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Bansuri Swaraj: इस AAP नेता ने बढ़ाई बांसुरी स्वराज की मुश्किल, हाइकोर्ट को 30 दिन के भीतर देना होगा जवाब

Bansuri Swaraj: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) नेता सोमनाथ भारती की उस याचिका पर भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज से जवाब मांगा, जिसमें लोकसभा चुनाव में कथित भ्रष्ट आचरण के आधार पर उनके (बांसुरी) निर्वाचन को चुनौती दी गई है.

Bansuri Swaraj: इस AAP नेता ने बढ़ाई बांसुरी स्वराज की मुश्किल, हाइकोर्ट को 30 दिन के भीतर देना होगा जवाब
Gunateet Ojha|Updated: Aug 14, 2024, 10:46 PM IST
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Bansuri Swaraj: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) नेता सोमनाथ भारती की उस याचिका पर भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज से जवाब मांगा, जिसमें लोकसभा चुनाव में कथित भ्रष्ट आचरण के आधार पर उनके (बांसुरी) निर्वाचन को चुनौती दी गई है. न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने स्वराज को 30 दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा. 

लोकसभा चुनाव से जुड़ा है मामला

इस बीच, अदालत ने ‘आप’ के पूर्व मंत्री राज कुमार आनंद को इस आधार पर पक्षकारों की सूची से हटा दिया कि उनके खिलाफ कार्रवाई का कोई कारण नहीं बनता है. आनंद ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन नतीजों के बाद वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे. 

भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने का आरोप

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम उन पक्षकारों को नोटिस जारी नहीं कर सकते, जहां कार्रवाई का कोई कारण नहीं बनता है.’’ तीनों ने नई दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. भारती को 3,74,815 वोट मिले, जबकि स्वराज को 4,53,185 वोट मिले थे. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 80 और 81 के तहत दायर याचिका में स्वराज, उनके चुनाव एजेंट और अन्य पर भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने का आरोप लगाया गया है. 

राज कुमार आनंद पर भी आरोप

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि राज कुमार आनंद ने ‘आप’ के मत प्रतिशत में सेंध लगाकर स्वराज की मदद करने के लिए बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. बाद में 10 जुलाई को वह भाजपा में शामिल हो गए. इसमें कहा गया है कि आनंद दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री थे और 10 अप्रैल को अचानक पार्टी से इस्तीफा देने से पहले नौ अप्रैल तक भारती के लिए चुनाव प्रचार में सक्रिय थे. 

आनंद को 5269 वोट मिले थे

अदालत ने बुधवार को आनंद का नाम पक्षकारों की सूची से हटाते हुए कहा कि वह याचिकाकर्ता की इस दलील को समझने में असमर्थ है कि आनंद ने ‘आप’ के वोट काटने के लिए चुनाव लड़ा था, क्योंकि उन्हें मात्र 5269 वोट मिले थे. अदालत ने कहा कि यदि उन्हें मिले सभी वोट भी भारती के पक्ष में जोड़ दिए जाते, तो भी ‘आप’ नेता, स्वराज से हार जाते. एक अन्य प्रतिवादी, निर्वाचन अधिकारी ने मामले में उन्हें पक्षकार बनाये जाने का विरोध किया. 

क्या कहा कोर्ट ने

अदालत ने याचिका के लंबित रहने के दौरान ईवीएम और वीवीपैट जारी करने के मुद्दे को निर्धारित करने के सीमित बिंदु पर सुनवाई के लिए मामले को 20 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया. याचिका में दावा किया गया है कि चुनाव के दिन, निर्वाचन क्षेत्र में मतदान केंद्रों के दौरे के दौरान याचिकाकर्ता यह देखकर हैरान रह गए कि स्वराज के मतदान एजेंट के पास उनकी मतपत्र संख्या, फोटो, चुनाव चिह्न और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर वाले पर्चे थे और वे उन्हें मतदाताओं को दिखा रहे थे तथा उनसे उनके पक्ष में वोट देने के लिए कह रहे थे. इसमें आरोप लगाया गया है, ‘‘ऐसा कृत्य निश्चित रूप से भ्रष्ट आचरण के अंतर्गत आता है. इसकी सूचना प्रतिवादी संख्या तीन (निर्वाचन अधिकारी) को भी दी गई थी.’’

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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