Bihar Elections: बिहार में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) 'संविधान विरोधी' है, फारूक अब्दुल्ला ने चेतावनी देते हुए कहा, 'इससे संविधान की रक्षा के लिए पूरे भारत में व्यापक आंदोलन हो सकता है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने बिहार में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) करने के भारत के चुनाव आयोग (ECI) के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे संविधान विरोधी करार दिया. दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में पार्टी के एक कार्यक्रम के दौरान ये टिप्पणियां कीं. फारूक अब्दुल्ला ने तर्क दिया कि एसआईआर बीआर अंबेडकर द्वारा स्थापित मतदान के संवैधानिक अधिकार को कमजोर करता है, जो 18 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक भारतीय नागरिक को मतदान का अधिकार देता है.
अब्दुल्ला का दावा
पूर्व सीएम ने दावा किया कि मतदाता पंजीकरण के लिए चुनाव आयोग की नई आवश्यकताएं, जैसे कि नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करना, इस मौलिक अधिकार का खंडन करती हैं. अब्दुल्ला ने कहा, अंबेडकर ने संविधान बनाया था, तब सभी को वोट देने का अधिकार था. फिर 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों को वोट देने का अधिकार देने के लिए इसमें संशोधन किया गया. आज, वे (ECI) एक नया कानून लेकर आए हैं जो संविधान के खिलाफ है.'
वे कैसे वोट देंगे?
उन्होंने ने कहा, इस फैसले बिहार के बाहर काम करने वाले 1.5 करोड़ से अधिक बिहारियों की व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना होगा. ऐसे लोग नामांकन या वोट कैसे करवाएंगे, वो (नामांकन के लिए) फॉर्म कैसे भरेंगे? वे कैसे वोट देंगे? वे अपने मृतक माता-पिता के प्रमाण पत्र कहां से लाएंगे. ये नियम खासकर प्रवासी श्रमिकों के लिए SIR की सख्त दस्तावेजीकरण आवश्यकताओं द्वारा उत्पन्न बाधाओं के बारे में चिंताओं को दर्शाता है.
चुनाव आयोग पर उठाए सवाल
उन्होंने ECI पर अपने मालिक को खुश करने के लिए काम करने का आरोप लगाया, जिसका अर्थ है कि नवंबर 2025 में होने वाले आगामी बिहार विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने के लिए संशोधन के पीछे राजनीतिक मंशा है. उन्होंने सुझाव दिया कि यह प्रक्रिया चुनावी नतीजों में हेरफेर करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास हो सकता है. अगर आयोग SIR के साथ आगे बढ़ता है, तो इससे संविधान की रक्षा के लिए पूरे भारत में व्यापक आंदोलन हो सकता है.
चुनाव आयोग ने 24 जून, 2025 को बिहार के विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए एसआईआर की घोषणा की थी. बिहार में इस तरह का आखिरी संशोधन 2003 में हुआ था. इस प्रक्रिया में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) द्वारा घर-घर जाकर मतदाता विवरण सत्यापित करना शामिल है, जिसके लिए मतदाताओं को गणना फॉर्म और नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेज जमा करने होंगे. बिहार में 7.89 करोड़ मतदाता हैं, 2003 की सूची में लिस्टेड करीब 4.96 करोड़ को केवल अपने विवरण को सत्यापित करने की आवश्यकता है, जबकि शेष 2.93 करोड़, विशेष रूप से 1987 के बाद पैदा हुए लोगों को जन्म प्रमाण पत्र या माता-पिता के रिकॉर्ड जैसे दस्तावेज प्रदान करने होंगे.
मतदाता सूची 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित की जाएगी, जिसके लिए दावे और आपत्तियां 1 सितंबर तक होंगी तथा अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर, 2025 को जारी की जाएगी.
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