trendingNow12667944
Hindi News >>देश
Advertisement

'छावा' की धूम के बीच औरंगजेब के हमदर्द बने अबू आजमी, कहा- इंसाफ पसंद था बादशाह था

Chaava review: बर्बर औरंगजेब ने संभाजी को धोखे से बंदी बनाकर 40 दिन अत्याचार किया. वो उनकी चीख सुनना चाहता था, घावों पर नमक लगाने, नाखून उतरवाने, आंख और जीभ निकलवा लेने के बाद भी वो छावा के मुंह से उफ तक न सुन सका. संभाजी अमर हो गए और औरंगजेब को गहरा सदमा लगा और कुछ समय बाद वो मर गया.

अबू आजमी और छावा फिल्म का दृश्य
अबू आजमी और छावा फिल्म का दृश्य
Shwetank Ratnamber|Updated: Mar 03, 2025, 09:30 PM IST
Share

Abu Azmi on Aurangzeb: होली आने वाली है, लेकिन फागुन के महीने में छावा की खुमारी छाई है. बच्चे-बड़े-बूढे और जवान क्या महिलाएं और क्या पुरुष, सब छत्रपति शंभाजी महाराज (Chatrapati Shambha Ji Mahraj) की वीरता और शौर्य को याद करके गर्व महसूस कर रहे हैं. इस बीच औरगंजेब की तारीफ करके समाजवादी पार्टी नेता अबू आजमी ने महान मराठा योद्धा की शहादत का अपमान करने के साथ-साथ करोड़ों सनातनी हिंदुओं के मन में मौजूद अतीत की यादों के घावों पर औरगंजेब की तरह नमक छिड़क दिया है.

औरंगजेब क्रूर शाषक नहीं था: अबू आजमी

अबू आजमी ने औरंगजेब को भला, महान और इंसाफ पसंद बादशाह बताया तो लोग खुलकर आजमी का विरोध कर रहे हैं. आजमी ने कहा, 'कोई कुछ भी कहे लेकिन औरंगजेब एक इंसाफ पसंद बादशाह था, उसे गलत बताया गया है.'

मराठा नेता एकनाथ शिंदे ने बयान को बताया- 'देशद्रोह'

दिल्ली से मुंबई और मद्रास से कोलकाता तक महाराष्ट्र के नेता और समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आज़मी के बयान का विरोध हो रहा है. उनके बयान पर मराठा नेता महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, 'उनका बयान बहुत गलत और निंदनीय है. औरंगज़ेब ने हमारे महान शूरवीर योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज को 40 दिनों तक प्रताड़ित किया. ऐसे व्यक्ति को अच्छा कहना महापाप है. इसलिए अबू आज़मी को माफ़ी मांगनी चाहिए. उन पर देशद्रोह का मामला दर्ज होना चाहिए.'

कौन थे छत्रपति शंभाजी महाराज?

छत्रपति शंभाजी महाराज के जीवन पर बनी फिल्म छावा 500 करोड़ की कमाई कर चुकी है. विक्की कौशल और रश्मिका मंदादा स्टारर मूवी खूंखार बादशाह औरंगजेब की बर्बरता को दिखाती है. शंभाजी महाराज, छत्रपति महाराज शिवाजी के बेटे थे. वो महाप्रतापी योद्धा थे. इतिहास के हवाले से बनी फिल्म में दिखाया गया है कि बुरहानपुर के किले में औरंगजेब की सेना को नेस्तोनाबूद करने के साथ संभाजी महाराज ने एक शेर को भी परास्त किया था.

औरंगजेब की अधूरी इच्छा

खूंखार शेर को हराने की वीरता इतिहास में बहुत कम मिलती है. छावा ने अपने दम पर मुगलों की छाती में ऐसा भाला-बल्लम और तलवार गाड़ी कि औरंगजेब न तो चैन से जी सका और न ही उसे चैन की मौत नसीब हुई. मरते समय अपने गुनाह उसे याद थे. उसके आखिरी इच्छा जो उसके जीते जी नहीं पूरी हो सकी वो यही थी कि मुगल कभी पूरा दख्खन न जीत सके.

औरंगजेब की बर्बरता की कहानी फिल्म में दिखाई

औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी को धोखे से बंदी बनाकर 40 दिन अत्याचार किया था. बर्बर औरगंजेब ने उनकी चीख सुनने के लिए घावों पर नमक रगड़वाया, आंख और जीभ निकलवा ली फिर भी संभाजी महाराज के मुंह से उफ तक न निकली. संभाजी अमर हो गए और औरंगजेब को ऐसा सदमा लगा कि वो सह नहीं पाया और कुछ समय बाद मर गया.

मरते समय क्या सोच रहा था औरंगजेब? 

फिल्म ने दिखाया गया है कि दिल्ली से लाखों की फौज लेकर औरंगजेब दक्कन (दख्खन) यानी दक्षिण भारत की ओर रवाना हुआ था. बीच रास्ते में महाराष्ट्र में मराठाओं ने उसे घेर लिया. कोंकण से लेकर सतारा और महाराष्ट्र के कण-कण में फैली वीर मराठों की फौज ने उसे खून के आंसू रुलाया. फिल्म में ये भी दिखाया गया है कि औरंगजेब ने 'छावा' (शेर का बच्चा शावक) यानी संभाजी महाराज की वजह से अपना ताज एक बार उतारा तो वह फिर उसे ताउम्र ना पहन पाया. शंभाजी महाराज के शौर्य और उनकी वीरांगना महान रानी येशुबाई की बुद्धिमत्ता की वजह से मुगलों का सपना अधूरा रह गया. मरते समय उसने अपने बेटे से कहा था कि उसने जिंदगी भर लोगों पर जुल्म किया है, अब उसके अपनों के साथ वही होगा.'

Read More
{}{}