Motihari News: बिहार के मोतिहारी के सुगौली प्रखंड अंतर्गत माली पंचायत के डुमरी गांव से एक अनोखी और प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जो न सिर्फ तकनीक की मिसाल है, बल्कि आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी बन गई है. गांव निवासी राजमोहन सहनीने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद ‘जुगाड़ तकनीक’ से एक ऐसी इलेक्ट्रिक बाइक तैयार कर दी है, जिसे उन्होंने नाम दिया है ‘फ्रीडम बाइक’. यह प्रेरणा उन्हें तब मिली जब पुलिस ने उनकी मोटरसाइकिल का ₹1600 का चालान काट दिया. दरअसल, उनकी बाइक के दस्तावेज अधूरे थे और इस वजह से उन्हें जुर्माना भरना पड़ा. इस घटना से आहत होकर राजमोहन ने ठान लिया कि अब वे पेट्रोल से चलने वाली बाइक पर नहीं, बल्कि अपनी खुद की बनाई हुई जुगाड़ी बाइक से ही सफर करेंगे.
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जिसके बाद उन्होंने अपनी सामान्य साइकिल को इलेक्ट्रिक बाइक में तब्दील करने का फैसला किया. एक महीने तक लगातार प्रयास करने और सीमित संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने एक इलेक्ट्रिक बाइक तैयार की, जो बैटरी से चलती है और पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है. खास बात यह है कि यह पूरी तरह से जुगाड़ तकनीक पर आधारित है और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध चीजों से बनाई गई है. राजमोहन का कहना है कि उनका ससुराल नेपाल में है और अक्सर वहां आना-जाना होता है. चालान कटने की घटना के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया कि वे अब मोटरसाइकिल से नहीं, बल्कि अपनी इस फ्रीडम बाइक से ही सफर करेंगे.
आज उनकी बाइक और तकनीक की चर्चा पूरे इलाके में जोरों पर है. गांव में लोग उनके नवाचार को देखकर प्रेरणा ले रहे हैं और यह मिसाल बनती जा रही है कि कैसे सीमित संसाधनों में भी कुछ नया और उपयोगी बनाया जा सकता है. राजमोहन सहनीकी यह ‘फ्रीडम बाइक’ न केवल चालान और पेट्रोल की मजबूरी से आजादी है, बल्कि यह ग्रामीण भारत में तकनीकी नवाचार की जीवंत मिसाल बन चुकी है.
इनपुट- पंकज कुमार
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