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बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा संसद में गूंजा, बीजेपी के सांसदों ने सरकार से की ये मांग

Parliament News: बीजेपी सांसद दिलीप सैकिया ने संसद से अपील की कि एक प्रस्ताव पारित कर बांग्लादेश सरकार को यह संदेश दिया जाए कि हिंदुओं पर अत्याचार को रोका जाए. उन्होंने कहा कि ऐसे अत्याचार मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हैं.

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा संसद में गूंजा, बीजेपी के सांसदों ने सरकार से की ये मांग
Gaurav Pandey|Updated: Dec 04, 2024, 02:34 PM IST
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Bangladesh Hindu Atrocities: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा बुधवार को लोकसभा में जोर-शोर से उठा. बीजेपी के सांसदों ने इस मामले पर सरकार के सामने कई मांगें रखी हैं. मथुरा से बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने शून्यकाल के दौरान इस विषय पर चिंता जताते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और इस्कॉन संस्था के अनुयायियों पर हो रहे हमले बेहद निंदनीय हैं. उन्होंने इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए कहा कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन उन पर राजद्रोह का आरोप लगाकर जेल भेज दिया गया.

धर्म पर अत्याचार कतई बर्दाश्त नहीं'
हेमा मालिनी ने कहा कि चिन्मय कृष्ण दास मानवता की सेवा कर रहे थे. उनके समर्थन में गवाही देने वाले दो लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया. मैं खुद एक कृष्ण भक्त और इस्कॉन की अनुयायी हूं. हमें धर्म पर अत्याचार कतई बर्दाश्त नहीं. यह केवल विदेश नीति का मुद्दा नहीं, बल्कि हमारी भावना से जुड़ा सवाल है." उन्होंने मांग की कि बांग्लादेश सरकार को हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.

'अत्याचार मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन'
असम से सांसद दिलीप सैकिया ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए भारतीय संसद से अपील की कि एक प्रस्ताव पारित कर बांग्लादेश सरकार को यह संदेश दिया जाए कि हिंदुओं पर अत्याचार को रोका जाए. उन्होंने कहा कि ऐसे अत्याचार मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हैं और भारत को अपने पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए.

सांसद अनिल फिरोजिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से अपील की कि वे बांग्लादेश सरकार के साथ इस मामले को उठाएं. उन्होंने कहा कि भारत को इस विषय पर ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि हिंदू समुदाय बांग्लादेश में सुरक्षित महसूस कर सके.

सांसदों ने यह भी मांग की कि संसद से एक औपचारिक प्रस्ताव पारित कर बांग्लादेश सरकार को चेतावनी दी जाए. उनका कहना था कि अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अंतरराष्ट्रीय कर्तव्य है और बांग्लादेश को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने चाहिए. एजेंसी इनपुट

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