RCB Victory Parade Stampede Case: बेंगलुरु में आईपीएल विजेता रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के जश्न के मामले में रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं. सीनियर पुलिस अफसर एमएल करिबसावना गौड़ा ने विधानसभा के बाहर आरसीबी टीम के सम्मान समारोह पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने 4 जून को सुबह ही शीर्ष पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को इस बाबत आगाह किया था. मगर उनकी सलाह को नजरअंदाज करते हुए जश्न के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया. इस हादसे में आरसीबी के 11 प्रशंसकों की मौत हो गई थी.
विधानसभा के सुरक्षा प्रभारी गौड़ा ने कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार सचिव जी सत्यवती को लिखे पत्र में कहा था, लाखों क्रिकेट प्रेमी विधानसभा आने वाले हैं, चूंकि यहां सुरक्षाकर्मियों की कमी है, लिहाजा बंदोबस्त करने में दिक्कत होगी.
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, भीड़ बढ़ने के वक्त विधानसभा के बाहर आयोजन की जिम्मेदारी संभाल रही सत्यवती ने लोगों से आरसीबी प्रशंसकों से स्टेडियम की ओर जाने को कहा. विधानसभा में खिलाड़ियों का सम्मान किया गया और फिर जश्न के आयोजन का बाकी कार्यक्रम स्टेडियम में हुआ. लेकिन भीड़ का सैलाब आने की जो आशंका अफसर ने जताई थी, वही हुआ.
पुलिस अफसरों की लगातार चेतावनी के बावजूद आरसीबी का आईपीएल विजय जुलूस जीत के महज 12-14 घंटे बाद आनन-फानन में कराने पर टीम से जुड़े आयोजक अड़े रहे. जबकि वहां भीड़ को नियंत्रित करने के सुरक्षा प्रोटोकॉल को पालन करने के संसाधन नहीं थे. आईपीएल फाइनल की रात सुरक्षा गश्त के कारण पुलिसकर्मी भी बुरी तरह थके हुए थे.
सूत्रों का कहना है कि डीसीपी गौड़ा का ये नोट तब बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर बी दयानंद से साझा किया गया और जिन्होंने मुख्य सचिव शालिनी रजनीश को इस बारे में जानकारी दी गई. हालांकि आयोजन की इजाजत तब भी दी गई.
केंद्रीय मंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि जश्न का आयोजन आईपीएल फाइनल के पहले ही तय हो गया था. एफआईआर में कहा गया है कि फाइनल में जीत की अनुमति 3 जून को 6.30 बजे मांगी गई थी, यानी फाइनल शुरू होने के ठीक एक घंटे पहले. क्या उन्हें सपना आया था कि आरसीबी जीतने वाली थी.उन्होंने सीएम सिद्धारमैया, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और गृह मंत्री जी परमेश्वरा की जिम्मेदारी तय करने की मांग की.
उन्होंने इतनी हड़बड़ी में सम्मान समारोह पर सवाल उठाए. किसने पुलिस कमिश्नर पर दबाव डाला और सुबह 7.30 बजे इसकी इजाजत भी दे दी गई.बेंगलुरु नार्थ सांसद और केंद्रीय मंत्री शोभा करांदलजे ने कहा, विधानसभा की सीढ़ियों का इस्तेमाल हमेशा शपथग्रहण जैसे समारोह के लिए होता है, लेकिन एक निजी आयोजन के लिए ऐसा क्यों किया गया. उन्होंने कहा, सिद्धारमैया और शिवकुमार के हाथ खून से रंगे हैं और वो अपनी गलतियों को पुलिस अफसरों पर थोपने में जुटे हैं.
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