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बिहार में है एशिया का दूसरा सबसे बड़ा Bird Sanctuary! बेगूसराय की कावर झील बनी प्रकृति प्रेमियों की पहली पसंद

बेगूसराय का कावर झील एशिया के दूसरे सबसे बड़े पक्षी अभयारण्य के रूप में प्रसिद्ध है. इस समय यह 107 देसी और 40 विदेशी पक्षियों का घर बन चुकी है. यह झील सर्दी के मौसम में प्रवासी पक्षियों का प्रमुख स्थल बन जाती है. कावर झील को 1989 में पक्षी अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया था और यह अब पर्यटकों के बीच एक लोकप्रिय स्थल बन गया है.

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Bird Sanctuary in Bihar
Bird Sanctuary in Bihar
Saurabh Jha|Updated: Jan 30, 2025, 06:27 PM IST
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बेगूसराय की कावर झील में इन दिनों एक अजीबोगरीब आवाज़ गूंज रही है – यह आवाज़ नहीं, बल्कि हजारों पंखों की फड़फड़ाहट है! एशिया के दूसरे सबसे बड़े पक्षी अभयारण्य में इस साल 107 देसी और 40 विदेशी प्रजाति के पक्षियों ने डेरा डाला है. साइबेरिया की बर्फ़ीली हवाओं से भागकर आए ये प्रवासी पक्षी अब बिहार के इस झील में धान के खेतों के बीच 'विंटर वेकेशन' मना रहे हैं. पर सवाल यह है की क्या आपने इसका आनंद लिया की नहीं?

झील बन गई है 'ग्लोबल बर्ड्स' की मीटिंग पॉइंट'
जैसे ही ठंड बढ़ती है, कावर झील में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है. ये पक्षी सालों भर मीलों का सफर तय करके यहां आते हैं, और अपनी रंग-बिरंगी उपस्थिति से झील को और भी आकर्षक बना देते हैं. इन पक्षियों की चहचहाहट से न केवल पर्यटकों का मन प्रफुल्लित होता है, बल्कि झील की प्राकृतिक सुंदरता में भी चार चांद लग जाते हैं. झील में हर साल सैकड़ों की संख्या में पक्षी आते हैं, जिनमें से कई पक्षी ठंड के मौसम में पांच महीने का प्रवास पूरा करने के बाद, जैसे ही गर्मी शुरू होती है, वे वापस लौट जाते हैं.

यहां रहते हैं 40 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी 
कावर झील पक्षी अभयारण्य को 20 जनवरी 1989 को पक्षी अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया था और 2 जनवरी 1989 को इसे भारत के 10 रामसर साइटों में शामिल किया गया था. यहां देश-विदेश से पक्षी आते हैं, जिनमें साइबेरिया, स्विट्जरलैंड, जापान, रूस और मंगोलिया जैसे देशों के पक्षी प्रमुख हैं. इनमें लालसर, दीघौंच, किंगफिशर, ब्लैक नेकेड स्टाक, मूर हेन, और इजिप्शियन वल्चर जैसी पक्षी प्रजातियां शामिल हैं.

पर्यटकों के लिए कम सुविधाएं
हालांकि सरकारी स्तर पर कावर झील पक्षी अभयारण्य में कोई बड़ी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन स्थानीय लोग निजी स्तर पर नावों और अन्य सुविधाओं के जरिए पर्यटकों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. 

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