Garhwa News: झारखंड के गढ़वा जिले के नगर उंटारी में स्थित मंडल उपकारा (जेल) भ्रष्टाचार, लापरवाही और शासकीय अनदेखी की एक ऐसी मिसाल बन चुका है, जो पिछले 18 वर्षों से अधूरा ही पड़ा है. झारखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा पर एनएच-39 हाईवे के किनारे अरबों रुपये खर्च कर बनाए गए इस जेल में आज तक एक भी कैदी ने कदम नहीं रखा. इसके बावजूद जेल के निर्माण, मरम्मत और रख-रखाव पर लगातार करोड़ों रुपये खर्च होते रहे हैं.
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दो बार शिलान्यास, फिर भी अधूरा
नगर उंटारी जेल का निर्माण कार्य वर्ष 2006 में शुरू हुआ था. पहली बार शिलान्यास 2006 में और दूसरी बार 15 अक्टूबर 2018 को पूर्व विधायक भानु प्रताप शाही ने किया. लेकिन निर्माण की प्रक्रिया शुरू से ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती रही. 2006 से 2012 के बीच किए गए कार्यों की विभागीय और तकनीकी जांच में खुलासा हुआ कि जेल की इमारत बिना गेट के बनाई जा रही थी, जो कि सुरक्षा के बुनियादी मानकों के भी खिलाफ था.
काम बंद और फिर दोबारा वही गलती
2012 से 2018 तक निर्माण कार्य बंद रहा. फिर 18 अक्टूबर 2018 को एक बार फिर काम की शुरुआत हुई, लेकिन इस बार भी पहले जैसी ही लापरवाहियों को दोहराया गया. पुराने घटिया निर्माण की दीवारों पर बिना उचित मरम्मत और सफाई के सीधा प्लास्टर किया जा रहा है. न तो प्री-क्योरिंग और न ही पोस्ट-क्योरिंग जैसी तकनीकी आवश्यकताओं का ध्यान रखा गया.
2012 में तत्कालीन जेल आईजी शिवशंकर तिवारी ने जब इस जेल का निरीक्षण किया, तो पता चला कि निर्माणाधीन जेल बिना गेट के बनाई जा रही है. यह चौंकाने वाला तथ्य अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया, लेकिन फिर भी समस्या ज्यों की त्यों बनी रही. अब जब इस मुद्दे पर दोबारा हलचल हुई है, तो गढ़वा के डीसी ने कहा है कि जेल 2016 से ही लगभग बनकर तैयार है, लेकिन कुछ औपचारिकताएं और समन्वय गृह विभाग के साथ अब तक नहीं हो पाया है. उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन का लक्ष्य है कि जनवरी 2026 तक जेल को पूरी तरह चालू कर दिया जाए.
यहां करोड़ों-अरबों की सरकारी राशि खर्च होने के बावजूद भी न तो जनता को कोई लाभ मिला, न ही राज्य को. यह जेल आज भी खाली पड़ा है, लेकिन इससे जुड़े अधिकारियों और ठेकेदारों की जेब जरूर भरती रही है. यह कहानी सिर्फ एक जेल की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की बुनियादी कमजोरी और भ्रष्टाचार की पोल खोलती है. ऐसे में यदि यह सिलसिला नहीं थमा, तो जनता का भरोसा सरकारी योजनाओं और घोषणाओं पर से पूरी तरह उठ जाना तय है.
इनपुट- आशीष प्रकाश राजा
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