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किसी की प्यास बुझाना पुण्य का काम! लेकिन रक्सौल में खुद पानी को तरस रहा प्याऊ

Motihari Latest News: रक्सौल शहर में चल रहा प्याऊ खुद प्यासा है. वह पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा है. यहां पर राहगीरों को पानी पीने के लिए बुहत मुक्शिल से मिलता है. जहां बढ़ता तापमान और झुलसती गर्मी में लोगों के लिए पानी बहुत बड़ा सहारा होता है. वहीं, रक्सौल में प्याऊ में पानी ही नहीं रहता है.

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अंतरराष्ट्रीय शहर रक्सौल में  चल रहा प्याऊ खुद है प्यासा (File Photo)
अंतरराष्ट्रीय शहर रक्सौल में चल रहा प्याऊ खुद है प्यासा (File Photo)
Shailendra |Updated: May 03, 2025, 03:30 PM IST
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Motihari News: प्यासे को पानी पिलाना बहुत पुण्य का काम होता है. ऐसी बातें हम बचपन से सुनते आ रहे हैं. हालांकि, रक्सौल में इस गर्मी हर प्यासे को पानी मिलना मुश्किल होता दिखाई दे रहा है, क्योंकि तपती धूप और चिलचिलाती गर्मी में राहगीरों के लिए पानी बहुत बड़ा सहारा होता है. इसलिए रक्सौल नगर परिषद ने रक्सौल शहर के 6 स्थानों पर प्याऊ का स्टॉल लगाया. मगर, अंतरराष्ट्रीय शहर रक्सौल में प्याऊ शोभा की वस्तु बनकर रह गया है. 

भारत नेपाल को जोड़ने वाले मैत्री पुल पर नगर परिषद के प्याऊ का हाल खराब दिखाई दिया. यहां पर पानी के कई जार एक के ऊपर एक करके रखा हुआ है. बता दें कि यह प्याऊ स्टॉल महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि नेपाल आने जाने वाले लोगों को करीब 500 मीटर पैदल चलकर बॉर्डर को पार करना होता है. इसलिए तपती गर्मी में प्यास लगना लाजमी है. 

मैत्री पुल स्थित प्याऊ स्टॉल के पास पानी के गैलन में पानी ही नहीं था. खाली गैलन रखा हुए था. रास्ते से गुजर रहे कई राहगीर प्याऊ पर पहुंचकर पानी पीने का प्रयास करते दिखाई दिए, लेकिन प्याऊ से एक बूंद पानी टपकता हुआ नहीं दिखाई दिया. नेपाल जाने वाली एक महिला यात्री बड़ी उम्मीद से पानी पीने के लिए आई. मगर, गैलन से एक बूंद पानी नहीं निकला. नतीजा सरकार के शुक्रिया के बजाए भला बुरा सुनाकर अंजुम आरा नेपाल चली गई. 

रास्ते से गुजर रहे समाज सेवी रणजीत सिंह ने भी गैलन को हिला डुलाकर पानी की बूंदे निकालने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे. वहीं, रक्सौल नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी कहा कि सुबह 10 बजे से पहले स्टॉल लग जाता है और दोपहर में 1 बजे फिर से खाली गैलन में पानी को रिफील किया जाता है. 

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वहीं, प्याऊ पर पानी पहुंचाने वाले कर्मचारी दिलीप ने बताया कि दोपहर में पानी भरने के लिए उससे नहीं कहा गया है. इसलिए सुबह में एक बार पानी रखते है और शाम में खाली डब्बा लेकर चले जाते है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या रक्सौल नगर परिषद प्याऊ के नाम पर महज औपचारिकताएं पूरी कर रहा है या फिर आंखों में धूल झोंक रहा है?

रिपोर्ट: पंकज कुमार

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