं और संघर्ष के दौरान मारे गए या घायल हुए सभी लोगों के लिए दुआ करता हूं.आशा करता हूं कि यह सीजफायर सीमा क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कुछ राहत देगा.'

ओवैसी ने उम्मीद जाहिर की कि मैं यह भी आशा करता हूं कि भारतीय और भारतीय राजनीतिक दल पिछले दो हफ्तों से कुछ सबक लेंगे. भारत तब मजबूत होता है जब भारतीय एकजुट होते हैं, हमारे दुश्मन तब फायदा उठाते हैं जब भारतीय आपस में लड़ते हैं. इसी में उन्होंने कहा,'मेरे कुछ सवाल हैं, और मुझे उम्मीद है कि सरकार इनका स्पष्टीकरण देगी.'

  1. काश हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह सीजफायर की घोषणा करते, ना कि कोई विदेशी राष्ट्रपति. हम शिमला समझौते (1972) के बाद से तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का विरोध करते रहे हैं. अब हमने इसे क्यों स्वीकार किया? मुझे उम्मीद है कि कश्मीर मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंच पर नहीं जाएगा, क्योंकि यह हमारा आंतरिक मामला है.

  2. हम किसी तीसरे स्थान पर बातचीत करने को क्यों तैयार हुए हैं? इन बातों का एजेंडा क्या होगा? क्या अमेरिका गारंटी देता है कि पाकिस्तान अपनी जमीन का आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं करेगा?

  3. क्या हमने पाकिस्तान को भविष्य में आतंकवादी हमलों से रोकने का मकसद हासिल किया? क्या हमारा लक्ष्य ट्रंप-द्वारा मध्यस्थता से सीजफायर कराना था या पाकिस्तान को इस हालत में लाना था कि वह किसी और हमले का सपना भी न देख सके?

  4. हमें पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय अभियान जारी रखना चाहिए.

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