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Bokaro News: आदिवासी बेटी रितिका ने चलाई वंदे भारत एक्सप्रेस, पीएम मोदी को दिया धन्यवाद

Vande Bharat Express : रितिका तिर्की ने बताया कि वह पहले मालगाड़ी और यात्री ट्रेनें चलाती थीं, लेकिन अब उन्हें वंदे भारत ट्रेन चलाने का भी मौका मिल गया है। इस खास अवसर के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया। रितिका ने कहा कि यह उनके लिए एक बड़ा अवसर है और वह अपने काम को पूरी मेहनत और जिम्मेदारी के साथ अच्छे से करेंगी.  

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Bokaro News: आदिवासी बेटियां रितिका ने चलाई वंदे भारत एक्सप्रेस, पीएम मोदी को दिया धन्यवाद
Bokaro News: आदिवासी बेटियां रितिका ने चलाई वंदे भारत एक्सप्रेस, पीएम मोदी को दिया धन्यवाद
Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Sep 16, 2024, 05:32 PM IST
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बोकारो: बोकारो की रितिका तिर्की ने वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाकर खुद को और अपने क्षेत्र को गर्व महसूस कराया है. आज के समय में बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, चाहे वह कार, स्कूटी, ट्रक या ट्रेन चलाना हो. झारखंड की आदिवासी बेटियां भी अपनी कड़ी मेहनत और प्रतिभा से एक अलग पहचान बना रही हैं. रितिका तिर्की ने टाटानगर से पटना तक वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को पहली बार चलाया और इस पर काफी खुश हैं.

रितिका ने बताया कि पहले वह गुड्स और पैसेंजर ट्रेन चलाती थीं, लेकिन अब उन्हें वंदे भारत जैसी आधुनिक और तेज़ ट्रेन चलाने का मौका मिला है. इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया. रितिका का मानना है कि यह उनके लिए एक बड़ा अवसर है और वह इसे पूरी मेहनत और जिम्मेदारी के साथ निभाएंगी. साथ ही आद्रा डिवीजन के सीनियर डीसीएम विकास कुमार ने बताया कि यह भारत सरकार और रेलवे की नीतियों का परिणाम है कि आज महिलाएं भी वंदे भारत जैसी तेज़ रफ्तार ट्रेनों की पायलट बन रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रांची एयरपोर्ट से ऑनलाइन इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई, जिससे यह टाटा से पटना के बीच अपनी यात्रा शुरू कर पाई.

रितिका ने कहा कि वंदे भारत ट्रेन की सुविधाएं अन्य ट्रेनों से बेहतर हैं. पायलट केबिन पूरी तरह से वातानुकूलित है और इसमें टॉयलेट की भी अच्छी व्यवस्था है. इस ट्रेन की गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा है, जबकि पटरी की गति सीमा 130 किलोमीटर प्रति घंटा है. रितिका के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी और रेलवे के कई कर्मचारी और अधिकारी उन्हें शुभकामनाएं दे रहे थे. रितिका का यह सफर न सिर्फ उनके लिए बल्कि झारखंड की अन्य महिलाओं और आदिवासी समाज के लिए भी प्रेरणादायक है.

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